यूपी में 15 से लॉकडाउन हटाने पर फैसला केंद्र सरकार से विमर्श के बाद,11-12 तक स्पष्ट होगी स्थिति
Fight Against Corona Virus सीएम योगी आदित्यनाथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये यूपी के सभी जिलों के पत्रकारों से मुखातिब हुए। उन्होंने विभिन्न जिलों से आए सवालों के जवाब दिये।
लखनऊ, जेएनएन। कोरोना वायरस के कहर के बीच में लॉकडाउन हटाने के मामले को लेकर प्रदेश सरकार अभी तैयार नहीं है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि प्रदेश में लॉकडाउन हटाने या जारी रखने का निर्णय केंद्र सरकार से विचार-विमर्श के बाद लिया जाएगा। 11-12 अप्रैल तक ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी। कोरोना पर नियंत्रण के लिए प्रदेश स्तर पर भी कई प्रयास किए गए हैं। इसके सार्थक परिणाम भी आने लगे हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश में मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये प्रदेश के सभी जिलों के पत्रकारों से मुखातिब थे। सबसे पहले उन्होंने प्रदेश में कोरोना को लेकर उपजे हालात और होली के पहले से लेकर अब तक युद्धस्तर पर रोकथाम के किए गए उपायों पर प्रकाश डाला। गरीबों-मजदूरों और जरूरतमंदों को पहुंचाई गई राहत की जानकारी दी। इसके बाद शुरू हुआ पत्रकारों के सवालों-सुझावों और मुख्यमंत्री के जवाब का सिलसिला।
लॉकडाउन के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि तब्लीगी जमात के कारण अचानक कुछ परिस्थितियां बदली हैं। अब तक प्रदेश में जितने केस मिले हैैं, उनमें आधे से अधिक जमातियों के हैं। जमातियों ने चिंता बढ़ा दी है। इसके बाद भी स्थिति हमारे कंट्रोल में है। कोरोना एक संक्रामक बीमारी है, जो पथ, मत, संप्रदाय, धर्म और मजहब नहीं देखती। इसके लिए जरूरी है कि हम सभी बिना किसी भेदभाव के एक साथ इसका मुकाबला करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लिए गए निर्णय व उपायों की बदौलत ही इस पर अब तक कंट्रोल बनाया जा सका है और देश में कोरोना सेकेंड स्टेज पर रुक गया है।
अपर मुख्य सचिव गृह एवं सूचना अवनीश अवनीश अवस्थी ने सबसे पहले राजधानी लखनऊ एनआइसी सेंटर को आमंत्रित किया। किसी कारणवश संपर्क स्थापित न होने पर नोएडा से सवाल लिए गए। वाराणसी, गोरखपुर, लखनऊ, प्रयागराज, आगरा और कानपुर से पत्रकार जुड़ते गए। मुख्यमंत्री सबका जवाब देते गए। महत्वपूर्ण सुझावों पर गंभीरता से अमल करने का आश्वासन भी दिया। इस दौरान मुख्यमंत्री के साथ प्रदेश के सभी आला अफसर मौजूद थे तो पत्रकारों के साथ जिला और मंडल स्तरीय प्रशासन और पुलिस के प्रमुख मौजूद थे।
सभी की सहभागिता बहुत अहम
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना से लड़ाई में शासन-प्रशासन और आमजन की सहभागिता के साथ ही मीडिया का रोल बहुत अहम है। जागरूकता पैदा करने में मीडिया की बड़ी भूमिका है। पत्रकारों ने कोरोना को लेकर सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यों की तारीफ भी की। जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि मीडिया का हर समाज पर गहरा असर होता है। इसी के मद्देनजर अपील करने के लिए आप लोगों को आमंत्रित किया है। अपने सुझाव मौखिक व लिखित रूप में दे सकते हैं। इस दौरान मुख्यमंत्री के समक्ष कम्युनिटी किचन, सर्विलांस बढ़ाने, जनसहभागिता से जुड़े महत्वपूर्ण सुझाव रखे गए। उन्होंने फेक न्यूज, अफवाह और अलगाववाद जैसी खबरों से मीडियाकर्मियों को सजग रहने की बात कही। एक सवाल के जवाब में योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सभी प्रशासनिक अधिकारी व कर्मचारियों को स्वयं के बचाव की हिदायत दी गई है। इसके लिए स्वअनुशासन व सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराया जा रहा है। अब तो मीडिया भी इसकी जागरूकता में सरकार का साथ दे।
जागरूकता ही कोरोना से बचाव का सबसे बड़ा उपाय
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कि यूपी में 10 टेस्टिंग लैब में 1200 से 1500 जांच रोज हो रही है। 6000 से ज्यादा आइसोलेशन बेड हमारे पास तैयार हैं। इसके साथ ही 12000 से ज्यादा लोगों को क्वारनटीन करने की व्यवस्था है। प्रदेश के सभी 75 जिलों में लेवल-1 के हॉस्पिटल एक्टिव हैं। प्रदेश के 51 जिलों में लेवल-2 स्तर और लेवल-3 के छह हॉस्पिटल तैयार कर लिए गए हैं। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के तहत एक लाख 70 हजार करोड़ रुपये जारी किया गया है, जो लोगों के हित के लिए है। एक करोड़ 33 लाख से ज्यादा परिवारों को राशन पर गेहूं और चावल दिया जा रहा है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि दुनिया कोरोना महामारी की चपेट में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत कोरोना से लड़ रहा है। ऐसे में जागरूकता पैदा करने में मीडिया का अहम रोल है। इस बीमारी का सबसे बड़ा उपाय भी जागरूकता ही है। सीएम योगी ने कहा कि हम यूपी में पूरी तरह हालात कंट्रोल कर चुके थे, लेकिन अब बड़ी संख्या को भी हम कंट्रोल कर रहे हैं। कोरोना का पहला संक्रमित तीन मार्च को आया था और एक महीने में इनकी संख्या बहुत ज्यादा हो गई है।
मुंह ढंक कर ही निकलें
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेशवासियों को मास्क के विषय में भी जागरूक करने की जरूरत है। डब्लूएचओ ने भी कॉटन व कपड़े से तैयार किए गए मास्क को सबसे अच्छा बताया है। एन-95 मास्क मेडिकल प्रैक्टिस करने वालों के लिए ही जरूरी है। जन सामान्य के लिए कपड़े से तैयार मास्क बेहतर है। अगर मास्क नहीं उपलब्ध है तो साफ कपड़ा, साफा, तौलिया व बड़े रूमाल का प्रयोग मास्क के तौर पर हो सकता है। मुंह ढंक कर ही घर से निकलें।