निजी स्कूलों में मुफ्त दाखिले की ऑनलाइन प्रक्रिया ब्लॉक, हो रहे ये खेल
शिक्षा का अधिकार 17 हजार आवेदन अधूरे नाकामी छिपाने को अफसरों की एक और चाल।
लखनऊ, [संदीप पांडेय]। निजी स्कूलों में शिक्षा के अधिकार के तहत मुफ्त दाखिले की प्रक्रिया में अफसर नित नई चाल चल रहे हैं। वे नाकामी छिपाने के लिए आवेदन प्रक्रिया पर नियंत्रण का षड्यंत्र रच रहे हैं। स्थिति ये कि पहले जहां ऑनलाइन फॉर्म की समय सीमा कम कर दी, वहीं अब वेबसाइट से ‘एडमिशन प्रॉसेस’ का ऑप्शन ही ब्लॉक कर दिया। इससे हजारों बच्चों के फॉर्म अधूरे ही रह गए।
दरअसल, शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत दुर्बल आय वर्ग के बच्चों का निजी स्कूलों में दाखिला होना है। इसके लिए बेसिक शिक्षा विभाग ने एक मार्च से ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया शुरू की। पहले दिन ऐसे ही आवेदन के लिए होड़ मच गई। वेबसाइट पर हजारों की संख्या में आवेदन देखकर छह-सात मार्च को ‘एडमिशन प्रॉसेस’ का ऑप्शन ही ब्लॉक कर दिया गया। इससे ऑनलाइन आवेदन संबंधी जानकारी वेबसाइट से गायब हो गई। ऐसे में 17 हजार बच्चों के आवेदन अधूरे ही रह गए। शनिवार दोपहर तक 53 हजार बच्चों के rte25.upsdc.gov.in आवेदन आए। इनमें से 36 हजार ही फॉर्म कंप्लीट हैं। शेष फॉर्म का रिजेक्ट होना तय है।
आरटीई : गत वर्ष हुए मुफ्त दाखिले
वर्ष - लखनऊ - राज्य
2014 - 4 - 54
2015 - 476 - 4000
2016 - 2,229 - 17,200
2017 - 4,540 - 28,000
2018 - 4,810 - 44, 000
21 लाख सीटें हैं देश में आरटीई की
6 लाख हैं यूपी में आरटीई की सीटें
एनजीओ के हेल्पलाइन नंबर 8000967874 पर पाएं मदद
दलाल हुए सक्रिय, 2000 रुपये में प्रवेश की गारंटी
ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया ब्लॉक होने से दलालों का गिरोह सक्रिय हो गया है। कई साइबर कैफे व कथित एनजीओ 500 रुपये में फॉर्म भर रहे हैं। वहीं, 2000 रुपये में दाखिला की गारंटी ले रहे हैं।
पहले तीन माह, अब एक माह का वक्त
स्कूलों की मनमानी से हर साल दुर्बल आय वर्ग की हजारों सीटें खाली जा रही हैं। अब आवेदन कम कर आंकड़े दुरुस्त करने की साजिश रची गई। गत वर्ष जहां तीन माह ऑनलाइन आवेदन का समय दिया, वहीं इस बार एक माह ही रखा गया।
दाखिले में खड़ी की अड़चन
प्रकाश बाल विद्या मंदिर गोमतीनगर में है। वहीं, विभाग की वेबसाइट पर चिनहट शो कर रहा है। ऐसे में संबंधित क्षेत्र के निवासियों को प्रकाश बाल विद्या मंदिर स्कूल के लिए आवेदन करने में दिक्कत आ रही है। सूची में शामिल करीब 50 स्कूलों की गड़बड़ी है। इन्हें दूसरे वार्ड में दिखाकर दाखिले में अड़चन खड़ी की गई है। स्टाफ ने घर बैठकर स्कूलों की डाटा इंट्री कर दी, जोकि प्रवेश प्रक्रिया में बाधा बनेगी।
पुराने हटाए, नए बढ़ाए नहीं
स्कूल मैपिंग में पुराने कई स्कूलों को विभिन्न तर्क देकर हटा तो दिए। मगर, नए को सूची में शामिल न करना सवाल खड़े कर रहा है। आशंका है कि कई प्रबंधकों ने साठगांठ कर स्कूलों को सूची से बाहर करा लिया है। राजधानी के 1873 विद्यालयों में से 514 हटा दिए गए। निजी स्कूलों में बच्चों की 23,844 से सीटें घटकर 18,148 रह गईं।
क्या कहते हैं अफसर ?
बेसिक शिक्षा अपर निदेशक ललिता प्रदीप का कहना है कि वेबसाइट पर एडमिशन प्रॉसेस का ऑप्शन ब्लॉक होने की जानकारी नहीं है। मैं शहर से बाहर हूं। कार्यालय आने पर स्टाफ से पता करूंगी।