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कार्ड छापते-छापते नकली नोट बनाने लगा, एसटीएफ ने दो को किया अरेस्ट

देवा रोड पर छापे जा रहे थे नकली नोट।

By JagranEdited By: Published: Mon, 10 Sep 2018 09:32 AM (IST)Updated: Mon, 10 Sep 2018 09:32 AM (IST)
कार्ड छापते-छापते नकली नोट बनाने लगा, एसटीएफ ने दो को किया अरेस्ट
कार्ड छापते-छापते नकली नोट बनाने लगा, एसटीएफ ने दो को किया अरेस्ट

लखनऊ(जेएनएन)। प्रिंटर से नकली नोट छापकर उसे असली बनाकर चलाने वाले दो अभियुक्तों को एसटीएफ ने गिरफ्तार किया है। नकली नोट का काला कारोबार देवा रोड पर चल रहा था। एसएसपी एसटीएफ अभिषेक सिंह ने बताया कि पकड़े गए अभियुक्तों में चिनहट निवासी देशराज और रामरतन हैं।

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नौ लाख रुपये के नकली नोट बाजार में खपा चुके :

दोनों जालसाज नौ लाख रुपये के नकली नोट बाजार में असली बनाकर खपा भी चुके हैं। उनके पास से भारी मात्र में नोट छापने वाला सामान भी बरामद हुआ। दो हजार और पाच सौ के नए नोट छापने में वह सफल नहीं हो पाए। एसटीएफ ने दोनों जालसाजों के कब्जे से 100, 200 और 50 के 80 नोट और 2000, 500, 100, 50, 20 और 10 के 336 आधे बने नोट मिले हैं। कार्ड छापने वाली प्रिंटिंग प्रेस में नोट की छपाई:

मामले में पकड़े गए लोगों में आरोपित देशराज मूलरूप से बाराबंकी और रामरतन बरेली का रहने वाला है। आरोपी देशराज नकली नोट बनाने का काम करता है कि जबकि रामरतन नकली नोट बाजार में चलाने का काम करता था। पूछताछ में देशराज यादव ने बताया कि वह पहले एक कार्ड छापने वाली प्रिंटिंग प्रेस में छपाई का काम करता था। वहां पर वह कोरल का साफ्टवेयर का इस्तेमाल करता था। जिसके कारण उसे नोट छापने का तरीका पता चल गया। वह एक साल से नकली नोट छापकर बाजारों में चला रहा था।

100 व 50 के नकली नोटों की भरमार:

आरोपी ने बताया कि वह छोटे 100 व 50 के नकली नोट इसलिए छापता था, क्योंकि वह बाजार में आसानी से चल जाते थे और लोग नकली नोट नहीं पहचान पाते थे। आरोपित ने अब तक नौ लाख रुपये के नकली नोटों को छाप कर प्रदेश के कई जिलों में खपाने की बात स्वीकार की है।

दो हजार का नोट छापने की कर रहे थे तैयारी :

आरोपितों ने बताया कि वह नकली नोटों को हैदरगढ़ निवासी उदय शर्मा उर्फ मोटू व दिनेश शर्मा को 60- 40 के अनुपात में नकली नोट देते थे। दोनों जीपीओ के पास पेट्रोल टंकी पर काम करते हैं। आरोपित देशराज ने बताया कि उसने 2000, 500 और 200 के नोटों को छापने की भी कोशिश कर रहा था। प्रिंटिंग सही न होने के कारण उसमें सफलता नहीं मिल रही थी, फिर भी बराबर प्रयास कर रहे थे।


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