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प्रेग्‍नेंसी में हुआ बुखार और... छिन गई नवजात की आंखों की रोशनी-डॉक्‍टरों ने किया कमाल Lucknow News

गर्भावस्‍था में मां को हुआ था बुखार इंफेक्‍शन से चली गई गर्भस्‍थ की आंखों की रोशनी। केजीएमयू लखनऊ के डॉक्‍टरों ने किया इलाज।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Thu, 19 Sep 2019 07:26 PM (IST)Updated: Fri, 20 Sep 2019 08:20 AM (IST)
प्रेग्‍नेंसी में हुआ बुखार और... छिन गई नवजात की आंखों की रोशनी-डॉक्‍टरों ने किया कमाल Lucknow News
प्रेग्‍नेंसी में हुआ बुखार और... छिन गई नवजात की आंखों की रोशनी-डॉक्‍टरों ने किया कमाल Lucknow News

लखनऊ, जेएनएन। गर्भावस्था के दौरान महिला को बुखार आ गया। वह नजर अंदाज करती रही। ऐसे में वायरल इंफेक्शन से पनपे रुबेला वायरस ने शिशु को चपेट में ले लिया। जन्म लेते ही उसकी आंखें मोतियाबिंद का शिकार हो गईं। केजीएमयू के डॉक्टरों ने स्पेशल लेंस डालकर सात माह की बच्ची की रोशनी लौटाई। 

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बाराबंकी निवासी मोहम्मद अबरार की पत्नी को गर्भावस्था के दौरान बुखार आ गया। सभी लोग सामान्य बुखार समझकर इसे नजरंदाज करते रहे। ऐसे में गर्भ में पल रही बच्ची इंफेक्शन की चपेट में आ गई। उसकी आंखों में जन्म से ही मोतियाबिंद बन गया। मासूम रिदा फातिमा की आंखों से पानी आने लगा। परिवारजनों ने कई अस्पतालों में दिखाया। मगर, राहत नहीं मिली। 

केजीएमयू में रुबेला वायरस की पुष्टि 

परिवारजन जुलाई में केजीएमयू के नेत्र रोग विभाग पहुंचे। यहां विभाग के डॉ. सिद्धार्थ अग्रवाल को दिखाया। जांच में रुबेला वायरस की वजह से मासूम में जन्मजात मोबियाबिंद की पुष्टि हुई। इसके बाद ऑपरेशन का फैसला किया गया।

कॉर्निया का साइज भी हो गया छोटा

डॉ. सिद्धार्थ के मुताबिक रुबेला वायरस की वजह से बच्ची की कॉर्निया का साइज भी छोटा हो गया था। अमूमन बच्चों की कॉर्निया की साइज 11 एमएम होती है, जबकि रिदा फातिमा की कॉर्निया की साइज आठ एमएम रह गई थी। लिहाजा, उसमें सामान्य साइज के लेंस फिट होना न मुमकिन था। ऐसे में कंपनी से स्पेशल लेंस बनवाकर जुलाई में ऑपरेशन किया गया। गुरुवार को रिदा फॉलोअप के लिए आई। उसकी रोशनी में काफी सुधार था।

रुबेला वायरस बच्चे को देता कई बीमारियां 

यह बीमारी एक लाख में 14 बच्चों में पाई जाती है। प्रत्येक ऑपरेशन में आधे घंटे का वक्त लगा। रिदा की दोनों आंखों के ऑपरेशन में 10 हजार रुपये खर्च हुए। वहीं, प्राइवेट में इस पर लगभग एक लाख रुपये तक आता है। डॉ. सिद्धार्थ के मुताबिक रुबेला वायरस से बच्चे में मोतियाबिंद, श्रवण शक्ति व हृदय की जन्मजात बीमारियों का खतरा रहता है। ऐसे में गर्भावस्था के पहले तीन माह में बुखार के साथ शरीर में दाने निकलने पर महिलाओं को सतर्क हो जाना चाहिए। 


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