अंसल के पास रुपया न जमीन, रेरा ने दिया फॉरेंसिक ऑडिट का आदेश
रेरा का फैसला : स्वतंत्र एजेंसी से एपीआइ के 91 प्रोजेक्ट का कराया जाएगा ऑडिट। अब रेरा के अनुमोदन के बाद ही हो सकेगी नई खरीद-फरोख्त। 90 फीसद धन रेरा से अधिकृत अकाउंट में जमा करना होगा।
लखनऊ, (जेएनएन)। एपीआइ अंसल ने सुशांत गोल्फ सिटी के लिए जो पैसा निवेशकों से जमा कराया था, वह कहीं और लगा दिया। अब न उसके पास जमीन बची है, न पैसा। सारी रिक्त जमीन बैंकों के पास गिरवी हैं। रेरा (रियल इस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी) सदस्य बलविंदर कुमार और भानु प्रताप की पीठ ने सुशांत गोल्फ सिटी के 403 निवेशकों की शिकायत पर सख्त आदेश देते हुए एपीआइ अंसल पर कई प्रतिबंध लगा दिए हैं।
रेरा सदस्य बलविंदर कुमार ने गुरुवार को बताया कि सुशांत गोल्फ सिटी की 91 परियोजनाओं का फॉरेंसिक आडिट होगा। अंसल से फंड डाइवर्ट किए गए हैं। कहां से रुपया आया और कहां गया, इन सारी वित्तीय गड़बडिय़ों का पूरा पोस्टमॉर्टम किया जाएगा। अब आगे कोई गड़बड़ न हो इसके लिए वित्तीय पर्यवेक्षक होगा। पर्यवेक्षक कंपनी के पास आए बजट और उसके उपयोग की जांच करेगा। कंपनी अपनी बुकिंग अब केवल रेरा की देखरेख में कर सकेगी। जो भी धन कंपनी को मिलेगा, वह रेरा अधिकृत अकाउंट में ही जमा किया जाएगा।
फॉरेंसिक ऑडिट में पता चलेगा सच
नोएडा अथॉरिटी का ऑडिटर क्यूरी एन्ड ब्राउन ये ऑडिट करेगा। फॉरेंसिक ऑडिट किसी फर्म या व्यक्ति की वित्तीय सूचनाओं के परीक्षण और अदालत में साक्ष्य के रूप में उपयोग के लिए किया जाता है। धोखाधड़ी, गबन या अन्य वित्तीय दावों के लिए इसका उपयोग होता है। इसके माध्यम से वित्तीय गड़बडिय़ों या लापरवाही का पता लगाया जाता है।
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दो हजार निवेशक फंसे
बलविंदर कुमार ने बताया कि हमारे पास 403 शिकायतें आई थीं, जबकि कम से कम दो हजार लोग प्रभावित हुए हैं। एक बड़ी संख्या ईडब्ल्यूएस और एलआइजी में निवेश करने वाली कमजोर वर्ग की है। इसमें एक पीआइएल दायर है। 80 फीसद लोग अपने धन की वापसी चाहते हैं।
बिना बिकी संपत्तियों का बनेगा रिकार्ड
बलविंदर कुमार ने बताया कि ऑडिटर बिना बिकी संपत्तियों का रिकार्ड बनाएगा। इन संपत्तियों को बेच कर आवंटियों को ब्याज सहित धन वापसी की जा सके। सुशांत गोल्फ सिटी के जो प्रकरण एलडीए और आवास विकास परिषद में लंबित हैं, उनको जल्द से जल्द निस्तारित करने का आदेश दिया।
कंपनी पर ये हैं आरोप
- कंपनी ने समय पर संपत्ति आवंटियों को नहीं दी।
- रेरा को भी प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए चार-पांच साल बाद की गलत तिथि बताई गई।
- रिफंड के लिए भी व्यवहारिक योजना नहीं पेश की।
- भूमि न होने के बावजूद आवंटन किये।
- पूरा रुपया लेने के बावजूद कई जगह निर्माण शुरू नहीं।
- बिना सक्षम अधिकारी के अनुमोदन या भूमि न होने के बावजूद झूठ बोलकर धन जमा करवाया।
- कंपनी के अधिकृत खातों में धन जमा न कराकर दूसरी जगह जमा करवाया गया।
अंसल से मांगी ये जानकारियां
- रेरा अधिकृत अकाउंट का विवरण।
- अपूर्ण परियोजनाओं की सूची, उनको पूरा करने की तिथि और जरूरी बजट।
- ऐसे आवंटियों की सूची जो कंपनी को धन नहीं जमा कर रहे।
- ऐसे आवंटी जिनका भुगतान हो चुका है मगर संपत्ति आवंटन नहीं हो रहा।