Budget 2020 : यूपी में विपक्ष का दांव अभी से बेअसर कर सकती हैं किसान हित की योजनाएं
निर्मला के पिटारे से निकला योगी का चुनावी अस्त्र। मिशन-2022 के लिए कांग्रेस ने बनाई है किसान आंदोलन की रणनीति।
लखनऊ, (जितेंद्र शर्मा)। यूपी में विधानसभा चुनाव 2022 में होने हैं। तब तक मोदी सरकार के दो आम बजट और आने हैं। मगर, चुनाव का एक बड़ा अस्त्र तो योगी सरकार को अभी से मिल गया। किसानों के प्रति सरकार की बेरुखी का जो ढोल पीटकर विपक्ष, खास तौर पर कांग्रेस माहौल बनाना चाहती है, उसकी काट की तमाम उम्मीदें राहतकारी योजनाओं के रूप में इस बजट से निकली हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को जो आम बजट पेश किया, उसमें विभिन्न क्षेत्रों में रियायत-सहूलियतों के साथ किसानों के प्रति सरकार का दिल खास तौर पर धड़कता महसूस हुआ। 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने के वादे को दोहराते हुए उस पर जैविक खेती और खाद्य प्रसंस्करण संबंधी योजनाओं रूपी भरोसे की जिल्द चढ़ाई है। वर्ष 2020-21 में कृषि ऋण के लिए जिस तरह पंद्रह लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, उसकी बड़ी हिस्सेदारी सबसे अधिक आबादी वाला राज्य होने के नाते उत्तर प्रदेश को मिलना लाजिमी है।
बजट की यह घोषणाएं योगी सरकार और भाजपा नेताओं की आवाज को बुलंद करने में सहायक होंगी। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस महासचिव व प्रदेश प्रभारी प्रियंका वाड्रा ने अभी से कमान संभाल ली है। हाल ही में रायबरेली की प्रशिक्षण कार्यशाला में इस फैसले पर अंतिम मुहर लगी कि मिशन 2022 के तहत कांग्रेस अब योगी सरकार के खिलाफ प्रदेश से वार्ड स्तर तक किसान आंदोलन चलाएगी। किसानों को समझाया जाएगा कि सरकार ने उनके लिए कुछ नहीं किया। इसी तरह सपा भी लगातार किसानों की बात उठाए जा रही है। ऐसे में बजट में लाई गई किसान हितैषी योजनाओं की 'ब्रांडिंग' भाजपा बड़े पैमाने पर कर सकी तो कांग्रेस के आंदोलन की 'भ्रूण हत्या' की भी आशंकाएं हैं।
योजनाओं के दायरे में होगी सूबे की नौ करोड़ आबादी
किसान हित की योजनाओं से प्रत्यक्ष रूप से लगभग नौ करोड़ आबादी जुड़ जाती है। सरकारी आंकड़े के मुताबिक, प्रदेश में अभी किसानों की संख्या दो करोड़ 38 लाख 22 हजार है। यदि एक किसान का चार सदस्यों का परिवार औसतन माना जाए तो प्रभावित आबादी की संख्या करीब नौ करोड़ पहुंच जाती है, जबकि प्रदेश की कुल आबादी 22 करोड़ के आसपास है। चूंकि लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा सरकार की किसान सम्मान निधि योजना ही ग्रामीण क्षेत्र में अन्य दलों पर भारी पड़ी थी। ऐसे में बजट से निकला योजनाओं का पिटारा अभी से सकारात्मक माहौल बनाने में सहायक हो सकता है।