World Wildlife Day 2021: हर दिन सिमट रहे जंगल, बढ़ रहा मानव-वन्यजीवों का संघर्ष
वन्यजीव भोजन-पानी की तलाश में जंगल से निकलकर गांवों में पहुंच जाते हैं। इससे उनकी जान को भी खतरा रहता है। वन विभाग कैमरा ट्रैप सेल के जरिए जंगल की निगरानी व वन्य जीवों के संरक्षण का दम तो भर रहा है लेकिन संघर्ष पर अंकुश नहीं लग रहा है।
बलरामपुर [अमित श्रीवास्तव]। World Wildlife Day 2021: भारत-नेपाल सीमा से सटा सोहेलवा जंगल 452 वर्ग किलोमीटर में फैला है। जंगलवर्ती गांवों में हर माह तेंदुए के हमले में लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है। वजह, वन्यजीवों का प्राकृतवास प्रभावित होने से वह रिहायशी इलाकों में रुख कर रहे हैं। जंगल में रहने वाले जानवरों को अपने घर में मानव का हस्तक्षेप रास नहीं आ रहा है। पेड़ों की कटान से जंगल का दायरा सिमटने के साथ ही वाटर होल भी सूख चुके हैं। वन्यजीव भोजन-पानी की तलाश में जंगल से निकलकर गांवों में पहुंच जाते हैं। इससे उनकी जान को भी खतरा रहता है। वन विभाग कैमरा ट्रैप सेल के जरिए जंगल की निगरानी व वन्य जीवों के संरक्षण का दम तो भर रहा है, लेकिन संघर्ष पर अंकुश नहीं लग पा रहा है।
मानव-वन्यजीवों का बढ़ा संघर्ष : जंगल की चर्चा होते ही जेहन में बाघ व तेंदुए की तस्वीर उभर आती है। हरैया सतघरवा के जंगलवर्ती गांव में तेंदुए की दहशत हमेशा बनी रहती है। 16 जनवरी की रात खेत की रखवाली कर रहे चैलाहवा गांव के किसान अंनतराम व शीतलपुरवा के किसान राम कुमार को जख्मी कर दिया था। 21 फरवरी की रात श्रीकृष्ण गोशाला सहियापुर में बंधी बछिया व 13 फरवरी को तेंदुए ने इटैहिया गांव के पास कुत्ते को निवाला बनाया था। 17 सितंबर बिनोहनी कला गांव निवासी माताप्रसाद यादव की सात वर्षीया बेटी शीला को तेंदुआ उठा ले गया था। 18 जुलाई को भटपुरवा गांव निवासिनी बड़का के चार वर्षीय बेटे कमलेश की तेंदुए के हमले में मौत हो गई थी। यह तो महज बानगी है। बीते पांच साल में करीब 20 लोगों की मौत तेंदुए के हमले में हो चुकी है। बीते 14 फरवरी को तुलसीपुर थाना क्षेत्र के मनकौरा काशीराम में पानी की तलाश में भटकते हिरन को कुत्तों ने नोचकर मार डाला था। एक जून को रमवापुर गांव में जंगली बिल्ला (फिशिंग कैट) को भी कुत्तों ने अपना शिकार बनाया था।
तेंदुआ की संख्या अधिक : तेंदुआ-60, हिरन 153, चीतल 1047, सुअर1160, फिशिंग कैट नौ, नीलगाय 819, सांभर 103, बंदर 3385, लंगूर 2413, लकड़बग्घा 61, लोमड़ी, 94, सियार 393, बिज्जू 32, जंगली बिल्ली 20, सेही 92, गोह आठ, मोर 176, खरगोश 18 व पांच भालुओं के जंगल में होने की पुष्टि कैमरा सेल से हुई है।
सुरक्षा को लेकर विभाग सजग : डीएफओ प्रखर गुप्त ने बताया कि सोहेलवा जंगल की हरियाली व वन्य जीवों की सुरक्षा को लेकर विभाग आधुनिक साजो सामान से लैस हो रहा है। वन्य जीवों की चहलकदमी कैमरा ट्रैप सेल से कैद की जाती है। ड्रोन कैमरा व जीपीएस के साथ शिकारियों के भूमिगत जाल को पकड़ने के लिए मेटल डिटेक्टर मंगाया है।