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Lucknow Development Authority: ट्रांसपोर्ट नगर में मिले फर्जी भूखंड होंगे नीलाम, LDA जल्द निकालेगा विज्ञापन

अब लखनऊ विकास प्राधिकरण लविप्रा की ट्रांसपोर्ट नगर योजना में हो रहे घोटालों पर ब्रेक लगाने ओर दलालों के कॉकस को तोड़ने के लिए जांच में फर्जी पाए जा रहे भूखंडों के खिलाफ मुकदमे लिखाने और नीलामी की प्रकिया तेज होने जा रही है।

By Vikas MishraEdited By: Published: Wed, 04 Aug 2021 02:34 PM (IST)Updated: Wed, 04 Aug 2021 02:34 PM (IST)
Lucknow Development Authority: ट्रांसपोर्ट नगर में मिले फर्जी भूखंड होंगे नीलाम, LDA जल्द निकालेगा विज्ञापन
एलडीए की ट्रांसपोर्ट नगर योजना की संदिग्ध फाइलों की अलग से सूची भी बनाई जा रही है।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। अब लखनऊ विकास प्राधिकरण लविप्रा की ट्रांसपोर्ट नगर योजना में हो रहे घोटालों पर ब्रेक लगाने ओर दलालों के कॉकस को तोड़ने के लिए जांच में फर्जी पाए जा रहे भूखंडों के खिलाफ मुकदमे लिखाने और नीलामी की प्रकिया तेज होने जा रही है। ट्रांसपोर्ट नगर योजना की संदिग्ध फाइलों की अलग से सूची भी बनाई जा रही है। जांच के बाद लविप्रा उन पर कब्जा लेगा और फिर लीज प्लान बनवाकर उन्हें नीलाम करने की कार्रवाई की जाएगी। नीलाम में यह भूखंड करोड़ों में बिकेंगे, इसके लिए लविप्रा पहले से आश्वस्त है।

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वर्ष 1981 में 13 हजार के भूखंडों को दलालों ने मिलीभगत करके ब्याज सहित 56 हजार जमा करके कब्जा कर लिया। कइयों में निर्माण भी हो चुके हैं, उन पर बुलडोजर चलाया जाएगा या फिर जैसे हैं वैसे की स्थिति में नीलाम किए जा सकते हैं। प्रारंभिक जांच में तीन भूखंड फर्जी पाए गए हैं। यहां लविप्रा द्वारा कब्जा लेकर कानूनी कार्रवाई करते हुए नीलामी में लगाने की तैयारी है। इसी तरह चरणबद्ध तरीके से एक-एक करके भूखंडों की जांच की जा रही है और फर्जी भूखंड मिलने पर उन्हें नीलाम करने की कार्रवाई तेज हो गई है। हमेशा विवादों में रही ट्रांसपोर्ट नगर योजना से लविप्रा की छवि धूमिल होती रही है। ऐसे में अब लविप्रा हर संदिग्ध भूखंड की जांच करके घोटाला रहित योजना बनाने में लगा है।

दोषी अफसर व बाबू बचते रहेः योजना देख रहे दोषी अफसर व बाबू पर आज तक लविप्रा कोई कार्रवाई नहीं कर सका। सवाल खड़ा होता है कि याेजना देख रहे अफसर व बाबू मामले से अंजान रहे और धड़ल्ले से बाहर ही बाहर रजिस्ट्रियां होती गई। बाबुओं व अफसरों का काम बदला, लेकिन फाइलों का हिसाब हर साल बिगड़ता गया। अब दर्जन भूखंडों की फाइलें गायब है। इन भूखंडों की कीमत पंद्रह करोड़ के आसपास है। वहीं दर्जनों भूखंड जांच के घेरे में है। इन मामलों में जवाबदेही किसी की तय नहीं हुई।


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