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पीजीआइ की एक और उपलब्‍ध‍ि : हादसे में खराब हुए घुटनों में फ‍िर से लौटा दी जान Lucknow news

एपेक्स ट्रॉमा सेंटर में क्वाडरीसेप्स टेंडन रिपेयर की पहली सर्जरी सफल। हादसे में घायल बरेली निवासी रमेश के घुटनों में नहीं रह गई थी जान।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Tue, 17 Dec 2019 08:58 AM (IST)Updated: Tue, 17 Dec 2019 01:03 PM (IST)
पीजीआइ की एक और उपलब्‍ध‍ि : हादसे में खराब हुए घुटनों में फ‍िर से लौटा दी जान Lucknow news
पीजीआइ की एक और उपलब्‍ध‍ि : हादसे में खराब हुए घुटनों में फ‍िर से लौटा दी जान Lucknow news

लखनऊ, (कुमार संजय)। बरेली निवासी 65 वर्षीय रमेश दुर्घटना में घायल हो गए थे। इसमें उनका पूरा पैर फट गया था। डॉक्टर ने ऊपर से मरहम, पट्टी कर घाव तो ठीक कर दिया, लेकिन रमेश को चलने में दिक्कत होती रही। काफी इलाज कराया, लेकिन फायदा नहीं हुआ। इसके बाद वह संजय गांधी पीजीआइ के एपेक्स ट्रॉमा सेंटर पहुंचे। यहां ऑर्थोपेडिक सर्जन प्रो. पुलक शर्मा को जांच में पता चला कि घुटने को गति देने वाला क्वाडरीसेप्स टेंडन टूट गया है। इस कारण घुटने में गति ही नियंत्रित नहीं हो पा रही है।

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ऐसे की सर्जरी 

प्रो. पुलक ने अपनी टीम के साथ सर्जरी करने का फैसला लिया। समस्या यह थी कि टेंडन अपनी मूल जगह से छह इंच ऊपर खिसक गया था। वह पहले टेंडन को पास लाए फिर फाइबर टेप से उसे आपस में जोड़कर टेंडन को मजबूत किया। कुछ दिन आराम देने के बाद फिजियोथेरेपी कराने लगे। धीर-धीरे पैरों में जान आ गई। अब रमेश बिना किसी सहारे अपने आप चल रहे हैं। प्रोफेसर पुलक के मुताबिक, एपेक्स ट्रॉमा सेंटर में इस तरह की यह पहली सर्जरी है। इस तकनीक को क्वाडरीसेप्स प्लास्टी एंड ट्रांसोसीअस सूचर रिपेयर कहते हैं।

लेना नहीं पड़ेगा किसी का सहारा

रमेश कहते हैं कि घुटनों में दर्द बना रहता था और बिना बैसाखी के सहारे के चलना असंभव था। कई और अस्पतालों में भी इलाज कराया, लेकिन आराम नहीं मिला। अब किसी के सहारे की जरूरत नहीं पड़ती।

एक लाख में से दो लोगों में यह परेशानी

ऐसी चोट बहुत कम पाई जाती है। औसतन एक लाख में एक या दो लोगों में इस तरह की चोट देखी जाती है। समय पर सही इलाज न होने पर चोट ने जटिल रूप ले लिया था। पीजीआइ में जटिल ऑपरेशन में 40-50 हजार रुपये खर्च हुए, जबकि किसी निजी अस्पताल में इस पर दो से तीन लाख रुपये खर्च होते हैं। 


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