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विवेक तिवारी हत्याकांडः परिवार वालों को पुलिस पर भरोसा नहीं, सीबीआइ जांच की मांग

विवेक तिवारी की पुलिस गोली से मौत के बाद परिवारवालों को पुलिस पर भरोसा नहीं है। सीबीआइ जांच, सीएम योगी की निगरानी, मौत को सम्मान, आर्थिक सामाजिक सुरक्षा की मांग रहे हैं।

By Nawal MishraEdited By: Published: Sat, 29 Sep 2018 06:13 PM (IST)Updated: Sun, 30 Sep 2018 07:37 AM (IST)
विवेक तिवारी हत्याकांडः परिवार वालों को पुलिस पर भरोसा नहीं, सीबीआइ जांच की मांग
विवेक तिवारी हत्याकांडः परिवार वालों को पुलिस पर भरोसा नहीं, सीबीआइ जांच की मांग

लखनऊ (जेएनएन)। लखनऊ की मकदूमपुर पुलिस चौकी के पास कार सवार विवेक तिवारी की पुलिस गोली से मौत मामले में आरोपित सिपाहियों की गिरफ्तारी के बावजूद परिवार वालों को पुलिस कार्रवाई पर भरोसा नहीं है। वह मामले की सीबीआइ जांच कराने की मांग कर रहे है। विवेक के घर में पर मातम पसरा है। उनके परिवार के लोग पुलिस कारगुजारी से आहत हैं। उनका कहना है कि अब उन्हें पुलिस पर भरोसा नहीं है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को हमने चुना है, वही मामले की आगे की कार्रवाई की कमान खुद संभालें। विवेक की पत्नी के भाई विष्णु शुक्ला ने साफ कहा कि पुलिस ने जानबूझकर गोली मारी है। मेरे जीजा की हत्या की गई है। गोली पीछे से नहीं सामने से मारी गई है जो उनके चिन में लगी।

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उल्लेखनीय है कि मृतक विवेक तिवारी आइफोन कंपनी में सेल्स मैनेजर थे। विवेक हत्याकांड में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सख्त कार्रवाई का आदेश दिया है। गोरखपुर से योगी ने डीजीपी ओपी सिंह से पूरे मामले की जांच करने और कार्रवाई करने के लिए कहा है। बीती रात इस घटना के बाद लखनऊ में विवेक तिवारी के आवास पर लोगों का जमावड़ा हो गया है। किसी को पुलिस की गोली से विवेक के मारे जाने की हजम नहीं हो पा रही है। परिवारी जनों ने विवेक की सम्मानजनक मौत के लिए सीएम योगी के आने तक शव नहीं दफनाने का संकल्प लिया है।

उनका तो सहारा चला गया

विवेक के पिता धर्मराज तिवारी यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में शाखा प्रबंधक थे। 12 वर्ष पूर्व उनकी मृत्यु हो गई थी। विवेक ने मां, दो भाई और एक बहन की जिम्मेदारी उठाई। मां अरुणा, बड़ी बहन संतोष और बड़ा भाई राजेश सुलतानपुर में रहते हैं। छोटा भाई नीरज सूरत में है। एमबीए करने के बाद विवेक ने रिलांयस और टाटा समेत कई कंपनियों में काम किया। जोधपुर से ट्रांसफर के बाद चार साल से न्यू हैदराबाद स्थित अपार्टमेंट में पत्नी और दोनों बच्चियों संग रह रहे थे।  

हमार जिंदगी छीन लिन्हीं

विवेक की मां अरुणा तिवारी हमरे जिगरा को काहू को मारे... कह-कहकर पुलिस-प्रशासन पर गुस्सा निकाल रही थीं। बोलीं, हमरा करेजवा चला गवा... हमार जिंदगी छीन लिन्हीं। कौन सहारा बनी। चाचा तिलक राज तिवारी सेवानिवृत्त सब इंस्पेक्टर हैं। उनका घर सुलतानपुर में विवेक के घर के बगल में है। उन्होंने घटना के पीछे साजिश की आशंका जताते हुए दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। बोले, अपराधी और पुलिस निरंकुश हैं। अगर कार से टक्कर मारी गई थी गोली कार के टायर और शरीर के निचले हिस्से पर मारनी चाहिए थी। गले में गोली मारने का मतलब एनकाउंटर होता है। अपराधी और पुलिस निरंकुश हो गए हैं। 

कैसी कानून व्यवस्था  

विवेक की सास सत्यवती शुक्ला ने बताया कि दामाद विवेक परिवार का कमाऊ बेटा था। सरल स्वभाव का था। बेटी और दो नातिन की आगे की जिंदगी कैसे कटेगी? काम करके इंसान सुरक्षित घर नहीं पहुंच सकता। ये कैसी कानून व्यवस्था है?  

विभाग मामले को छिपा रहा 

कल्पना के भाई विष्णु ने लखनऊ पुलिस पर हत्या का आरोप लगाते हुए कहा कि पूरा विभाग मामले को छिपा रहा है। निष्पक्ष पड़ताल के साथ परिवार का भविष्य सुनिश्चित करने के प्रयास हों। कल्पना की चाची रूपा ने कहा कि ये लोग चार साल से यहां अपार्टमेंट में रह रहे थे। दोनों बेटियां सीएमएस महानगर में पढ़ती हैं। इनका भविष्य क्या होगा? पुलिस तो रक्षक होती है, भक्षक बन गई। 

विवेक की पत्नी कल्पना तिवारी 

मामले में लीपापोती हो रही है। ये एनकाउंटर नहीं है पर मेरी जिंदगी खराब हो गई है। मेरे बच्चे पूछेंगे कि पापा को क्या हुआ? मैं क्या जवाब दूंगी कि पुलिस वालों ने गोली मार दी। ऐसा क्या गलत काम किया था? कितने सवालों का जवाब देती रहूंगी। पुलिस वालों ने परिवार उजाड़ दिया। मुख्यमंत्री जवाब दें कि पुलिस इस तरह किसी की हत्या कैसे कर सकती है। जब तक मुख्यमंत्री नहीं आएंगे अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा। मुझे सीबीआइ जांच, एक करोड़ मुआवजा और नौकरी चाहिए।


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