जब पूरे देश में साफ हुई थी कांग्रेस, तब भी जीती थीं बख्शी दीदी
एक सदी जीने के बाद बख्शी दीदी ने कहा अलविदा। 1977 में कांग्रेसी विरोधी लहर भी कम नहीं कर पाई थी स्वरूप कुमार बख्शी की लोकप्रियता।
लखनऊ, जेएनएन। अपने जीवन के 99 साल में चार बार की विधायक वयोवृद्ध कांग्रेस नेता स्वरूप कुमारी बख्शी दीदी दुनिया को अलविदा कह गईं। बख्शी दीदी लखनऊ पूर्वी विधानसभा क्षेत्र में इस कदर लोकप्रिय थीं कि 1977 में इमरजेंसी के बाद कांग्रेस विरोधी लहर भी उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाई थी। उन्होंने तब भी जीत हासिल की। 1974 से 1985 के बीच चार बार विधायक रहीं और प्रदेश में कैबिनेट मंत्री भी बनीं।
वे महात्मा गांधी और पंडित जवाहर लाल नेहरू से प्रभावित होकर स्वतंत्रता आंदोलन में कूदी थीं। 21 साल की उम्र में साल 1940 में वे आंदोलन से जुड़ी थीं। आजादी के बाद कांग्रेस से जुड़ी रहीं और उन्होंने वर्ष 74, 77, 80 और 85 में हुए विधानसभा चुनावों में विजेता होने का गौरव प्राप्त किया था। वे लखनऊ पूर्व विधानसभा क्षेत्र की विधायक रहीं। वे प्रदेश की गृहमंत्री भी रहीं।
उत्कृष्ट साहित्यकारों में भी रहीं शामिल
स्वरूप कुमारी बख्शी प्रख्यात राजनेता होने के साथ ही प्रख्यात साहित्यकार भी रहीं। उनकी अनेक किताबों का प्रकाशन भी हुआ। इन किताबों ने उनको एक अलग पहचान दी थी।
लड़कियों की शिक्षा के लिए किया काम
स्वरूप कुमारी बख्शी ने लड़कियों की शिक्षा के लिए बहुत काम किया। उन्होंने कैसरबाग के नारी शिक्षा निकेतन स्कूल को डिग्री तक की मान्यता दिलवाई थी। इसके अलावा अवध डिग्री कॉलेज की प्रबंधन कमेटी में वे लंबे समय तक उपाध्यक्ष भी रहीं। अंग्रेजी और हिंदी माध्यम की पढ़ाई के लिए लंबे समय तक ये दोनों कॉलेज राजधानी में बहुत प्रतिष्ठित रहे।
भैंसाकुंड में आज होगा अंतिम संस्कार
बख्शी दीदी का अंतिम संस्कार रविवार को सुबह पौने ग्यारह बजे भैंसाकुंड श्मशान घाट में होगा।