केजीएमयू में प्रसूताओं के इलाज में खेल, छह गुनी महंगी खरीदी गईं दवाएं Lucknow News
केजीएमयू में जननी शिशु स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के बजट को मनमाने ढंग से किया गया खर्च।
लखनऊ, जेएनएन। केजीएमयू में प्रसूताओं के इलाज में बड़ा खेल उजागर हुआ है। यहां जननी शिशु स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के बजट को अनाप-शनाप ढंग से खर्च किया गया है। भर्ती प्रसूताओं की दवाएं दो से छह गुनी महंगी कीमत पर खरीदी गईं। ऐसे में सरकारी धन को लाखों का चूना लगा है। यह खुलासा संस्थान के ही डॉक्टर के लिखे पत्र से हुआ है।
केजीएमयू के क्वीनमेरी में मुफ्त प्रसव की सुविधा है। यहां जच्चा-बच्चा के मुफ्त इलाज के लिए एनएचएम द्वारा धन मुहैया कराया जाता है। वहीं, केजीएमयू में जननी शिशु स्वास्थ्य सुरक्षा (जेएसएसवाइ) का बजट मनमाने तरीके से उड़ाया जा रहा है। यह खुलासा क्रिटिकल केयर मेडिसिन (सीसीएम) के आइसीयू में भर्ती मरीजों के बिलों के सत्यापन से हुआ। विभागाध्यक्ष ने लोकल पर्चेज (एलपी) के जरिये मरीजों की खरीदी गई दवाओं में भारी अंतर पाया। दावा है कि यही दवाएं संस्थान में खुली हॉस्पिटल रिवॉल्विंग फंड (एचआरएफ) की फार्मेसी से सस्ती दर पर मिल सकती थीं। उन्होंने वर्ष 2018 के सिर्फ दो माह के भर्ती मरीजों का आंकड़ा लिया। आइसीयू में भर्ती 31 प्रसूताओं के बिलों का ऑडिट किया। इसमें एलपी की दवाओं का एफआरएफ की दरों से तुलना की, तो दो से छह गुना महंगी दवाएं खरीदने का भंडाफोड़ हुआ। इन मरीजों की एचआरएफ से जहां 10 लाख, 56 हजार 424 रुपये की दवा मिल जातीं, वहीं एलपी से 16 लाख 62, 750 रुपये की खरीदना बताया गया। डॉक्टर ने चिकित्सा अधीक्षक समेत अन्य अधिकारियों को पत्र लिखा है।
दो माह में लाखों, वर्षभर में कितना
डॉक्टर के बिलों के सत्यापन से एलपी के तहत हो रही खरीदारी सवालों के घेरे में है। यहां एक यूनिट के सिर्फ दो माह के 31 मरीजों के बिलों में लाखों का अंतर पाया गया है। वहीं, अन्य यूनिट व विभागों की एलपी की वर्ष भर के मरीजों का ऑडिट हुआ तो मामला करोड़ों के पार जाने की आंशका है।
इन बीमारियों की हैं दवाएं
दरअसल, क्वीनमेरी में भर्ती कई गर्भवती की प्रसव के बाद हालत गंभीर हो जाती है। उनमें हार्ट फेल्योर, रीनल फेल्योर, रेस्परेटरी फेल्योर, ब्लीडिंग, यूरिन पास न होना व शॉक में चले जाने की समस्या हो जाती है। ऐसे में उन्हें ट्रॉमा सेंटर के क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग में भर्ती किया जाता है। यहां भी महिलाओं का इलाज योजना के तहत फ्री करने का प्रावधान है। इनके लिए एंटीबायोटिक समेत उपरोक्त बीमारियों की दवाएं महंगी दरों पर खरीदी गईं।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
विभागाध्यक्ष सीसीएम डॉ. अविनाश अग्रवाल ने बताया कि आइसीयू में प्रसूता भर्ती होती हैं। उनकी एलपी से दवाएं मंगवाई गई थीं। यह दवाएं एचआरएफ से सस्ती मिल सकती थीं। इसको लेकर संस्थान प्रशासन को पत्र लिखा था।
केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ. सुधीर कुमार के मुताबिक दवाओं का क्रय टेंडर के आधार पर होता है। इसमें न्यूनतम दाम ही सुनिश्चित किए जाते हैं। अभी डॉक्टर का पत्र नहीं मिला है। मामले की जांच करवाई जाएगी।
केजीएमयू वित्त अधिकारी मो. जमा ने बताया कि प्रसूताओं का इलाज एनएचएम के बजट से होता है। पत्र की जानकारी नहीं है। प्रकरण की जांच करवाई जाएगी।
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