लखीमपुर के चर्चित सोनम हत्याकांड में पूर्व सीओ सहित दो पुलिसकर्मी दोषी, 26 को होगी सजा
लखीमपुर के चर्चित सोनम हत्याकांड में सोमवार को दो पुलिस वाले दोषी बताए गए हैं। सीबीआई के विशेष जज ने पुलिसकर्मियों को दोषी कराकर दिया है।
लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश की राजनीति को गरमा देने वाले लखीमपुर खीरी के निघासन थाना प्रांगण में एक नाबालिग बालिका का हत्या के मामले में दो पुलिसकर्मियों को दोषी माना गया है। इनको 26 फरवरी को सजा सुनाई जाएगी। निघासन थाना प्रांगण में 10 जून 2011 को नाबालिग बालिका का शव मिला था।
खीमपुर खीरी के निघासन थाना परिसर में हुई सोनम हत्याकांड के मामले में लखनऊ सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश प्रदीप सिंह ने दो पुलिसकर्मियों को दोषी करार दिया है। न्यायालय ने तत्कालीन सीओ इनायत उल्ला खां को साक्ष्य मिटाने और सिपाही अतीक अहमद को हत्या व सबूत मिटाने का दोषी पाया है। वहीं कोर्ट ने दो अन्य आरोपित सिपाही शिवकुमार और उमाशंकर को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया।
26 फरवरी को सुनाई जाएगी सजा
विवेचना के बाद निघासन के तत्कालीन सीओ इनायत उल्ला खां और सिपाही शिवकुमार व उमाशंकर के खिलाफ सबूत मिटाने और सीओ के गनर रहे अतीक अहमद पर हत्या व सबूत मिटाने का आरोप पत्र दाखिल किया गया था। सीबीआइ के लोक अभियोजक दीप नारायन के मुताबिक इस प्रकरण की जांच पहले सीबीसीआइडी कर रही थी, जिसने लखीमपुर खीरी की अदालत में इनायत उल्ला खां के अलावा सभी आरोपितों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। इसमें अतीक पर हत्या व साक्ष्य मिटाने के अतिरिक्त दुष्कर्म का भी आरोप लगा था। वहीं अन्य सबूत मिटाने के आरोपित थे।
सीबीआइ को सौंपी गई थी जांच
हत्याकांड की जांच सीबीआइ को सौंपी गई थी। जांच में अतीक के खिलाफ सिर्फ हत्या और सबूत मिटाने का आरोप पाया गया था, जबकि दुष्कर्म की बात साबित नहीं हो पाई थी। इसके अलावा सीओ पर सबूत मिटाने का आरोप तय हुआ था। 10 जून 2011 को वादिनी तरन्नुम ने एफआइआर दर्ज कराई थी। आरोप है कि उनकी बेटी सोनम भैंस चराने गई थी। भैंस चराते हुए थाने के अंदर चली गई थी। काफी समय बाद भी जब उनकी बेटी वापस नहीं लौटी तो वह उसकी तलाश में थाना परिसर में गई तो देखा कि उनकी बेटी का शव लटक रहा था। सोनम के शरीर पर कई जगह चोट के निशान थे। हत्या का आरोप लगाकर एफआइआर दर्ज कराई गई थी।लखीमपुर के निघासन थाना परिसर में 10 जून 2011 को नाबालिग सोनम का शव मिला था। सोनम का शव थाने परिसर में पेड़ की डाल से दुपट्टे से लटकता मिला था। मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी। सीबीआइ ने भले ही घटना के एक वर्ष बाद ही राजफाश कर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी थी। इस कांड को आत्महत्या का रूप देने वाली पोस्टमार्टम रिपोर्ट बनाने वाले तीन डॉक्टरों को 2018 में तीन डॉक्टरों को सीजेएम कोर्ट ने सजा सुनाई थी।
दरअसल वर्ष 2011 में 10 जून की शाम निघासन थाना परिसर में लगे पेड़ की टूटी टहनी से कस्बे में ही रहने वाली दस वर्षीय बालिका सोनम का शव उसी के दुपट्टे से लटकता मिला था। थाना परिसर में बालिका का शव लटकता मिलने से उस समय खासा हड़कंप मचा था। उसी रात मामले में सोनम की मां तरन्नुम की तहरीर पर अज्ञात के विरुद्ध दुष्कर्म और हत्या का मुकदमा दर्ज कर पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था। अगले दिन मामले में पुलिस कर्मियों पर ही थाने में सोनम की दुष्कर्म के बाद हत्या के आरोप लगे तो मामले ने तूल पकड़ लिया। तब पुलिस पर कार्रवाई की मांग को लेकर निघासन के तत्कालीन समाजवादी पार्टी विधायक केजी पटेल व श्रीनगर के समाजवादी पार्टी विधायक डॉ. आरए उस्मानी निघासन तहसील के बाहर धरने पर बैठ गए। इस बीच घटना के अगले दिन एसपी ने तत्कालीन निघासन एसओ समेत 11 पुलिस कर्मियों को निलंबित कर दिया।
