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PGI में खुला प्रदेश का पहला पैलेटिव वार्ड, कैंसर मरीजों को दर्द से म‍िलेगी न‍िजात lucknow news

कैंसर मरीजों को दर्द के साथ नहीं बितानी पड़ेगी जिंदगी जारी हुई हेल्पलाइन।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Thu, 19 Sep 2019 12:35 PM (IST)Updated: Fri, 20 Sep 2019 08:24 AM (IST)
PGI में खुला प्रदेश का पहला पैलेटिव वार्ड, कैंसर मरीजों को दर्द से म‍िलेगी न‍िजात lucknow news
PGI में खुला प्रदेश का पहला पैलेटिव वार्ड, कैंसर मरीजों को दर्द से म‍िलेगी न‍िजात lucknow news

लखनऊ, जेएनएन। कैंसर सहित अन्य लाइलाज बीमारी से ग्रस्त मरीजों को दर्द के साथ जिंदगी न बितानी पड़े इसके लिए संजय गांधी पीजीआइ ने प्रदेश का पहला पैलेटिव केयर वार्ड शुरू किया है। यह प्रदेश का पहला संस्थान है जहां पर 20 बेड का पैलेटिव केयर वार्ड सारी सुविधाओं से लैस है। इसका उद्घाटन बुधवार को निदेशक प्रो. राकेश कपूर, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रो.अमित अग्रवाल, एनेस्थीसिया विभाग के प्रमुख प्रो. अनिल अग्रवाल और प्रो. संजय धीराज ने किया। 

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प्रो. संजय धीराज ने बताया कि पैलेटिव केयर कैंसर के अलावा पार्किसंस, अल्जाइमर, ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों को भी दर्द से मुक्ति देगा। कैंसर के 75 फीसद मरीज एडवांस स्टेज में आते हैं, इसलिए इन्हें अधिक पैलेटिव केयर की जरूरत है। पैलेटिव केयर में इसके अलावा मानसिक बल देना भी शामिल है। उत्तर भारत पैलेटिव केयर के मामले में दक्षिण भारत के राज्यों से पीछे है, लेकिन अब हम लोग इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं। इसके अलावा इस वार्ड में पेन मैनेजमेंट के लिए आने वाले मरीजों को भर्ती करने की सुविधा हो गई है। हम नर्व ब्लाक सहित अन्य तकनीक से पेन मैनेजमेंट भी कर रहे हैं। इसके लिए स्पेशल ओपीडी चलती है। पैलेटिव केयर के लिए हेल्पलाइन जारी की गई है, जिसका नंबर  8765530987 है। 

इंटरवेंशन तकनीक से सीधे दर्द की जगह दी जाती है दवा

मॉरफीन घातक नहीं है। कैंसर मरीजों में दवा का पूरा असर उनमें विकसित रिसेप्टर पर ही होता है। अलग-अलग मरीजों में मॉरफीन की अलग-अलग मात्रा दी जाती है। कुछ में पांच मिलीग्राम प्रति चार घंटे से लेकर 800 मिली ग्राम प्रति घंटे तक देनी पड़ती है। इससे 90 फीसद मरीजों को काफी हद तक दर्द से राहत मिल जाती है। कुछ मरीजों में इंटरवेंशन तकनीक से दर्द की जगह पर सीधे इंजेक्शन से ट्यूब से दवा की डोज देकर जिंदगी को आसान बनाया जाता है। 


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