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योगी राज में कानून व्यवस्था सुधरी पर और सुधार जरूरी : रामनाईक

राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि उनका लक्ष्य प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाना था केंद्र और राज्य सरकार के प्रयासों से आज उप्र सर्वोत्तम प्रदेश बनने की राह पर है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Sun, 22 Jul 2018 09:04 PM (IST)Updated: Mon, 23 Jul 2018 07:37 AM (IST)
योगी राज में कानून व्यवस्था सुधरी पर और सुधार जरूरी : रामनाईक
योगी राज में कानून व्यवस्था सुधरी पर और सुधार जरूरी : रामनाईक

लखनऊ (जेएनएन)। राज्यपाल राम नाईक ने कहा है कि जब उन्होंने उप्र के संवैधानिक मुखिया का पद संभाला था तो उनका लक्ष्य प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाना था लेकिन, केंद्र और राज्य सरकार के प्रयासों से आज उप्र सर्वोत्तम प्रदेश बनने की राह पर है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कानून व्यवस्था को लेकर संवेदनशील हैं। निवेशकों ने उप्र में निवेश के लिए जिस तरह का उत्साह दिखाया है, वह सूबे में कानून व्यवस्था सुधरने का संकेत है। हालांकि इसमें अब भी सुधार की गुंजायश है।वह राज्यपाल के रूप में चार साल का कार्यकाल पूरा होने पर रविवार को राजभवन में मीडिया से मुखातिब थे। उन्होंने यूजीसी के निर्देश के बावजूद राज्य विश्वविद्यालयों शिक्षक भर्ती जारी रखने को अनुचित बताया और जांच की बात कहीं।

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सुधार की जरूरत तो अब भी 

राज्यपाल से सवाल किया गया था कि कानून व्यवस्था को लेकर अखिलेश और योगी सरकारों के कार्यकाल में उनका रवैया अलग-अलग रहा है। नाईक ने जवाब दिया कि व्यक्तिगत तौर पर उनके अखिलेश और योगी दोनों से ही मधुर संबंध रहे हैं। अखिलेश सरकार के कार्यकाल में ऐसी घटनाएं ज्यादा घटीं तो उन्होंने संविधान के अनुसार काम किया और कहा कि कानून व्यवस्था में सुधार की जरूरत है। फिर कहा कि अब यदि ऐसी घटनाएं कम हुई हैं तो आपको अच्छा लगना चाहिए। यह भी जोड़ा कि कानून व्यवस्था में सुधार की जरूरत तो अब भी है। अखिलेश यादव द्वारा राज्यपाल में आरएसएस की आत्मा होने के आरोप पर उन्होंने कहा कि 'राज्यपाल रहते हुए मैंने राजनीतिक आरोपों का कभी जवाब नहीं दिया। मेरा मानना है कि इनका जवाब देना राज्यपाल पद की गरिमा के अनुकूल नहीं है।' यह भी कहा कि मैं अपने काम से संतुष्ट हूं और इसका आनंद ले रहा हूं। 

अखिलेश से ज्यादा योगी को लिखे पत्र

इस अवसर पर राज्यपाल ने अपने कार्यकाल के चौथे वर्ष का कार्यवृत्त 'राजभवन में राम नाईक 2017-18' जारी किया। इसमें बताया गया है कि राज्यपाल के तौर पर उन्होंने मुख्यमंत्री को वर्ष 2017-18 में सर्वाधिक 450 पत्र लिखे। यह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कार्यकाल है। वहीं पूर्व के वर्षों यानि 2016-17 में उन्होंने मुख्यमंत्री को 326, 2015-16 में 398 और 2014-15 में 120 पत्र लिखे। यह तीन वर्ष अखिलेश यादव के मुख्यमंत्रित्व काल के हैं। 

महाराष्ट्र सरकार मनाएगी उप्र का स्थापना दिवस

नाईक ने राज्यपाल के तौर पर अपने चौथे वर्ष की खास उपलब्धियों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि उनकी पहल पर राज्य सरकार द्वारा उप्र स्थापना दिवस समारोह मनाना उन्हें सबसे ज्यादा संतुष्टि देने वाली उपलब्धि रही। उप्र अपना स्थापना दिवस मनाने वाला देश का 22वां राज्य बना। उनके प्रयासों से ही उप्र और महाराष्ट्र के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए अनुबंध हुआ। महाराष्ट्र सरकार अगले उप्र स्थापना दिवस आयोजित करेगी। 

