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आयुष्मान योजना में खेल निराला, साली-सरहज लगा रहे जीजा के जरिए सेंध Lucknow News

आयुष्मान में फर्जीवाड़ा देशभर में छाया हुआ है। कई साली-सरहजों ने भी जीजा के जरिए योजना में सेंध लगा दी है।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Fri, 10 Jan 2020 10:01 AM (IST)Updated: Sat, 11 Jan 2020 07:17 AM (IST)
आयुष्मान योजना में खेल निराला, साली-सरहज लगा रहे जीजा के जरिए सेंध Lucknow News
आयुष्मान योजना में खेल निराला, साली-सरहज लगा रहे जीजा के जरिए सेंध Lucknow News

लखनऊ [संदीप पांडेय]। आयुष्मान में फर्जीवाड़ा देशभर में छाया हुआ है। लाभार्थी परिवारों में एकाएक सदस्यों के ग्राफ बढ़ने से अफसर भी सकते में हैं। वहीं छानबीन में सिस्टम भी दोषी पाया गया। कारण, पोर्टल पर मौजूद ‘रिश्तों की लिस्ट’ में ससुरालीजन भारी पड़ रहे हैं। ऐसे में कई साली-सरहजों ने भी जीजा के जरिए योजना में सेंध लगा दी है।

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यूपी में ‘प्रधानमंत्री जन आरोग्य’ योजना 23 सितंबर 2018 को लांच की गई। इसके लाभार्थियों के चयन का आधार सोशियो इकोनॉमिक कॉस्ट सेंसस (एसइसीसी) वर्ष 2011 की सूची तय की गई। इसमें शामिल परिवारों को पांच लाख रुपये वार्षिक मुफ्त इलाज की सुविधा दी गई। वहीं वर्षो पुरानी एसइसीसी की सूची में परिवार के नए सदस्यों के नाम गायब थे। ऐसे में सरकार ने जुलाई 2019 में नए सदस्यों को जोड़ने के लिए ‘एडऑन’ कार्यक्रम शुरू किया। आशा ने घर-घर जाकर सदस्यों की लिस्ट तैयारी की।

जोड़ने में तय नहीं ‘आर्थिक’ मानक

लाभार्थी परिवारों की लिस्ट भले ही आर्थिक, सामाजिक, जातीय जनगणना के आधार पर तय की गई है। मगर, नए सदस्यों को जोड़ने में आर्थिक मानक तय नहीं हैं। ऐसे में ससुरालीजन सक्षम होने के बावजूद योजना में आसानी से शामिल हो सकते हैं। इसमें फर्जी राशन कार्डो का भी इस्तेमाल किया गया।

परिवार किया गया तलब

चिनहट के 22 सदस्यीय परिवार को सीएमओ कार्यालय तलब किया गया। दो दिन बीत गए, मगर परिवारीजन नहीं आए। इन्हें लिस्ट के शामिल सदस्यों का परिवारिक होने का सबूत देना होगा।

जीजा-दीदी ने चढ़वा दिए नाम

योजना का संचालन स्टेट एजेंसी फॉर कॉम्प्रिहेंसिव हेल्थ एंड इंटीग्रेटेड सर्विसेज (साची) द्वारा किया जा रहा है। ऐसे में पोर्टल पर नए सदस्यों को जोड़ने के लिए 19 रिश्तों का विकल्प दिया गया। इसमें भाई, बहन, पिता, पत्‍नी के अलावा साली, सरहज, साले, ससुर का नाम है। ऐसे में ब्याह कर ससुराल पहुंची लड़की ने आयुष्मान में पति के परिवार में अपनों के साथ-साथ मायके के सदस्यों को भी जुड़वा दिया।

