केजीएमयू में एमबीबीएस-बीडीएस का सत्र शुरू, पहली बार बाउंसर के घेरे में ली गई चरक शपथ
113 वर्ष पुरानी हिप्पोकेट्रिक ओथ से किनारा, एंटी रैगिंग सेल सक्रिय, सुरक्षा घेरे में क्लास में जाएंगे छात्र।
लखनऊ(जागरण संवाददाता)। केजीएमयू में एमबीबीएस-बीडीएस का सत्र शुरू हो गया है। पहले दिन हुए ओरिएंटेशन प्रोग्राम में छात्र-छात्राएं हॉस्टल से कलाम सेंटर बाउंसर के घेरे में पहुंचे। वहीं इस बार हिप्पोक्रेटिक ओथ के बजाए महर्षि चरक शपथ दिलाई गई। यह केजीएमयू के 113 वर्ष के इतिहास में पहली बार हुआ।
कलाम सेंटर में डीन फैकल्टी मेडिसिन डॉ. विनीता दास ने मेडिकोज को पहली बार महर्षि चरक शपथ दिलाई। ऐसे में 1905 से स्थापित कॉलेज में आयोनिक ग्रीक में लिखी गई हिप्पोक्रेटिक शपथ से छुटकारा पा लिया गया। इससे पहले छात्र-छात्रओं को हॉस्टल से कलाम सेंटर तक बाउंसर के घेरे में लाया गया। वहीं पहले दिन एनॉटमी विभाग के डिसेक्शन हॉल में भ्रमण कराया गया। इस दौरान कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट ने छात्र-छात्रओं को अनुशासन की सीख दी। शिक्षकों का सम्मान करें, कैंपस में सड़क किनारे व ड्रेस का पहनावा सही रखें। एंटी रैगिंग दस्ता अलर्ट:
न्यू वीएल हॉस्टल में छात्राएं व न्यू सीवी हॉस्टल में छात्र रहेंगे। इस दौरान आठ गार्ड व दो बाउंसर उन्हें हॉस्टल से कक्षाओं तक ले जाएंगे। इसके अलावा रैगिंग रोकने के लिए हेल्प लाइन नंबर, ई-मेल जगह-जगह डिस्प्ले कर दिए गए हैं। इसकी जिम्मेदारी के लिए प्रॉक्टोरियल बोर्ड में 30 लोगों को शामिल किया गया है।
हॉस्टल के लिए भटके छात्र :
केजीएमयू में 250 एमबीबीएस व 70 बीडीएस के छात्र हैं। इनमें से 150 को ही हॉस्टल मिला है। शाम तक छात्र अभिभावकों संग सामान लेकर भटकते रहे। शाम को सभी का आई कार्ड बनाया गया। ज्यादा सुविधाएं न मागें:
कुलपति ने कहा कि संसाधनों का अभाव है। हॉस्टल में 500 कक्षों की कमी है। ऐसे में कक्षा में तीन से चार लोगों को भी रहना पड़ सकता है। हॉस्टल में बिजली, पानी, एसी व सुविधाओं पर ज्यादा ध्यान न दें। छात्र सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान रखें। वह हॉस्टल के बजाए लाइब्रेरी में अधिक समय दें। कक्षा से गायब तो पहुंचेगा मैसेज:
डॉ. विनीता दास ने कहा कि अब सभी छात्र जॉर्जियन के नाम से पहचाने जाएंगे। उन्होंने कक्षाओं से गायब रहने पर अल्टीमेटम भी दिया। उन्होंने कहा कि ऐसे छात्रों के बारे में मैसेज तुंरत अभिभावकों के मोबाइल पर पहुंचेगा।
शपथ लेकर शेयर की मन की बातें :
- साहिबाबाद निवासी आलोक का कहना है कि मेरे घर में कोई डॉक्टर नहीं था। मम्मी प्रेमलता की इच्छा डॉक्टर बनाने की थी। पहली बार में ही नीट क्वॉलीफाई किया। केजीएमयू में दाखिला मिलने पर सपना पूरा हो गया। - गोरखपुर के शिवा कहते हैं कि मौसी के बेटे डॉक्टर थे। ऐसे में मेरा रुझान भी इधर हुआ। मेडिकल की तैयार की। केजीएमयू में दाखिला मिलने से पूरे घर को गर्व है। अपने परिवार में पहला डॉक्टर बनूंगा। - अनुष्का मिश्र का कहना है कि मेरे पापा बैंक में हैं। मम्मी-पापा के साथ मुडो भी डॉक्टर बनने का शौक था। केजीएमयू में दाखिला मिलना मेरे लिए किसी सपने से कम नहीं है। मैं भविष्य में कार्डियोलॉजिस्ट बनना चाहती हूं। - उरई के रहने वाले दीपाली कहते हैं कि नीट मैरिट के लिहाज से मुझे बीडीएस मिला। मगर केजीएमयू से बीडीएस करना मेरे लिए गर्व की बात है। मैं घर की पहली डॉक्टर बन रही हूं, इसलिए सभी बहुत खुश हैं।