स्नान, दान का पर्व मकर संक्रांति 15 जनवरी को, ये है मान्यता Lucknow News
14-15 जनवरी की मध्य रात्रि 222 बजे मकर राशि में प्रवेश करेंगे सूर्य देव पूजा करने से होगा पाप का नाश।
लखनऊ, जेएनएन। सूर्य देव के पूजन, स्नान और दान का पुण्य पर्व मकर संक्रांति 15 जनवरी को होगी। 14-15 तारीख की मध्य रात्रि 2:22 बजे सूर्यदेव मकर राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्योदय से इसका मान शुरू हो जाएगा। मान्यता है कि इस दिन भगवान सूर्य की पूजा करने से पाप का नाश होता है। लकड़ी, तिल, अन्न, दाल, चावल, पापड़, गुड़, घी नमक और कंबल का दान करने से विशेष पुण्य मिलता है।
भागीरथ के पीछे चली थी मां गंगा
मकर संक्रांति को लेकर मान्यता यह भी है कि इस दिन भागीरथ के तप के साथ धरती पर आईं मां गंगा भागीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि आश्रम होती हुईं सागर में समाहित हुई थीं। आचार्य अनुज पांडेय ने बताया कि इसके बाद से पुण्य धाम गंगा सागर को ख्याति मिली। महाभारत के युद्ध में घायल हुए गंगापुत्र भीष्म पितामह ने इसी दिन देह त्याग किया था। इस दिन गंगा में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है। यह भी कहा जाता है कि सब तीरथ बार-बार गंगा सागर एक बार। एक बार गंगा सागर में स्नान करने वाले मनुष्य को सदा सदा के लिए पाप से मुक्ति मिल जाती है।
राशि के अनुसार दान से मिलेगा विशेष लाभ
संक्रांति में स्नान के बाद दान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। राशि के अनुसार दान करने से विशेष लाभ होता है। आचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि मकर राशि में सूर्य के प्रवेश करने से राशियों में भी परिवर्तन होता है। ऐसे में इसी के अनुरूप दान करना चाहिए।
मेष-गुड़, मूंगफली के दाने व तिल।
वृष-दही, तिल व सफेद वस्त्र।
मिथुन-मूंग दाल, चावल व कंबल।
कर्क-चावल, चांदी व सफेद तिल।
सिंह-तांबा, गुड़ व सोना।
कन्या-खिचड़ी, कंबल व हरा वस्त्र।
तुला-कंबल, शक्कर व सफेद वस्त्र।
वृश्चिक-मूंगा, लाल वस्त्र व तिल।
धनु-पीला वस्त्र, खड़ी हल्दी व सोना।
मकर-काला कंबल, काला तिल व तेल।
कुंभ-काला वस्त्र, काली उड़द व खिचड़ी।
मीन-चने की दाल, चावल, तिल व पीला रेशमी वस्त्र।
समृद्धि की कामना का पर्व सकट 13 को
परिवार की कुशलता, समृद्धि और कष्टों को दूर करने का पर्व सकट गुरुवार को मनाया जाएगा। पर्व को लेकर बाजारों में तिल के लड्डुओं के साथ ही पूजन में प्रयोग होने वाले अन्य सामग्रियों की दुकानें सज गई हैं। आलमबाग कोतवाली के पास और निशातगंज के अलावा डालीगंज समेत अन्य बाजारों में दुकाने ग्राहकों को अपनी ओर खींच रही हैं।
होती है भगवान गणेश की पूजा
आचार्य अनुज पांडेय ने बताया कि यह पर्व श्री गणेश के पूजन का पर्व है। विवाहित महिलाएं परिवार और बच्चों के ऊपर आने वाले संकटों को दूर करने के लिए सकट व्रत रखती हैं। चंद्रमा के पूजन के इस पर्व को चंद्रोदय के समय के अनुसार लिया जाता है। मान्यता है कि इस दिन श्री गणेश ने देवताओं का के कष्ट दूर किए थे। भगवान शंकर ने उन्हें कष्ट निवारण देवता होने की संज्ञा भी दी थी। इसी दिन सिख समाज की ओर से लोहड़ी भी मनाई जाएगी।