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KGMU में दंत चिकित्सकों का शोध में फर्जीवाड़ा, मरीजों के डेटा में घपला- तथ्यों की कराई जा रही पड़ताल

मरीजों के डेटा में घपला व प्रकाशित शोध को कॉपी करने का आरोप। डीन रिसर्च ने दिए जांच के आदेश तथ्यों की कराई जा रही पड़ताल।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Mon, 06 Jul 2020 12:17 AM (IST)Updated: Mon, 06 Jul 2020 08:51 AM (IST)
KGMU में दंत चिकित्सकों का शोध में फर्जीवाड़ा, मरीजों के डेटा में घपला- तथ्यों की कराई जा रही पड़ताल
KGMU में दंत चिकित्सकों का शोध में फर्जीवाड़ा, मरीजों के डेटा में घपला- तथ्यों की कराई जा रही पड़ताल

लखनऊ, जेएनएन। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) में रॉयल्टी की धांधली के बाद शोध में फर्जीवाड़ा का मामला सामने आया है। दंत संकाय के चार डॉक्टरों के रिसर्च पर सवाल खड़े किए गए हैं। साथ ही प्रकाशित करने वाले जर्नल व संस्थान प्रशासन को शिकायत की गई है। इसमें मरीजों के डेटा में घपला करने के गंभीर आरोप लगाए हैं।

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केजीएमयू के दंत संकाय में नौ विभाग हैं। इसमें छह क्लीनिकल हैं, तीन नॉल क्लीनिकल हैं। यहां के डिपार्टमेंट ऑफ ओरल पैथोलॉजी एंड माइक्रो बायोलॉजी विभाग के डॉक्टर पर गंभीर आरोप लगे हैं। मो. हासिम कादरी नाम के शख्स ने ओरल एपिथेलियल डिस्प्ले सियाव हेपेटाइटिस बीमारी के शोध में फर्जीवाड़ा का आरोप लगाया है। दावा है कि डॉक्टरों द्वारा किए गए शोध में कुछ नया नहीं है। पूर्व में संबंधित विषय पर यही रिसर्च प्रकाशित हो चुका है। बावजूद, बगैर वेरीफिकेशन के एक जर्नल में डॉक्टरों का शोध प्रकाशित किया गया है। वहीं, डॉक्टरों ने रिसर्च में मरीजों का जो डेटा दर्शाया है, उसमें भी घपला है। लिहाजा, मई में प्रकाशित शोध को लेकर जर्नल के एडिटर इन चीफ, केजीएमयू कुलसचिव, कुलपति, सदस्य एथिकल कमेटी व डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया को शिकायत भेजी है। इसके बाद संस्थान में हड़कंप है।

मरीजों के आंकड़ों में धांधली

एक्सपर्ट के मुताबिक, ओरल एपिथेलियल डिस्प्ले सिया कैंसर के पहले की बीमारी है। संबंधित डॉक्टरों द्वारा वर्ष 2014 से 2018 तक स्टडी का दावा किया गया है। इसमें विभाग में आए साढ़े आठ सौ से अधिक मरीजों का हवाला दिया गया। शोध में 50 फीसद के करीब मरीज इस बीमारी के पीड़ित बताए गए। वहीं चर्चा है कि विभाग में संबंधित बीमारी के इतने मरीज आए ही नहीं हैं। रजिस्टर से कुछ मरीजों का डेटा लेकर वर्ष के हिसाब से जोड़कर फर्जीवाड़ा किया गया। इसी के आधार पर बीमारी का औसत निकाल दिया गया है। ऐसे ही हेपेटाइटिस बी की स्टडी में भी धांधली की आशंका है। इसमें स्टडी में 11 हजार से अधिक मरीजों में एचबीएसएजी टेस्ट का दावा किया गया। वहीं, 75 फीसद के करीब पुरुष व 25 फीसद के करी महिलाओं में हेपेटाइटिस का दावा किया गया है।

एकिकल अप्रूवल भी नहीं लेने का दावा

केजीएमयू के रिसर्च डीन डॉ. आरके गर्ग ने कहा कि दंत संकाय के डिपार्टमेंट ऑफ ओरल पैथोलॉजी एंड माइक्रो बायोलॉजी के डॉक्टरों पर शोध में गड़बड़ी करने के आरोप हैं। शिकायत में एथिकल एप्रूवल न होने की भी बात कही गई है। संबंधित शोध में चार डॉक्टर शामिल हैं। दफ्तर में संबंधित रिसर्च की दस्तावेजों की पड़ताल कराई जा रही है। इसके बाद डॉक्टरों को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया जाएगा।


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