अन्नू भाई के तराशे पत्थरों से बनेगा भव्य मंदिर, 30 साल से चल रहा शिलाएं तराशने का काम
भाई-बेटे के साथ श्रीरामजन्मभूमि न्यास कार्यशाला पहुंचे पहले कारीगर अन्नू। राममंदिर का मॉडल बनाने वाले चंद्रकांत सोमपुरा ने किया था चयन।
अयोध्या, (नवनीत श्रीवास्तव)। रामजन्मभूमि पर मंदिर के रूप में पांच सदी पुराना सपना साकार होने में अब जब चंद दिन ही शेष बचे हैं, तो वर्ष 1990 को रामघाट पर बनी श्रीरामजन्मभूमि न्यास कार्यशाला के पहले कारीगर भी सुर्खियों में हैैं। ये वही अन्नूभाई सोमपुरा हैैं, जिन्होंने प्रस्तावित मंदिर के लिए सबसे पहले पत्थर गढऩा प्रारंभ किया था। आज तक उनकी देखरेख में ही 30 वर्षों से पत्थरों की तराशी जारी है। अन्नू भाई के आने के कुछ दिन बाद गुजरात के अहमदाबाद निवासी गिरीशभाई सोमपुरा भी पहुंचे थे। हालांकि गिरीश अब स्वास्थ्य कारणों से वापस अपने घर लौट चुके हैं।
अन्नू भाई सोमपुरा उस दौर में अपने भाई और बेटे के साथ अयोध्या पहुंचे थे, जब कोई कारीगर यहां आने को तैयार नहीं था। पत्थर तराशी के लिए अन्नू का चयन राममंदिर का मॉडल तैयार करने वाले चंद्रकांत सोमपुरा ने किया था। कार्यशाला आने से पहले वे गुजरात में ठेके पर मंदिर बनवाते थे।
वे बताते हैं कि जब 90 के दशक में चंद्रकांत सोमपुरा ने उनसे कारीगरों को लेकर अयोध्या जाने को कहा, उस समय कोई कारीगर तैयार नहीं था। माहौल की वजह से कारीगरों के घर वाले उन्हें अयोध्या नहीं आने दे रहे थे। यह देख उन्होंने अपने भाई और बेटे के साथ अयोध्या आने का फैसला किया। कुछ दिनों बाद जब माहौल सामान्य हुआ तो राजस्थान से कारीगर लाये गए। फिर कारीगर आते रहे और जाते रहे। अब तक सौ से ज्यादा कारीगर पत्थर तराशी में लग चुके हैं।
वे जब अयोध्या आए थे तो उनकी उम्र करीब 51-52 वर्ष की थी। अब वे 80 साल के हो रहे हैं, लेकिन रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण को लेकर उनका जोश और जज्बा देखने लायक है। कहते हैं 'कई जन्मों के पुण्य की वजह से उन्हें इस कार्य से जुडऩे का अवसर मिला। अब आंखों के सामने मंदिर बनता देखूं यही कामना शेष रह गई है। उनके तीन बेटे हैं, जिसमें एक नौकरी करते हैं और बाकी दोनों इसी पेशे से जुड़े हैं।