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PAYTM के केवाइसी अपग्रेड के नाम उड़ाए 2.28 लाख, अब थाने और बैंक का चक्कर काट रहा पीड़ित

लखनऊ में पेटीएम की केवाइसी अपग्रेड करवाने में खाते से निकले 2.28 लाख रुपये पीड़ित की नहीं हो रही सुनवाई।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Fri, 17 Jan 2020 09:25 PM (IST)Updated: Sat, 18 Jan 2020 07:18 AM (IST)
PAYTM के केवाइसी अपग्रेड के नाम उड़ाए 2.28 लाख, अब थाने और बैंक का चक्कर काट रहा पीड़ित
PAYTM के केवाइसी अपग्रेड के नाम उड़ाए 2.28 लाख, अब थाने और बैंक का चक्कर काट रहा पीड़ित

लखनऊ, जेएनएन। एक मेडिकल कंपनी में बिल बनाने का काम करने वाले ऑपरेटर शशांक कुमार सिंह की तनख्वाह बहुत कम है। शशांक को एक मोबाइल फोन खरीदना था। उन्होंने 17 दिसंबर को कृष्णानगर की एक दुकान से तीन हजार का मोबाइल फोन खरीदा। उस समय दुकानदार ने कहा कि दो बार में कार्ड स्वैप कर भुगतान हो सकता है। शशांक ने अपना एटीएम कार्ड पीओएस में स्वैप किया और पहले दो हजार और एक हजार रुपये का भुगतान कर दिया। ठीक एक सप्ताह बाद उनके सैलरी खाते से पांच हजार रुपये उड़ गए। करीब एक महीने होने वाले हैं। शशांक कभी साइबर थाना, कभी अपने बैंक तो कभी भारतीय रिजर्व बैंक के चक्कर काट रहे हैं। 

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यह दर्द अकेले मध्यमवर्गीय शशांक का ही नहीं है। इंदिरानगर निवासी एचएस शंखवार सहित लखनऊ के दर्जनों लोग साइबर जालसाजी का शिकार बने। जालसाजों के खिलाफ इनकी लड़ाई अब भी जारी है, लेकिन अब एक डर भी इनके मन में घर कर गया है। शशांक कहते हैं कि मेरे खाते में केवल पांच हजार रुपये थे। वह निकल गए। केवल छह रुपये ही बैलेंस बचा। यदि खाते में 50 हजार होता तो वह भी चला जाता। अब इस खाते में एक रुपये भी जमा करने पर फिर यह डर लग रहा है कि कहीं वह भी न निकल जाए। शशांक कहते हैं मुझे इसका पता भी न चलता यदि मैं अपना प्रीपेड मोबाइल रीचार्ज कराने के लिए नेट बैंकिंग से उसका भुगतान न कर पाता। आहत इस बात से हूं कि जब मैं 24 दिसंबर को ट्रांसपोर्टनगर स्थित अपने बैंक ऑफ बड़ौदा गया तो वहां पहले तो ब्रांच मैनेजर ने मुझे ही आरोपी बना दिया। बोले कि खुद ही अपने एटीएम से रुपये निकाले होंगे, या फिर परिवार का कोई और व्यक्ति। शशांक ने जब कहा कि एटीएम उनकी जेब में ही रहता है।

ऐसे में कोई दूसरा खाते से रुपया कैसे निकाल सकता है। इस पर बैंक ने पुलिस के पाले में गेंद डाल दी। शशांक पहले कृष्णानगर थाना पहुंचे यहां एफआइआर हुई और फिर उसे साइबर सेल ले जाकर जमा किया। तब से शशांक रोज ही इस उम्मीद के साथ कि शायद उनका रुपया वापस आ जाएगा। साइबर सेल से संपर्क करते हैं। भारतीय रिजर्व बैंक को भी अपनी व्यथा बता चुके हैं। अब फिर से बैंक के प्रबंधक एक फरवरी को आने की बात कह रहे हैं। अब भी बैंक और साइबर सेल की ओर से यह भरोसा नहीं दिलाया गया है कि शशांक का रुपया वापस आ जाएगा। 

महंगा पड़ा केवाईसी करना 

पेटीएम से अपने बिलों का भुगतान करने वाले इंदिरानगर के एचएस शंखवार का खाता एसबीआइ में है। उनका बैंक खाता पेटीएम से लिंक है। कुछ दिन से उनका पेटीएम बंद चल रहा था। दो दिन पहले ही एचएस शंखवार अपने पेटीएम की केवाईसी अपग्रेड कर रहे थे। बस इसी समय जालसाज ने उनका पेटीएम अकाउंट हैक किया। उनके सेविंग खाते से 44 हजार 440 रुपये दो बार और 20 हजार रुपये कई बार उड़ा दिए। इससे पहले कि उनके मोबाइल फोन के रजिस्टर्ड नंबर पर बैंक से धनराशि डेबिट होने के मैसेज थमने का नाम लेते, उनका 2.28 लाख रुपये 880 रुपये खाते से उड़ चुका था। इंदिरानगर थाना पर मामला दर्ज कराने के बाद एचएस शंखवार ने साइबर सेल से संपर्क किया। लेकिन जो जवाब उनको साइबर सेल, इंदिरानगर थाना और बैंक से मिला। उससे एचएस शंखवार की मायूसी बढ़ रही है और अपने रुपये वापस आने की उम्मीदें कम हो रही हैं। 


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