कुवैत में नौकरी का झांसा देकर लाखों की ठगी, UP व बिहार के लोगों को भ्ाी बनाया निशाना
अलीगंज में जालसाजों ने खोला था ऑफिस, नौ महीने का अनुबंध व रहने-खाने का मुफ्त दिया था लालच।
लखनऊ(जेएनएन)। कुवैत में नौकरी का झांसा देकर बेरोजगारों से लाखों रुपये की ठगी का मामला प्रकाश में आया है। शनिवार को कुवैत भेजने के लिए जालसाजों ने करीब चालीस युवकों को दिल्ली हवाई अड्डे बुलाया और मोबाइल फोन बंद करके फरार हो गए। पीड़ित मंगलवार को अलीगंज स्थित जालसाजों के खोले गए ऑफिस पहुंचा तो यहां ताला लटका मिला। पीड़ितों ने ऑफिस के बाहर जमकर हंगामा किया। सूचना पर पहुंची पुलिस ने पीडि़तों से तहरीर लेकर कार्रवाई का आश्वासन दिया, तब जाकर हंगामा कर रहे लोग शांत हुए।
ये है पूरा मामला
इंस्पेक्टर अलीगंज अजय कुमार यादव के मुताबिक, ग्लोबल मैनपॉवर कंसलटेंसी के प्रबंध निदेशक मोहम्मद नासिर हुसैन और प्रबंधक सर्वेश कुमार वर्मा ने तीन महीने पहले किराये के मकान में ऑफिस खोला था। शातिरों ने सोशल मीडिया के जरिए कुवैत के अहमदिया में कान्ट्रैक्टिंग एंड ट्रेडिंग कंपनी (केसीएससी) में विभिन्न पदों में नौकरी का विज्ञापन दिया। लोगों ने कंपनी में संपर्क किया तो संचालकों ने पासपोर्ट, वीजा और मेडिकल परीक्षण के नाम पर बीस हजार से 75 हजार रुपये तक जमा कराए थे। सोमवार शाम उत्तर प्रदेश और बिहार के कई युवक दिल्ली पहुंचे और ठग नासिर हुसैन व सर्वेश कुमार वर्मा के मोबाइल नंबर मिलाया, लेकिन नंबर बंद था। ठगों ने केसीएससी में हेल्पर पद से ऑफिस ब्वाय, प्लंबर, स्टोर कीपर, जेसीबी ऑपरेटर, ट्रेन ऑपरेटर समेत अन्य पदों के लिए सौ से 220 दीनार वेतन का लालच दिया था।
140 दीनार की नौकरी दिलाने का दिया झांसा
बिहार के सीवान निवासी कुर्बान अली ने बताया कि कंपनी संचालकों ने उसे वेल्डर के पद पर नौकरी के लिए पासपोर्ट-वीजा के नाम पर बीस हजार रुपये और मेडिकल परीक्षण के नाम पर चार हजार रुपये वसूले। वहीं, देवरिया के एसी तकनीशियन अखिलेश सिंह ने बताया कि उससे भी 24 हजार रुपये लेकर 140 दीनार की नौकरी की बात कही गई थी। इसी तरह मुंबई में रह रहे इलाहाबाद के मूल निवासी मुख्तार खान ने पाइप फिटर पद के लिए बीस हजार रुपये दिए थे।
नौ महीने का अनुबंध व रहने-खाने का मुफ्त लालच
कंपनी के संचालकों ने पीडि़तों से कुवैत में नौकरी के लिए नौ महीने का अनुबंध व रहने-खाने का मुफ्त में लालच दिया था। इसके अतिरिक्त कंपनी की ओर से ट्रांसपोर्ट और मेडिकल की सुविधा भी थी। पीडि़तों का कहना था कि ठग नासिर और सर्वेश ने उन्हें वॉट्सएप पर वीजा भेजा था, जो पड़ताल में फर्जी पाया गया।