तंग बाजार, यहां घरों के गोदामों और तहखानों से चोरी-छिपे होता पटाखा कारोबार
मानक ताक पर रखकर गोदामों में जमा है बारूद का जखीरा, फिर भी अफसर मौन।
लखनऊ(जेएनएन)।इसे अफसरों की लापरवाही ही कहेंगे क्योंकि रोक के बावजूद यहियागंज में अवैध कारोबारियों ने पटाखों का जखीरा जमा कर लिया है। घरों के गोदामों और तहखानों में भंडार लगा लिए हैं। भले ही पटाखों के गोदाम तक शहर के बाहर रखने का दावा किया गया हो लेकिन, बच्चों की पिस्टल और धमाके वाली गोलियों की आड़ में धड़ल्ले से पटाखे बेचे जा रहे हैं।
बची कसर बिजली के तार पूरी कर रहे हैं। हादसों को न्योता देते जर्जर बिजली के लटकते तार, गलकर तिरछे हो चुके बिजली के खंभे आपको यहां कहीं न कहीं दिख जाएंगे। ऐसे में मामूली सी असावधानी हादसे का एक बड़ा कारण बन सकती है। सुरक्षा मानक ताक पर रखकर तंग गलियों में होता पटाखे का कारोबार और यहियागंज बाजार के हालात को बयां करती नीरज मिश्र की रिपोर्ट...।
संकरी गलियों में होता कारोबार
तकरीबन 12 से 15 फीट चौड़ी सड़क। उस पर दोनों ओर अवैध कब्जे। इन्हीं के बीच कारोबारियों का जमावड़ा। हाल यह कि पैदल चलना भी मुश्किल है। यहां आम दिनों में छोटी दमकल का प्रवेश भी आसान नहीं होता है तो पर्व के दौरान यदि हादसा हो गया तो नियंत्रण असंभव होगा।
गुम हो गए नौ फायर हाइड्रेंट्स
अपरिहार्य स्थिति से निपटने के लिए यहियागंज में चौकी के सामने, पीपल के पेड़ के पास, बर्तन बाजार, आजाद छाता वाले, टेढ़ी बाजार समेत करीब नौ स्थानों पर फायर हाइड्रेंट्स बनाए गए थे। अवैध कब्जों और अनियोजित तरीके से सड़क पर बनी दुकानों ने इन दमकल प्वाइंट्स को भी लील लिया। हाल यह है कि हादसे के वक्त फायर हाइड्रेंट्स ढूंढऩे पर भी नहीं मिलेंगे।
1188 दुकानें, 20 हजार लोगों का रोज आवागमन, सुरक्षा का पता नहीं
यहियागंज बाजार में 1188 दुकानें हैं। यहां प्रतिदिन लखनऊ और आसपास के जिलों से तकरीबन 20,000 लोग रोज कारोबार के सिलसिले में यहां आते हैं। बावजूद इसके सुरक्षा के नाम पर यहां कोई इंतजाम नहीं हैं।
1990 में हुए हादसे के बाद भी नहीं ले रहे सबक
वर्ष 1990 में यहियागंज में पटाखा बाजार में भीषण अग्निकांड हुआ था। इसमें कई लोगों की जान चली गई थी। कई बुरी तरह झुलस गए थे। उसके बाद इस घने इलाके में पटाखा कारोबार पर रोक लगा दी गई थी। लेकिन आज भी यहां पटाखा बिक्री जारी है।
क्या कहते हैं व्यापार मंडल अध्यक्ष ?
यहियागंज व्यापार मंडल अध्यक्ष अमरनाथ मिश्र का कहना है कि यहियागंज बाजार में जर्जर तारों को दुरुस्त कराने के लिए खूब लिखापढ़ी की गई पर हुआ कुछ नहीं। नौ फायर हाइड्रेंट्स खोलने के लिए भी कई बार पत्राचार किया लेकिन, अफसरों ने ध्यान नहीं दिया। अगर फायर हाइड्रेंट्स की पाइप लाइन चालू करा दी जाए तो बाजार में हादसे से निपटने के लिए पर्याप्त पानी हरवक्त मौजूद रहेगा।