बीटेक से महंगी नर्सरी की पढ़ाई, प्राइवेट स्कूलों में एक लाख सालाना ली जा रही फीस
प्राइवेट स्कूलों में एक लाख रुपये तक सालाना ली जा रही नर्सरी की फीस।
लखनऊ(जागरण संवाददाता)। राजधानी के प्राइवेट स्कूलों में अगर आप अपने बच्चे को दाखिला दिलाने जा रहे हैं तो मोटी फीस आपको मजबूरन भरनी ही होगी। कई स्कूलों में 90 हजार से लेकर एक-एक लाख तक नर्सरी से लेकर कक्षा आठ तक फीस की है। वहीं, इंजीनियरिंग कॉलेजों में बीटेक कोर्स में औसतन 80 हजार रुपये तक सालाना लिए जा रहे है। पिछले तीन वर्षो में प्राइवेट स्कूलों में बढ़ी फीस पर नजर दौड़ाए तो हर साल अभिभावकों पर बोझ बढ़ता ही गया है। सिर्फ फीस ही नहीं स्कूलों में होने वाले कार्यक्रमों तक का खर्चा अभिभावकों की जेब से निकाल लिया जाता है। एक निजी स्कूल में अपने दो बच्चों को पढ़ा रहे अभिभावक सुशात कुमार कहते हैं कि मार्च में तो हमें उधार ही लेना पड़ता है। क्योंकि इतनी फीस वेतन से नहीं भर सकते। एक प्रतिष्ठित स्कूल में अपने बच्चे को पढ़ा रही विनीता कहती हैं कि स्कूल वाले हर साल फीस बढ़ाते हैं, सुविधाओं पर तो कोई खास असर देखने को नहीं मिलता। आखिर राज्य सरकार कब सभी निजी स्कूलों की एक फीस तय करेगी। पिछले साल हमें झुंझुना दिया गया था, अब सब खामोश हैं। अन एडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल कहते हैं कि इस बार भी अगर प्राइवेट स्कूलों ने फीस बढ़ाई है तो वह अधिकतम दस प्रतिशत तक ही है। अभी सरकार की ओर से फीस नियमन को लेकर कोई गाइड लाइन नहीं आई। अगर सरकार कोई प्लान लाएगी तो फीस घटा देंगे। शिक्षकों को महंगाई के अनुसार वेतन भी देना है। ऐसे में थोड़ी फीस बढ़ाना लाजिमी है। वहीं सीएमएस के संस्थापक जगदीश गाधी कहते हैं कि दूसरे स्कूलों के मुकाबले हम ज्यादा फीस नहीं बढ़ाते। अच्छी सुविधाएं देते हैं। सोशल मीडिया पर निजी स्कूलों के खिलाफ आक्रोश
वाट्सएप और फेसबुक पर निजी स्कूलों के खिलाफ अभिभावक अपना गुस्सा उतार रहे हैं। वह ऐसे-ऐसे काटरून शेयर कर रहे हैं जिसमें दिखाया जाता है कि स्कूल में बच्चों के बाल काटने का सैलून भी खुला है और सब्जी-फल की दुकान भी। अब स्कूल वाले अभिभावकों से कह रहे हैं कि बाल भी यहीं कटवाओ और फल-सब्जी भी खरीदे। उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेशीय मंत्री व प्रवक्ता डॉ. आरपी मिश्र कहते हैं कि शिक्षा विभाग जब प्राइवेट स्कूलों का गुलाम बना है तो अभिभावक शिकायत करके क्या बिगाड़ लेंगे।
क्या कहना है अफसरों का ?
डीआइओएस डॉ. मुकेश कुमार सिंह का कहना है कि अभिभावक स्कूलों की मनमानी की शिकायत करें। उनका नाम उजागर नहीं होगा। अगर कोई स्कूल अपने यहा कॉपी-किताब बेचता पकड़ा गया तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। क अप्रैल से नया सत्र शुरू होते ही चेकिंग शुरू की जाएगी।