दूसरी तरफ जिला अस्पताल के डॉ. एसपी सिंह, डॉ. एके शर्मा व एके अग्रवाल के पैनल ने सोनम के शव का पोस्टमार्टम किया। इसमें सोनम की मौत फांसी पर लटकने से होना बताया गया और दुष्कर्म की बात भी पुष्टि नहीं हुई। अगले दिन जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट सबको पता चली तो निघासन में नेताओं का जमघट लगना शुरू हुआ। मामला इतना हाईप्रोफाइल हो गया कि राहुल गांधी, राजनाथ सिंह, आजम खां व उमा भारती समेत तमाम बड़े नेता निघासन पहुंचे और सोनम के परिवार से मुलाकात की। इसके बाद शासन ने मामले का गंभीरता से संज्ञान लेकर तत्कालीन कमिश्नर प्रशांत त्रिवेदी व आइजी सुबेश कुमार को खीरी भेजा और साथ ही लखनऊ से आए चार डॉक्टरों के पैनल ने सोनम के शव का दोबारा पोस्टमार्टम किया। इसमें उसकी गला दबाकर हत्या करने की पुष्टि हुई। दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई। इसके बाद पहली बार सोनम के शव का पोस्टमार्टम करने वाले तीनों डॉक्टरों को निलंबित किया गया। उनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हुआ।
इसके बाद में शासन ने घटना की जांच सीबीसीआइडी को सौंपी और तत्कालीन एसपी डीके राय को भी सस्पेंड कर दिया। फिर घटना के 23 दिन बाद सीबीसीआइडी ने मामले का राजफाश करते हुए इस हत्याकांड में तत्कालीन सीओ के गनर अतीक अहमद को हत्या का आरोपी बनाते हुए घटना का राजफाश किया था। बाद में सीबीआइ ने भी अपनी जांच के बाद अतीक अहमद के खिलाफ ही कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की।
टाइम लाइन सोनम हत्याकांड
- 10 जून 2011 : निघासन थाना परिसर में शाम को पेड़ की टूटी टहनी से सोनम का शव लटकता मिला। देर रात सोनम की मां तरन्नुम की तहरीर पर अज्ञात के विरुद्ध हत्या व दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज।
- 11 जून 2011 : सोनम के शव का जिला अस्पताल के तीन डॉक्टरों के पैनल ने पहली बार पोस्टमार्टम किया। इसी दिन थानाध्यक्ष निघासन समेत 11 पुलिस कर्मी निलंबित।
- 12 जून 2011 : एसपी ने प्रेस वार्ता में पोस्टमार्टम रिपोर्ट का किया खुलासा। इसमें यह बताया गया कि सोनम की मौत फांसी पर लटकने से हुई है। दुष्कर्म की भी पुष्टि नहीं हुई।
- 12 जून 2011 : सोनम हत्याकांड का मामला तूल पकड़ा, निघासन में नेताओं का जमघट लगना शुरू।
- 13 जून 2011 : सोनम के शव का दूसरी बार लखनऊ से आए लखनऊ से आए डॉक्टरों के पैनल ने किया पोस्टमार्टम। इसमें सोनम की गला दबाकर हत्या किए जाने की पुष्टि। दुष्कर्म की नहीं हुई पुष्टि।
- 13 जून 2011 : कमिश्नर प्रशांत त्रिवेदी व आइजी सुबेश कुमार ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट की प्रेस वार्ता में जानकारी दी। साथ ही यह बताया कि पहला पोस्टमार्टम करने वाले तीनों डॉक्टरों को निलंबित किया गया और थाने के फालोअर रामचंद्र की गिरफ्तारी हुई।
- 13 जून 2011 : तत्कालीन एसपी डीके राय हटाए गए, उनके स्थान पर अमित चंद्रा को खीरी का एसपी बनाया गया।
- 13 जून 2011 : मुख्यमंत्री ने घटना की जांच सीबीसीआइडी को सौंपी। दूसरी तरफ सोनम हत्याकांड की सीबीआइ जांच कराने को याचिका वी द पीपुल संस्था की ओर से हाई कोर्ट की लखनऊ खंड पीठ में दायर की गई।
- 15 जून 2011 : शासन ने एसपी डीके राय को किया निलंबित।
- 3 जुलाई 2011 : सीबीसीआइडी ने तत्कालीन सीओ निघासन के गनर अतीक अहमद को गिरफ्तार कर सोनम हत्याकांड का किया खुलासा। कहा दुष्कर्म की कोशिश में हुई थी हत्या।
- 9 फरवरी 2012 : सोनम हत्याकांड की सीबीआइ जांच शुरू। तीन सदस्यीय टीम पहुंची निघासन।
- 22 जून 2012 : सीबीआइ ने सोनम केस की चार्जशीट फाइल की। सीबीआई के विशेष जज ने पुलिसकर्मियों को दोषी फरार दिया।