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UP News: दो एसडीएम व पांच राजस्व निरीक्षकों पर मुकदमा, किसानों की जमीन में घपला कर किया करोड़ों का खेल

किसानों की जमीनों में घपला कर करोड़ों का खेल करने वाले दो एसडीएम व पांच राजस्व निरीक्षकों पर मुकदमा दर्ज किया गया है। शासन के आदेश के बाद विजिलेंस ने इस मामले की जांच की और गड़बड़ मिलने पर धोखाधड़ी व भ्रष्टाचार की धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया।

By Prabhapunj MishraEdited By: Published: Sat, 20 Aug 2022 09:44 AM (IST)Updated: Sat, 20 Aug 2022 09:44 AM (IST)
UP News: दो एसडीएम व पांच राजस्व निरीक्षकों पर मुकदमा, किसानों की जमीन में घपला कर किया करोड़ों का खेल
किसानों की जमीन में घपला करने पर दो एसडीएम व पांच राजस्व निरीक्षकों पर मुकदमा

लखनऊ, राज्य ब्यूरो। यूपी में किसानों की जमीन में घपला कर करोड़ों की धोखाधड़ी करने के एक मामले में दो एसडीएम व पांच राजस्व निरीक्षकों पर मुकदमा दर्ज किया गया है। ये कार्रवाई विजिलेंस की शुरुआती जांच के बाद शासन के आदेश पर हुई है।

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सरकार को हुआ पांच करोड़ का नुकसान

  • सतर्कता अधिष्ठान (विजिलेंस) की जांच में अमरोहा की धनौरा तहसील में किसानों की जमीन में खेल कर करोड़ों रुपये का घपला पकड़ा गया है।
  • विजिलेंस ने शासन के आदेश पर मामले की खुली जांच करने के बाद अब अमरोहा में तैनात रहे दो तत्कालीन एसडीएम व पांच राजस्व निरीक्षकों के खिलाफ धोखाधड़ी व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम समेत अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है।
  • विजिलेंस के निरीक्षक रतनलाल कनौजिया की ओर से दर्ज कराए गए मुकदमे में अमरोहा की धनौरा तहसील में तैनात रहे तत्कालीन एसडीएम राम नारायण सिंह धामा व देश दीपक सिंह के अलावा तत्कालीन राजस्व निरीक्षक रणजीत सिंह, प्रभारी राजस्व निरीक्षक नौबहार सिंह, परमेश्वरी लाल, रमेश चंद्र सक्सेना तथा राधेश्याम को नामजद आरोपित हैं।
  • आरोपितों ने धनौरा तहसील के कुछ किसानों से मिलीभगत कर धारा 143 के तहत उनकी जमीनों को अकृषिक व व्यावसायिक घोषित कर दिया।
  • अधिकारियों ने किसानों से अनुचित लाभ लेने के लिए उनकी इन जमीनों के फर्जी कागजात भी तैयार करवाए थे और उन्हें धारा 143 की प्रक्रिया में असली बताया गया।
  • इसके बाद किसानों की जमीनों के दाम छह गुणा तक बढ़ गए थे। बाद में मध्य गंगा निर्माण खंड-4 के लिए जमीनों की जरूरत पड़ने पर उन जमीनों के 22 गाटा में से तीन का सिंचाई विभाग द्वारा बैनामा कराया गया और विभाग को जमीनों की छह गुणा अधिक कीमत चुकानी पड़ी। इसके चलते सरकार को लगभग पांच करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था।

उल्लेखनीय है कि शासन ने 28 दिसंबर, 2017 में विजिलेंस को इस मामले की खुली जांच का आदेश दिया था। विजिलेंस की जांच में आरोपित अधिकारियों का दोष सामने आया। विजिलेंस की रिपोर्ट पर शासन ने 14 जुलाई, 2022 को मामले में आरोपितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर विवेचना का आदेश दिया था।


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