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लखनऊ के केजीएमयू अग्निकांड में मरने वालों की संख्या अब आठ

केजीएमयू अग्निकांड में शनिवार से आज सुबह तक मौतों का सिलसिला जारी रहा। रविवार सुबह दो और मरीजों के परिजन परिसर में विलाप करते मिलने पर मृतक संख्या बढ़कर आठ हो गई।

By Nawal MishraEdited By: Published: Sat, 15 Jul 2017 09:24 PM (IST)Updated: Sun, 16 Jul 2017 08:24 PM (IST)
लखनऊ के केजीएमयू अग्निकांड में मरने वालों की संख्या अब आठ
लखनऊ के केजीएमयू अग्निकांड में मरने वालों की संख्या अब आठ

लखनऊ (जेएनएन)। किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के ट्रॉमा अग्निकांड में हुई अव्यवस्था से शनिवार देर रात तक मौतों का सिलसिला जारी रहा। रात तक छह मरीजों की मौत की जानकारी मिली तो रविवार सुबह दो और मरीजों के परिजन परिसर में विलाप करते मिले। इसमें एक शव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पहुंचने पर वार्ड से निकाला गया। घरवालों ने मौत का कारण शिफ्टिंग के वक्त ऑक्सीजन सपोर्ट से हटाना बताया।

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ट्रॉमा सेंटर के द्वितीय तल में शाम करीब सात बजे आग लगी थी। पहले तथा तीसरे तल पर धुंआ भरने लगा। हादसे की जानकारी पर भवन के पांचों फ्लोर पर भर्ती मरीज व उनके तीमारदारों में खलबली मच गई। अन्य तलों पर आग पहुंचने का खतरा बढऩे लगा। आनन-फानन मरीजों की शिफ्टिंग शुरू की गई। किसी मरीज को स्टाफ तो किसी को तीमारदार लेकर भागा। इस दौरान ऑक्सीजन सपोर्ट से हटाए गए मरीजों की जान चली गई। कुछ गंभीर मरीजों का इलाज प्रभावित होने से सांसे थम गईं। सुबह रायबरेली निवासी संतोष व उन्नाव निवासी देवी प्रसाद की मौत का मामला प्रकाश में आया। घरवालों का आरोप है कि रात में मरीजों की शिफ्टिंग करते वक्त ऑक्सीजन हटा दी गई थी, जिससे उनकी मौत हो गई।

सीएम अंदर, शव किया बाहर

रायबरेली के थाना सरेनी निवासी संतोष त्रिवेदी को न्यूरो की समस्या थी। उनका गत रविवार से इलाज चल रहा था। रात में उन्हें ट्रॉमा सेंटर से शताब्दी अस्पताल फेज-टू शिफ्ट किया गया था। उनके साले श्रीकृष्ण तिवारी के मुताबिक रात में शिफ्टिंग के दौरान संतोष का ऑक्सीजन सपोर्ट हटा दिया गया था। शताब्दी पहुंचते ही उनकी मौत हो गई। मगर रात को शव नहीं निकाला गया। उधर, सीएम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सुबह 11:11 बजे जब शताब्दी फेज-टू पहुंचे तो इस दौरान संतोष का शव बाहर निकाल दिया गया। इसके बाद श्रीकृष्ण तिवारी व साथ में मौजूद महिलाएं शताब्दी के बाहर रोते हुए हंगामा करने लगी। वहीं एक हादसे में घायल उन्नाव निवासी देवी प्रसाद (55) का भी ट्रॉमा के तीसरे तल पर इलाज चल रहा था। इनके घरवालों ने भी रात में शिफ्टिंग के वक्त ऑक्सीजन हटाने से मौत का आरोप लगाया है। वहीं, शनिवार रात को हेमंत, काकोरी के वसीम (25), आलमनगर के अरविंद गौतम (40), हमीरपुर की सरस्वती देवी के अलावा एनआइसीयू में भर्ती ललितपुर की लक्ष्मी देवी व रेनू के बच्चों की मौत हुई थी। 

अफसरों ने नकारी मौत

कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट और सीएमएस डॉ. एसएन शंखवार ने मरीजों की मौत को स्वाभाविक बताया। उन्होंने पत्रकार वार्ता में कहा कि ट्रॉमा में रोजाना 10-12 मौत होती हैं। शनिवार को हुए अग्नि हादसे में किसी भी मरीज की मौत अव्यवस्था व इलाज की असुविधा के चलते नहीं हुई है। चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन भी ट्रॉमा सेंटर पहुंचे। उन्होंने अधिकारियों से घटना व मरीजों की हुई मौत के बारे में जानकारी ली। इसके बाद मुख्यमंत्री के साथ घटना स्थल का भ्रमण किया। 

हड़ताल के वक्त भी नहीं मानी थी मौतें

ट्रॉमा सेंटर में गत वर्ष जूनियर डॉक्टरों ने हड़ताल कर दी थी। गेट पर ताला डालकर मरीजों की भर्ती व अंदर इलाज भी बंद कर दिया था, जिससे 12 से ज्यादा मरीजों की मौत हो गई थी। तब भी केजीएमयू प्रशासन हड़ताल व मरीजों की मौत से साफ मुकर गया था। आखिरकार कोर्ट ने मामला संज्ञान में लेकर हड़ताली डॉक्टरों पर लाखों रुपये का जुर्माना लगाया। इसके बाद भी केजीएमयू प्रशासन ने कोर्ट में डॉक्टरों के बचाव के लिए कई तर्क दिए। 

पहले भी लग चुकी आग

  1. एटीएलएस
  2. फिजियोलाजी
  3. बाल रोग विभाग
  4. पैराप्लीजिया विभाग
  5. पैथोलॉजी विभाग 
  6. गांधी वार्ड

सांसत में रही मरीजों की जान

केजीएमयू में आग लगने का यह मामला पहला नहीं है। इसे पहले भी यहां पर कई बार आग लग चुकी है।केजीएमयू के फिजियोलॉजी विभाग की प्रयोगशाला में इसी साल मई महीने में आग लगी थी। भीषण धुंआ निकलने से काम कर रहे डॉक्टर व कर्मचारी घबराकर जान बचाने के लिए भागे। इसकी वजह से वहां भगदड़ मची थी। उस समय भी एअर कंडीशन में शार्ट सर्किट से आग लगने की आशंका जाहिर की गई थी। आग बुझाने के इंतजाम न होने से कर्मचारी घबरा गए थे। केजीएमयू के बाल रोग विभाग, पैराप्लीजिया विभाग, पैथोलॉजी, गांधी समेत दूसरे वार्डों में आग लगने की घटनाएं हो चुकी हैं। इसके बावजूद केजीएमयू को आग से बचाने के लिए पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए हैं। अफसरों की हीलाहवाली से मरीजों की जान सांसत में रही है।


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