कुंभ और गांधी की 150वीं जयंती के लिए आयोजन समितियां

राज्यपाल ने बताया कि अगले साल इलाहाबाद में कुंभ मेले के लिए आयोजन समिति बनायी जा रही है जिसके वह अध्यक्ष होंगे। समिति की घोषणा अगले हफ्ते होगी। वह महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के आयोजन के लिए प्रदेश सरकार द्वारा बनायी गई समिति के भी अध्यक्ष हैं। इस समिति की बैठक अगले सप्ताह होगी। मुख्यमंत्री इन दोनों समितियों के कार्यकारी अध्यक्ष हैं। 

11 साल बाद पढ़ा गया पूरा भाषण

राज्यपाल ने इस पर भी गर्व महसूस किया कि इस साल आठ फरवरी को आहूत राज्य विधानमंडल के प्रथम सत्र के संयुक्त अधिवेशन में विपक्षी दलों के विरोध प्रदर्शन के बावजूद उन्होंने 38 पन्नों का अपना पूरा भाषण पढ़ा। इससे पहले वर्ष 2007 में तत्कालीन राज्यपाल ने अपना पूरा भाषण पढ़ा था।

राज्यपाल से मिले मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को राजभवन जाकर राज्यपाल राम नाईक से भेंट की और चार साल का कार्यकाल पूरा होने पर उन्हें बधाई दी। 22 जुलाई, 2017 से 22 जुलाई 2018 तक योगी की राज्यपाल से यह 23वीं मुलाकात थी। यदि इसे औसत के हिसाब से देखें तो एक साल में दोनों के बीच तकरीबन हर 15 दिनों में एक मुलाकात हुई। 

राज्य विश्वविद्यालय रोकें शिक्षकों की भर्तियां

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के निर्देश के बावजूद कुछ राज्य विश्वविद्यालयों द्वारा शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया जारी रखने को राज्यपाल राम नाईक ने अनुचित बताया है। उन्होंने कहा कि भले ही राज्य विश्वविद्यालय स्वायत्तशासी शिक्षण संस्थान हैं लेकिन, यदि यूजीसी और केंद्र सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ऐसी मंशा है तो उन्हें शिक्षकों की भर्तियां अग्रिम आदेश तक रोक देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि यूजीसी के निर्देश के बाद भी राज्य विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की भर्तियां जारी हैं तो मैं इसकी जांच कराऊंगा। वह विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति भी हैं। 

विश्वविद्यालयों में अराजकता चिंताजनक

विश्वविद्यालयों में अराजकता और हिंसा को चिंताजनक बताने के साथ राज्यपाल ने कहा कि प्रदेश के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में बीते दिनों कुछ ऐसी घटनाएं घटीं लेकिन उनके कामकाज से मेरा सीधा संबंध नहीं है। रही बात लखनऊ विश्वविद्यालय में बीते दिनों हुई हिंसात्मक घटना की, तो अगले दिन मुंबई से लौटते ही मैंने कुलपति, पुलिस अफसरों और सरकार को तलब कर मामले की जानकारी ली थी। उसी दिन हाईकोर्ट ने भी मामले का स्वयमेव संज्ञान ले लिया। अदालत में मामला विचाराधीन होने की वजह से मेरा अब इस मामले में बोलना ठीक नहीं है लेकिन, विश्वविद्यालयों में शांति होना बहुत जरूरी है जिसे बनाये रखने का दायित्व विद्यार्थियों, शिक्षकों, समाज और पत्रकारों पर भी है। राज्य विश्वविद्यालयों के भगवाकरण के सवाल पर राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय स्वायत्तशासी संस्थान हैं और उनके कुलपतियों को काम करने की आजादी है। भगवाकरण के संदर्भ में मेरी ओर से कोई हस्तक्षेप नहीं होता है। 

संशोधन के लिए सरकार को सौंपी रिपोर्ट

राज्यपाल ने बताया कि राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम में संशोधन के लिए उनके विधि परामर्शी की अध्यक्षता में गठित समिति ने कुल 42 बैठकें कर जो रिपोर्ट तैयार की है, वह सरकार को सौंपी जा चुकी है। अब इस पर सरकार कार्यवाही करेगी।  राज्यपाल ने विश्वविद्यालयों में छात्रसंघ चुनाव का फिर समर्थन किया। यह भी जोड़ा कि अभी विश्वविद्यालयों में दाखिले की प्रक्रिया चल रही है। इसके बाद पढ़ाई शुरू होगी। पढ़ाई शुरू होने के बाद ही छात्रसंघ चुनाव होने चाहिए।  राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालयों में शैक्षिक कैलेंडर का अनुपालन हो रहा है। इस सत्र में सभी राज्य विश्वविद्यालयों के दीक्षांत समारोह की तारीखें तय हो गई हैं।


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