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सात फेरे तो पूरे, अनुदान का फेरा आठ माह बाद भी अधूरा

सीएम सामूहिक विवाह योजना के तहत विवाह करने वाले दूल्हा-दुल्हन के खाते में नहीं पहुंची सहायता राशि। चेक के लिए लगाना पड़ रहा चक्‍कर।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Fri, 11 Jan 2019 01:08 PM (IST)Updated: Fri, 11 Jan 2019 01:08 PM (IST)
सात फेरे तो पूरे, अनुदान का फेरा आठ माह बाद भी अधूरा
सात फेरे तो पूरे, अनुदान का फेरा आठ माह बाद भी अधूरा

लखनऊ, (अजय श्रीवास्तव)। शहनाई बजी, दूल्हा-दुल्हन घर पहुंच गए और मुख्यमंत्री की सामूहिक विवाह योजना सार्थक हो गई, लेकिन अफसर शहनाई की रकम पर कुंडली मारकर बैठ गए। विवाह के एक माह बाद भी योजना में शामिल वर-वधू को अनुदान की रकम नहीं मिल पाई है।

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सरोजनीनगर के ग्राम गांधी ग्राम बरौली की कुसुमा, रहिमा, तबिता, शांती और कांशीराम योजना सदरौना की आंचल को भी मुख्यमंत्री विवाह योजना में शामिल किया गया था। सरोजनीनगर खंड विकास अधिकारी की तरफ से दस दिसंबर 2018 को इनका विवाह कराया गया था। विवाह बंधन में बंधने के बाद वर-वधू को सरकार की तरफ से मिलने वाले बीस-बीस हजार रुपये के अनुदान के लिए दौड़ना पड़ रहा है। नगरीय क्षेत्र में मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह का आयोजन नगर निगम की तरफ से देखा जा रहा था और अनुदान की राशि भी नगर निगम के खाते में आई थी।

अब जिला समाज कल्याण अधिकारी केएस मिश्र ने नगर आयुक्त को पत्र लिखकर बीस-बीस हजार रुपये का चेक खंड विकास अधिकारी सरोजनीनगर को भेजने को कहा है। इसके अलावा विवाह में भोजन व अन्य पर खर्च हुए पांच-पांच हजार का भी चेक देने को कहा है।

अभी छह सौ जोड़े की तलाश

लखनऊ में कुल 792 जोड़ों को सामूहिक विवाह योजना में शामिल किया जाना है लेकिन अभी तक 192 ही जोड़ों मिल पाए हैं। मुख्य सामूहिक विवाह योजना में जोड़ों का लक्ष्य पूरा न होने पर जिलाधिकारी कौशलराज शर्मा ने नाराजगी जताई है। शासन से सामूहिक विवाह का बजट मिलने के बाद भी लक्ष्य पूरा नहीं हो पा रहा है।

ऐसे बजनी है शहनाई

मुख्यमंत्री ने अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक वर्ग एवं सामान्य वर्ग के गरीबों की पुत्रियों की शादी के लिए सामूहिक विवाह योजना चालू की थी। इसमें निराश्रित कन्या, विधवा की पुत्री, दिव्यांगजन अभिभावक की पुत्री और दिव्यांग कन्या को प्राथमिकता दी जानी है। एक जोड़े पर करीब 35 हजार का खर्च रखा गया है। इसके तहत कन्या के खाते में बीस हजार रुपये जमा होने हैं जबकि विधवा, तलाकशुदा के मामले में सहायता राशि 25 हजार रुपये दी जाती है।


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