योजना पर एक नजर

  • यूपी में लाभार्थी परिवार एक करोड़ 18 लाख
  • अब तक़ लगभग 90 लाख का ही हो सका वेरीफिकेशन
  • 81 लाख 60 हजार बने कुल गोल्डेन कार्ड
  • लखनऊ में दो लाख 83 हजार 560 कुल सदस्य
  • राजधानी में नौ हजार, 534 सदस्य नहीं मिल रहे ढूंढ़े

ढूंढ़े नहीं मिल रहे 28 लाख सदस्य

लाभार्थी परिवारों में दर्जनों कार्ड जारी हो गए। लखनऊ के चिनहट में ही एक परिवार में करीब 22 सदस्यों के कार्ड बन गए हैं। वहीं वेरीफिकेशन में योजना में शामिल किए गए सदस्य ढूंढ़े नहीं मिल रहे हैं। कारण, कर्मियों को वह घर पर मिल ही नहीं रहे हैं। लखनऊ में जहां नौ हजार 534 सदस्य गायब हैं। वहीं यूपी में 28 लाख सदस्य ढूंढ़े नहीं मिल रहे हैं।

क्‍या कहते हैं अफसर ?

  • नोडल ऑफीसर डॉ. अनूप श्रीवास्तव का कहना है कि साला-साली का ऑप्शन पोर्टल पर है। ऐसे में इन्हें परिवार में शामिल करना मजबूरी है। लाभार्थी परिवार में शामिल करने के लिए रिश्तेदारों की आर्थिक स्थिति की जांच नहीं होती है। यह साची की जिम्मेदारी है।
  • सीईओ-साची संगीता सिंह के मुताबिक, सॉफ्टवेयर सुविधाजनक बनाया गया था। मगर, इसका कुछ लोग दुरुपयोग करने लगे। ऐसे में केंद्र सरकार को लिखकर अब तक 76 बार पोर्टल में संशोधन कराया जा चुका है। अब रिश्तों की लिस्ट में भी सुधार के लिए सुझाव भेजा है।

आयुष्मान सेफ्रैक्चर मरीजों के ऑपरेशन बंद

केजीएमयू में आयुष्मान से फ्रैक्चर मरीजों का ऑपरेशन ठप हो गया है। कारण, वेंडरों का इंप्लांट आपूर्ति ठप करना है। ऐसे में मरीजों का दर्द बढ़ता ही जा रहा है। केजीएमयू की हीलाहवाली व वेंडरों की मनमानी गरीब मरीजों पर भारी पड़ रही है। वह आएदिन स्टेंट व इंप्लांट की आपूर्ति ठप कर देते हैं। ऐसे में मरीजों की जिंदगी दांव पर लग जाती है। गत वर्ष वेंडरों ने बकाया होने पर लारी में स्टेंट, पेसमेकर की आपूर्ति रोक दी। ऐसे में गंभीर हृदय रोगियों की कई दिन तक एंजियोप्लास्टी व पेसमेकर का प्रोसीजर फंसा रहा। वहीं, अब लिंब सेंटर में सप्ताह भर से इंप्लांट की आपूर्ति वेंडरों ने ठप कर दी। लिहाजा, दर्जनभर के करीब आयुष्मान मरीजों का ऑपरेशन फंस गया है।

तारीख पर भी असमंजस

लिंब सेंटर इलाज के लिए पहुंच रहे आयुष्मान के मरीजों को ऑपरेशन की तारीख भी सटीक नहीं मिल पा रही है। कारण, डॉक्टरों को इंप्लांट आपूर्ति का समय ही कंफर्म नहीं है। ऐसे में मरीज-तीमारदार भटकने को मजबूर हैं।

क्‍या कहते हैं केजीएमयू प्रवक्ता ?

केजीएमयू प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह के मुताबिक, लिंब सेंटर में वेंडरों ने इंप्लांट की आपूर्ति ठप की है। चिकित्सा अधीक्षक ने इन्हें नोटिस जारी कर दिया है। जल्द ही समस्या का निस्तारण हो जाएगा।


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