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लखनऊ की श्वेता मौर्य को मिला अभिनव महिला किसान पुरस्कार lucknow news

अमचूर आम पना और अमावट बनाने की नवीन विधि प्रयोग कर बढ़ाई गुणवत्ता।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Fri, 06 Sep 2019 08:51 PM (IST)Updated: Sat, 07 Sep 2019 08:04 AM (IST)
लखनऊ की श्वेता मौर्य को मिला अभिनव महिला किसान पुरस्कार lucknow news
लखनऊ की श्वेता मौर्य को मिला अभिनव महिला किसान पुरस्कार lucknow news

लखनऊ, जेएनएन। आंधी और तेज हवा से गिरे कच्चे आम को यूं तो पारंपरिक रूप से खटाई बनाकर बहुत सी ग्रामीण महिलाएं धनोपार्जन करती हैं, परंतु धूप में सुखाई गई खटाई काली पड़ जाती है। बिचौलिये ऐसी खटाई को औने-पौने दाम में खरीदते हैं। इससे महिला किसानों को अच्छे दाम नहीं मिल पाते।

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केंद्रीय उपोष्ण वैज्ञानिक संस्थान (सीआइएसएच) के वैज्ञानिकों ने फार्मर फस्र्ट परियोजना के अंतर्गत 30 महिलाओं का समूह बनाकर मोहम्मद नगर तालुकेदारी गांव में कच्चे आम के प्र्रसंस्करण पर प्रशिक्षण दिया। महिलाओं को आंधी के कारण गिरे हुए आम के कच्चे फलों से अमचूर बनाने की उन्नत तकनीकी सिखाई गई। इसके अलावा महिलाओं को अमचूर बनाने में उपयोग आने वाले उपकरण जैसे मैंगो पीलर तथा सोलर डीहाइड्रेटर उपलब्ध कराया।इससे प्रेरित होकर महिला किसान नवीन विधि से अमचूर बनाकर अच्छे दाम पर बेच रही हैं।

मोहम्मद नगर तालुकेदारी गांव की महिला किसान श्वेता मौर्य को हैदराबाद स्थित आइसीएआर-राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन अकादमी की ओर से अभिनव किसान पुरस्कार के लिए चुना गया। यह पुरस्कार आइसीएआर के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्र ने दिया। पुरस्कार के लिए देशभर से केवल आठ किसानों का चयन किया गया था, जिसमें श्वेता मौर्य भी हैं। वह अमचूर के अलावा आम पना एवं विभिन्न प्रकार के अचार भी बनाती हैं।

श्वेता बेहद उत्साहित हैं।

वह कहती हैं कि अमचूर, आम पना, अचार एवं अमावट के लिए लोग उनसे संपर्क कर रहे हैं। हैदराबाद, मध्यप्रदेश से आर्डर मिले हैं। वह एक सफल उद्यमी बनना चाहती हैं। कहती हैं केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. पवन गुर्जर और निदेशक डॉ. शैलेंद्र राजन के सहयोग से यह संभव हुआ। परियोजना अन्वेषक डॉ. मनीष मिश्रा बताते हैं कि जिन महिलाओं को इस तकनीक से जोड़ा गया, उन्हें पारंपरिक विधि से कार्य करने वाली महिलाओं की तुलना में 30 प्रतिशत अधिक आय प्राप्त होती है।  


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