कई कारनामों को अंजाम दे चुके हैं फर्जी सैन्य अफसर, चंद रुपयों में मिलती है वर्दी
सैनिक कल्याण निगम का एमडी बन बैठा था फर्जी कर्नल एके वाजपेयी। छात्रा के साथ दुष्कर्म के आरोप में पकड़ा गया था फर्जी मेजर।
लखनऊ(जेएनएन)। जिस सेना की वर्दी को पहनने के लिए युवा संघर्ष कर एनडीए और सीडीएस की कठिन परीक्षा और फिर प्रशिक्षण से गुजरते हैं। वही, सेना की वर्दी महज चंद रुपयों में जालसाजों को फर्जी सैन्य अफसर बना देती है। फर्जी ले. कर्नल अरविंद मिश्र की ही तरह शहर में पहले भी कई जालसाजों ने कारनामों को अंजाम दिया है।
सबसे बड़ा मामला 18 हजार पूर्व सैनिकों को दोबारा नौकरी दिलाने वाले उत्तर प्रदेश पूर्व सैनिक कल्याण निगम में पकड़ा गया था। यहां एके वाजपेयी वर्ष 2000 से 2009 तक निगम का एमडी बना रहा। फर्जी कर्नल एके वाजपेयी ने सेना के सूर्या ऑफिसर्स इंस्टीट्यूट की सदस्यता तक हासिल कर ली थी। नौ साल तक वह उत्तर प्रदेश शासन, सरकार और सेना को गुमराह करता रहा। निगम का एमडी रहते हुए वर्दी सहित कई घोटालों में भी उसका नाम सामने आया। वर्ष 2009 में जब उसका खेल पकड़ा गया तो आशियाना पुलिस में निगम ने मामला दर्ज कराया और फर्जी कर्नल को जेल जाना पड़ा।
यहां भी पकड़े फर्जी अफसर
- 9 फरवरी 2018 को खुद को सेना का डीजी बताकर युवाओं को सीएसडी कैंटीन में नौकरी दिलाने के नाम पर सौरभ सिंह नाम के जालसाज ने की ठगी।
- चार मार्च 2018 को सोशल मीडिया पर वर्दी पहन खुद को मेजर बताने वाले हिमांशु सिंह को एक बालिका का यौन उत्पीडऩ के आरोप में उसे पकड़ा गया।
- 25 जून 2017 को चारबाग स्टेशन पर वर्दी पहनकर घूम रहे सुलतानपुर निवासी फर्जी मेजर सर्वेश कुमार त्रिपाठी पकड़ा गया।
- वर्ष 2008 में फर्जी सैन्य अफसर को चारबाग स्टेशन से पकड़ा गया।
नहीं थम रहा सोशल मीडिया का इस्तेमाल
सेना में जवानों और अधिकारियों को उनकी वर्दी वाली फोटो सोशल मीडिया पर अपलोड करना मना है। इसके बावजूद वाट्सअप और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया के माध्यमों पर सेना के अफसर व जवान अपनी वर्दी के साथ प्रोफाइल अपलोड करते हैं।
कौन रोकेगा वर्दी का खेल
छावनी में खुलेआम बिक रही सेना की वर्दी और साजो सामान का खेल कब और कौन रोकेगा, यह आज तक तय नहीं हो सका है। सैन्य अधिकारियों की मानें तो छावनी ही नहीं कहीं पर भी सेना की वर्दी खुलेआम बिकने पर रोक है। जिसका आदेश रक्षा मंत्रालय ने दे रखा है। अब पुलिस, प्रशासन और छावनी में मुख्य अधिशासी अधिकारी को इसे बेचने पर कड़ी कार्रवाई करना चाहिए। छावनी परिषद के जिम्मेदार कहते हैं कि उनके एक्ट में इसका प्रावधान नहीं है। लिहाजा सेना को ही इसमें आगे आना होगा।