फ्रेंडशिप डे: किसी को गिटार से प्यार तो कोई किताबों से करता है बातें, कुछ खास है ये दोस्ती
दैनिक जागरण आपको फ्रेंडशिप डे के मौके पर कुछ ऐसे ही लोगों के बारे में बता रहा है।
लखनऊ[दुर्गा शर्मा]। खून के रिश्तों से इतर एक खास नाता दोस्ती है। पहले से तय संबंधों से परे दोस्त हम खुद चुनते हैं। ऐसा दोस्त जिसके साथ हम हंसते, रोते और खुलकर जीते हैं। वह कोई भी हो सकता है। कथक प्रेमी के लिए वह दोस्त घुंघरू है। वाद्य यंत्रों में जिसका मन रमा तो वह उसी का हो गया। कोई किताबों की दुनिया में खुद को खोकर बहुत कुछ पाता है। वहीं कुछ ऐसे भी हैं जिसको अपने डॉगी में मित्रता का भाव नजर आता है। दैनिक जागरण संवाददाता की रिपोर्ट-
कथक जिंदगी, घुंघरू दोस्त :
कथक नृत्यागना एकता मिश्र ने बताया कि कथक गुरु पद्म श्री शभू महाराज जी की पोती एकता मिश्र को विरासत में कला का आशीर्वाद मिला। बचपन में हुई घुंघरुओं से दोस्ती समय के साथ और गहरी होती गई। पंडित शभू महाराज जी की पुत्री रामेश्वरी मिश्र (बुआ) पहली गुरु बनीं। उसके बाद कथक गुरु अजरुन मिश्र जी से कथक सीखा। वर्तमान में अजरुन मिश्र जी के पुत्र अनुज मिश्र से कथक सीख रही हैं। एकता कहती हैं, कथक हमारे खून में है। पीढ़ी दर पीढ़ी कला हस्तातरित हो रही है। मेरी जिंदगी कथक है और घुंघरू दोस्त। जब कोई बात परेशान करती है तो घुंघरू को करीब में रख गुरु और गुरु की दी तालीम को याद करती हूं। मेरे डॉगी, मेरे दोस्त :
आलमबाग निवासी लॉ प्रैक्टिशनर सागर पाडेय के घर में दो डॉगी हैं। लैब्राडोर और इंडियन मिक्स ब्रीड टायसन और जर्मन शेफर्ड टार्जन के साथ सागर का दोस्ती भरा खास संबंध है। सागर बताते हैं, टायसन छह साल पहले और टार्जन पाच साल पहले लाए थे। टायसन एक महीने का और टार्जन 15 दिन का था। दोनों घर के सदस्य की तरह रहते हैं। सुबह चार बजे दोनों को टहलाने ले जाता हूं। लेट नाइट भी दोनों के साथ वॉक पर निकलता हूं। वॉकिंग, रनिंग के साथ ये आउटडोर गेम का हिस्सा भी बनते हैं। माई बेस्ट फ्रेंड गिटार:
एलडीए कॉलोनी निवासी गिटार प्रशिक्षु 12 वर्षीय श्रेया ने बचपन में सबसे पहले की-बोर्ड से दोस्ती की थी। थोड़ी और बड़ी हुईं तो गिटार से दोस्ती हो गई। अब गिटार श्रेया का बेस्ट फ्रेंड हो गया है। श्रेया ने 2016 से गिटार सीखना शुरू किया था। श्रेया कहती हैं, कोई भी दिन बिना गिटार प्ले किए नहीं बीतता है। किताबें करतीं बातें :
किताबें बातें करती हैं, सुनने वाला चाहिए। स्नातक द्वितीय वर्ष की छात्रा गोमती नगर निवासी अंशिता गुप्ता की किताबों से कुछ ऐसी ही दोस्ती है। हर उलझन को सुलझाने का रास्ता उन्हें किताबों में ही मिलता है। अंशिता कहती हैं, कक्षा 12 तक तो कोर्स बुक्स तक ही सीमित रही। इसके बाद साहित्य की ओर रुझान हुआ। लाइब्रेरी के साथ-साथ पीडीएफ डाउनलोड और नेट पर किताबें पढ़ती हूं। खुशवंत सिंह की ट्रेन टू पाकिस्तान चार बार पढ़ी। शेक्सपियर को पढ़ना बहुत अच्छा लगता है। तबले से प्यार भरा नाता:
तबला प्रशिक्षु आयुष्मान त्रिपाठी (9 साल) तीन साल से तबला सीख रहे हैं। तबले पर कायदा, तिहाई, टुकड़ा, रेला और परन आदि बजाते वक्त अंगुलियों का जादू कमाल करता है। आयुष्मान कहते हैं, घर पर सबसे पहले ढोलक बजाना शुरू किया था। धीरे-धीरे म्यूजिक में मन लगने लगा और फिर तबला सीखना शुरू किया। तबले से प्यार भरा नाता हर दिन गहरा होता जा रहा है।