नाजुक फूल भी मांगते कड़ी मेहनत, बच्चों की तरह रखते हैं ख्याल
प्रदर्शनी का राजा और वर्ष का पुष्प की ट्रॉफी इनके नाम रही। प्रदर्शनी में इनके करीब 300 गमले प्रदर्शित किए गए।
लखनऊ, [दुर्गा शर्मा]। खुशरंग फूलों में शौक और लगन का रंग खास नजर आया। नाजुक फूल भी कड़ी मेहनत मांगते हैं, तब जाकर रंग चटक होता है। एनबीआरआइ में आयोजित पुष्प प्रदर्शनी में चार वर्ष से शामिल हो रहे शंकर दंपती के खाते में सर्वाधिक खिताब (करीब दस) आए। 'प्रदर्शनी का राजा' और 'वर्ष का पुष्प' की ट्रॉफी इनके नाम रही। प्रदर्शनी में इनके करीब 300 गमले प्रदर्शित किए गए। वहीं नेत्रदान, रक्तदान के साथ ही फूलों के जरिए बेटी बचाव का संदेश भी पुष्प प्रेमियों को खूब पसंद आया।
पीएचडी के बाद बागवानी के शौक को विस्तार देने वाली वृंदावन योजना निवासी मंजू शंकर और सिंचाई विभाग से सेवानिवृत्त इंजीनियर जटा शंकर के घर में करीब 2000 गमले लगे हैं। जटा शंकर ने बताया कि कालिंदी कुंज, दिल्ली में 1998 से 2000 तक इंचार्ज रहे हैं। इस दौरान बागवानी खासकर फूलों के प्रति विशेष आकर्षण हुआ। 2013 से लखनऊ में है। घर पर फूल लगाने के साथ ही नर्सरी शुरू की। छत पर 2000 गमलों में गुलदाऊदी और डहेलिया की 75 किस्में लगाई हैं। इस काम में हाउस केयर टेकर इंद्रपाल का योगदान भी कम नहीं है। मंजू शंकर ने बताया कि पिछली बार फ्लावर और किंग ऑफ दशो श्रेणी में पुरस्कार मिले थे।
बच्चों की तरह फूलों का ख्याल
शंकर दंपती को बागवानी में मदद करने वाले इंद्रपाल कहते हैं, बच्चों की तरह फूलों का ख्याल रखना पड़ता है। हवा-पानी के संतुलन के साथ उन्हें कीटों से बचाने के लिए विशेष इंतजाम करना होता है। इंद्रपाल बताते हैं, जुलाई में मदर प्लांट की कटिंग कर रोपाई की जाती है। पहले छोटे पात्र में फिर सितंबर माह में इसे बड़े गमलों में स्थानांतरित करते हैं। अक्टूबर में ये खिलने लगते हैं।
फूलों से महकते संदेश
प्रदर्शनी में साधवानी परिवार (डॉ. जितेंद्र, श्वेता, सिमरन और आर्यन) ने महकते संदेशों के साथ जननायक अटल जी को भी पुष्पमय नमन किया। फूलों के जरिए रक्तदान महादान, नेत्रदान-महादान और बेटी बचाओ आदि की अपील की गई। डॉ. जितेंद्र और पत्नी डॉ. श्वेता पेशे से चिकित्सक होने के साथ लेखक भी हैं। इनकी तीन पुस्तकें ङ्क्षहदी संस्थान से प्रकाशित हो चुकी हैं। साथ ही बागवानी का शौक भी रखते हैं। डॉ. जितेंद्र बताते हैं, पुष्प प्रदर्शनी में वर्षों से प्रतिभाग कर रहे हैं। राज्यपाल राम नाईक भी पुरस्कृत कर चुके हैं।