राजनीति में अपराजेय पूर्व विधायक शेर बहादुर से नहीं रहे, लोहिया अस्पताल में तोड़ा दम Ambedkarnagar News
अंबेडकरनगर विधानसभा क्षेत्र से पांच बार जीत चुके पूर्व विधायक शेर बाहदुर का निधन लखनऊ के लोहिया अस्पताल में तोड़ा दम।
अंबेडकरनगर, जेएनएन। विधानसभा क्षेत्र का पांच बार प्रतिनिधित्व कर चुके पूर्व विधायक शेर बहादुर ने दुनिया को अलविदा कह दिया। वे 85 वर्ष के थे। पूर्व विधायक उम्र के अंतिम पड़ाव पर मधुमेह जनित कई रोगों से ग्रसित चल रहे थे। रविवार को लखनऊ के लोहिया अस्पताल में परिजनों की मौजूदगी में सुबह नौ बजे अंतिम सांस ली। पूर्व विधायक की हालत काफी खराब होने पर गत 31 दिसंबर को परिजन ने लखनऊ के मेदांता में भर्ती कराया। यहां से तीन जनवरी को लोहिया अस्पताल लाया गया था। इसके बाद से वे आईसीयू में भर्ती रहे।
पूर्व विधायक शेर बहादुर के निधन की खबर पर समूचा क्षेत्र शोक में डूबा है। उनके निधन को सियासी जगत में बड़ा नुकसान बताते हुए मौके पर पहुंचे नेता प्रतिपक्ष व सहपाठी रहे अहमद हसन ने दुख व्यक्त किया है। पूर्व सांसद डॉ. हरिओम पांडेय, राकेश पांडेय, सांसद रितेश पांडेय, मार्कंडेय वर्मा, विनोद सिंह, पूर्व ब्लॉक प्रमुख राजेंद्र प्रसाद, पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष हाजी कमर हयात, अबुल बशर, आफताब, प्रधान रमबरन वर्मा, लालजी वर्मा आदि ने दुख जताया है। बड़े पुत्र डॉ. राजेश सिंह ने बताया दिवंगत पूर्व विधायक पिता का अंतिम संस्कार सोमवार 20 जनवरी को होगा। पूर्व विधायक शेर बहादुर सिंह की हालत नाजुक सुनकर उनके शुभचिंतकों का अस्पताल में ही जमावड़ा लग गया। खबर सुनते ही रिश्तेदार न्यायाधीश डीएन रंजन सिंह, इंडियन सोशल चेरीटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष शफीक अहमद, बृजेश, विधायक टांडा संजू देवी, पूर्व प्रमुख राजेंद्र प्रसाद, प्रिंसिपल सतेंद्र गुप्त, नृपेंद्र सिंह, सुभाष सिंह मौजूद रहे। अस्पताल से अवश्यक लिखा-पढ़ी के बाद पुत्र बृजेश सिंह एंबुलेंस से पिता का शव लेकर गांव रवाना हुए।
अपराजेय रहे विधायक और भोगा सत्ता का सुख
सपा, बसपा, भाजपा, कांग्रेस और निर्दलीय भी अपनी लोकप्रियता के बूते विधायक बने। सियासी पुरोधा रहे शेरबहादुर सिंह क्षेत्र और जनपद ही नहीं बल्कि प्रदेश स्तर पर अपनी पहचान के मोहताज नहीं थे। तहसील के कन्नूपुर गांव निवासी शेर बहादुर सिंह ने स्नातक की शिक्षा बनारस विश्वविद्यालय से पूरी कर समाज सेवा को अपना उद्देश्य बनाया। वर्ष 1971 में कन्नूपर ग्रामपंचायत के प्रधान बने। बाद में वह जिला पंचायत सदस्य चुने गए। वर्ष 1980 में पहली बार कांग्रेस पार्टी से विधायक बने। वर्ष 1984 में अपनी लोकप्रियता के बूते निर्दल प्रत्याशी के रूप में कांग्रेस को पटखनी देकर विधायक बने। वर्ष 1996 में शेर बहादुर सिंह ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा और जीत हासिल की। वर्ष 2007 में बहुजन समाज पार्टी से विधायक बने। आखिरी बार वर्ष 2012 में समाजवादी पार्टी से विधायक बनने के बाद राजनीति से विमुख हो गए और अपने ज्येष्ठ पुत्र डाॅ. राजेश सिंह को अपना राजनीतिक उत्तराधिकार सौंप दिया।
यही नहीं पूर्व विधायक शेर बहादुर सिंह बाबा बरुआदास पीजी कालेज परुया आश्रम, अंगद सिंह महाविद्यालय समेत आलापुर के चितबहाल आदर्श बालिका इंटर कालेज के प्रबंधक रहे। क्षेत्र में मूलभूत विकास शेर बहादुर सिंह के नाम है। ब्लाक, तहसील भवन, नसोपुर, बंदीपुर, सम्मनपुर पुल, नगपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, सेमरा अस्पताल, जलालपुर नगर पंचायत से नगर पालिका परिषद बनवाने में इनका प्रयास याद रहेगा।