अल्पसंख्यक कल्याण निदेशालय में नियुक्तियों में फर्जीवाड़ा, पद 75-भर्ती किए 276 Lucknow News
कंप्यूटर ऑपरेटरों की तैनाती में अफसरों का कल्याण। जितने कंप्यूटर नहीं उससे कई गुना ज्यादा ऑपरेटर कर दिए तैनात।
लखनऊ [अजय श्रीवास्तव]। अल्पसंख्यक कल्याण निदेशालय में करीब तीन सौ कंप्यूटर ऑपरेटरों की तैनाती में फर्जीवाड़ा सामने आया है। ऑपरेटरों की तैनाती मंडल कार्यालयों में दिखाई गई है, जबकि मंडल स्तर पर कोई कार्यालय ही नहीं है। यह मामला छात्रवृत्ति और प्रधानमंत्री जन विकास योजना से जुड़ा है।
हर माह साठ से सत्तर लाख के भुगतान से जुड़े इस मामले में यह भी सामने आया है कि विभाग के जिला कार्यालयों में एक या दो ही कंप्यूटर हैं, लेकिन अधिसंख्य जगह चार से छह कंप्यूटर ऑपरेटरों की तैनाती कर दी गई है। इस तरह हर जिले में एक ऑपरेटर की आवश्यकता मानते हुए चाहिए थे 75 और भर्ती किए गए करीब 276 ऑपरेटर।
विधायक ने की थी शिकायत
अल्पसंख्यक कल्याण निदेशालय में सेवादाता एजेंसी के चयन से लेकर कंप्यूटर ऑपरेटरों की तैनाती तक में गड़बड़ी की शिकायत विधायक धीरेंद्र सिंह (जेवर, गौतमबुद्ध नगर) ने मुख्यमंत्री से की थी। आरोप लगाया गया था कि निदेशालय के अधिकारियों ने अपने नाते-रिश्तेदारों को रोजगार देने के नाम पर यह खेल खेला है। जिलों और मुख्यालयों में जितने कंप्यूटर नहीं हैं, उनसे अधिक ऑपरेटरों की तैनाती दिखाई जा रही है।
मुख्यमंत्री के आदेश को भी दबा दिया
विधायक ने 15 अप्रैल को मुख्यमंत्री को शिकायती पत्र भेजा था, लेकिन जांच को दबा दिया गया। इस कारण मुख्यमंत्री के सचिव मृत्युंजय नारायण को 13 मई को प्रमुख सचिव अल्पसंख्यक को पत्र लिखना पड़ा कि मुख्यमंत्री ने जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई करने के आदेश दिए थे, लेकिन जांच को लंबित रखा गया है। इसके बाद विशेष सचिव विजय गुप्ता ने यह जांच निदेशक अल्पसंख्यक कल्याण को ही सौंप दी। निदेशालय के जिन कर्मचारियों के खिलाफ आरोप लगाए गए थे, जांच अब उन्हीं के पास आ गई है। ऐसे में जांच पर सवाल खड़े हो गए हैं।
दे दिए चार ऑपरेटर लेकिन कुर्सी-मेज और न ही कंप्यूटर
रायबरेली की जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी सुनीता देवी ने निदेशक को पत्र लिखकर कहा है कि उनको चार कंप्यूटर ऑपरेटर उपलब्ध कराए गए हैं, लेकिन उनके कार्यालय में न तो कंप्यूटर सेट हैं न ही बैठने के लिए कुर्सी-मेज।
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