मुआवजे की मांग पर मेरठ में पानी की टंकी पर चढ़े किसान
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की प्रमुख औद्योगिक नगरी मेरठ में आज एक दर्जन किसान पानी की टंकी पर चढ़ गये हैं। यह सभी मेरठ विकास प्राधिकरण की नई मुआवजा नीति के तहत मुआवजा मांग रहे हैं।
लखनऊ। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की प्रमुख औद्योगिक नगरी मेरठ में आज एक दर्जन किसान पानी की टंकी पर चढ़ गये हैं। यह सभी मेरठ विकास प्राधिकरण की नई मुआवजा नीति के तहत मुआवजा मांग रहे हैं।
नयी नीति के तहत मुआवजे की मांग करते हुए किसान दो वर्ष से धरना दे रहे हैं। शताब्दीनगर योजना के किसान आज काफी उग्र हो गये। अब उन्होंने एमडीए के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। किसानों ने धरनास्थल पर महापंचायत की। इसके बाद एक दर्जन से ज्यादा महिला-पुरुष किसान पानी की टंकी पर चढ़ गये हैं। यह सब वहां से कूदकर जान देने की धमकी दे रहे हैं। जिससे प्रशासन व पुलिस में खलबली मच गई है। शताब्दीनगर योजना के लिए जमीन देने वाले चार गांवों के किसान अब नई नीति के तहत सर्किल रेट से चार गुनी दर के बराबर मुआवजा मांग रहे हैं। 24 महीने से यह एमडीए के सभी विकास कार्य बाधित करके धरना दे रहे हैं। डीएम की अध्यक्षता में उनकी कई बार वार्ता भी हो चुकी है, लेकिन एमडीए उनकी मांग मानने को तैयार नहीं है। डीएम की मांग पर 22 अप्रैल को किसानों ने 3300 रुपये प्रति मीटर की दर से मुआवजा की मांग रखी थी। अधिकारियों की ओर से इस बारे में कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया न मिलने से गुस्साए किसान उग्र आंदोलन के मार्ग पर उतर आए हैं। धरने का नेतृत्व कर रहे किसान नेता विजयपाल घोपला मंगलवार से आमरण अनशन पर बैठ गए हैं। आज किसानों ने धरनास्थल पर महापंचायत बुलाई। जिसमें चार गांवों के अलावा दूर-दूर से किसान तथा भाकियू नेता पहुंचे। हजारों की संख्या वहां जुटी है। विजयपाल घोपला के नेतृत्व में दो दर्जन से ज्यादा महिला व पुरुष किसान पानी की टंकी पर चढ़ गए। उन्होंने वहां से कूदकर जान देने की घोषणा कर दी है। जिससे जिला प्रशासन तथा पुलिस में खलबली मच गई है। यहां आनन फानन में एसीएम, सीओ पुलिस समेत तमाम अधिकारी मौके पर पहुंच गए हैं। फायर ब्रिगेड की चार गाडिय़ां भी बुला ली गई है, लेकिन किसान अफसरों की एक नहीं सुन रहे हैं। तमाम प्रशासनिक अफसर टंकी पर चढ़े किसानों को नीचे उतारने की कवायद में जुटे हुए हैं।