Move to Jagran APP

प्याज उत्पादन में आत्मनिर्भर बनेगा यूपी, किसानों को 12 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर दिया जाएगा अनुदान

उत्तर प्रदेश में प्रतिवर्ष लगभग 15 लाख मीट्रिक टन प्याज की खपत होती है जबकि उत्पादन मात्र 4.7 लाख मीट्रिक टन हो पाता है। प्याज उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लिए कम सिंचाई वाले इलाकों को चिन्हित करके विशेष कार्ययोजना तैयार की गई है। इसकी शुरुआत इसी खरीफ सीजन से होगी।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Fri, 11 Jun 2021 06:00 AM (IST)Updated: Fri, 11 Jun 2021 07:51 PM (IST)
प्याज उत्पादन में आत्मनिर्भर बनेगा यूपी, किसानों को 12 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर दिया जाएगा अनुदान
उत्तर प्रदेश को प्याज उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए किसानों को 12 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर अनुदान दिया जाएगा

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। आलू, गन्ना और खाद्यान्न उत्पादन में उत्तर प्रदेश भले ही अव्वल हो, लेकिन प्याज की खपत पूरी करने के लिए महाराष्ट्र, कर्नाटक, राजस्थान व मध्य प्रदेश जैसे राज्यों का मुंह ताकना पड़ता है। प्रदेश में प्रतिवर्ष लगभग 15 लाख मीट्रिक टन प्याज की खपत होती है, जबकि उत्पादन मात्र 4.7 लाख मीट्रिक टन हो पाता है। प्याज उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लिए कम सिंचाई वाले इलाकों को चिन्हित करके विशेष कार्ययोजना तैयार की गई है। इसकी शुरुआत इसी खरीफ सीजन से होगी।

loksabha election banner

निदेशक उद्यान डा. आरके तोमर ने बताया कि अभी उत्तर प्रदेश में 28,538 हेक्टेयर भूमि पर प्याज की खेती की जा रही है। आत्मनिर्भरता पाने के लिए प्याज की खेती के क्षेत्रफल को एक लाख हेक्टेयर करने की जरूरत है। यानी तीन गुना रकबा बढ़ाने की आवश्यकता है। प्याज उत्पादन के लिए उन इलाकों को चिन्हित किया जा रहा है, जहां जल भराव नहीं होता है। इसके तहत बुंदेलखंड व बृज क्षेत्र के अलावा गंगा के किनारे बसे वाराणसी, जौनपुर, मीरजापुर, गाजीपुर, कौशांबी, कानपुर, फतेहपुर, फर्रुखाबाद, कन्नौज व इटावा में प्याज की खेती को बढ़ावा देने की योजना है।

किसानों को दिया जाएगा अनुदान : प्याज उत्पादन में उत्तर प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए किसानों को 12 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर अनुदान दिया जाएगा। किसानों को उन्नत प्रजाति के एग्रीफाउंड डार्क रेड, भीमा सुपर तथा लाइन 883 बीज भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं। अमूमन एक हेक्टेयर में करीब 50 हजार रुपये की लागत से 150 से 200 क्विंटल प्याज की पैदावार होती है।

उद्यान विभाग के अफसरों ने तैयार की योजना : कृषि विशेषज्ञों के अनुसार राज्य में प्याज उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्याज की खेती के क्षेत्रफल को एक लाख हेक्टेयर तक किए जाने की जरूरत है। जब एक लाख हेक्टेयर भूमि में प्याज की खेती होने लगेगी तब ही सूबे की जरूरत के मुताबिक प्याज का उत्पादन हो पाएगा। यह कठिन कार्य है पर इसे किया जा सकता है। उद्यान विभाग के अफसरों ने इसके लिए एक कार्ययोजना तैयार की है। इसके अनुसार हर जिले में उन इलाकों को चिन्हित किया गया है, जहां बरसात में पानी का भराव नहीं होता।

गंगा किनारे बसे जिलों में दिया जाएगा बढ़ावा : गंगा के किनारे बसे वाराणसी, जौनपुर, मिर्जापुर, गाजीपुर, कौशाम्बी, कानपुर, फतेहपुर, फर्रुखाबाद, कन्नौज, इटावा और बुंदेलखंड के जिलों में प्याज की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके तहत खरीफ की सीजन में गंगा के किनारे वाले इन जिलों में प्याज की खेती के रकबे में दो हजार हेक्टेयर का इजाफा करने का फैसला किया गया है। अभी गंगा के किनारे के इन जिलों में 4 हजार हेक्टेयर रकबे में करीब 80 हजार मीट्रिक टन प्याज का उत्पादन होता है। इसके अलावा प्याज की खेती करने वाले किसानों को 12 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर अनुदान दिया जाएगा।

खरीफ सीजन से होगी शरुआत : सरकार का मत है कि प्याज की खेती को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे प्रयासों से सूबे में किसानों की आमदनी में इजाफा होगा और प्रदेश की भी घरेलू जरूरत भी पूरी होगी। जिसके चलते राज्य को दूसरे राज्यों से प्याज मंगवाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और राज्य में प्याज की कमी के चलते इसके दाम बढ़ेंगे नहीं। किसानों को उनके प्याज की उचित कीमत मिलती रहेगी। इसी सोच के तहत इस खरीफ के सीजन में किसानों को प्याज की खेती करने के लिए प्रोत्साहित करना शुरू किया है।

किसानों को दिए जा रहे उन्नत बीज : उत्तर प्रदेश में प्याज की फसल बेहतर हो इसके लिए एग्रीफाउंड डार्क रेड, भीमा सुपर तथा लाइन 883 बीज किसानों को उपलब्ध कराए जा रहें हैं। इस बीज से बेहतर किस्म का प्याज किसानों को मिलेगा और प्रति हेक्टेयर क्षेत्र में ज्यादा प्याज की पैदावार होगी। अमूमन एक हेक्टेयर क्षेत्र में करीब 50 हजार रुपये की लागत से करीब 150 से 200 क्विंटल प्याज की पैदावार होती है। इन बीजों के उपयोग से प्याज की पैदावार में इजाफा होगा और किसानों की आय भी बढ़ेगी। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.