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KGMU: डॉक्टरों के फर्जी प्रमाण पत्रों का होगा खुलासा, जांच के आदेश

केजीएमयू कुलपति पद की दौड़ में शामिल डॉक्टर के प्रति के प्रमाण पत्रों पर उठे सवाल नो ड्यूज रोका गया।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Wed, 24 Jun 2020 03:53 PM (IST)Updated: Wed, 24 Jun 2020 03:53 PM (IST)
KGMU: डॉक्टरों के फर्जी प्रमाण पत्रों का होगा खुलासा, जांच के आदेश
KGMU: डॉक्टरों के फर्जी प्रमाण पत्रों का होगा खुलासा, जांच के आदेश

लखनऊ, जेएनएन। शिक्षा विभाग में फर्जीवाड़ा से चिकित्सा शिक्षा विभाग भी अलर्ट हो गया है। लिहाजा, प्रदेश के चिकित्सा संस्थानों समेत सभी मेडिकल-डेंटल कॉलेजों में तैनात डॉक्टरों के प्रमाण पत्रों की जांच के आदेश दे दिए हैं। इसको लेकर संकाय सदस्यों में हड़कंप मचा हुआ है। कारण, कई के पपत्र सवालों के घेरे में हैं।

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चिकित्सा शिक्षा विभाग के विशेष सचिव मार्कंडेय शाही ने 22 जून को सभी डॉक्टरों के प्रमाण पत्रों के जांच के आदेश दिए हैं। वहीं23 जून को केजीएमयू के कुल सचिव ने सभी विभागाध्यक्ष, चिकित्सासंकाय, दंत संकाय, नर्सिंग संकाय को प्रमाण पत्रों के जांच के आदेश जारी कर दिए हैं। यहां करीब 550 चिकित्सकों के पद पर 450 की तैनाती है। ऐसे ही लोहिया संस्थान में 200 के करीब व पीजीआइ में 250 के करीब संकाय सदस्य हैं। प्रमाणपत्रों की जांच के आदेश के बाद संस्थानों में हड़कंप है। सबसे अधिक हलचल केजीएमयू में बनी हुई है। प्रमाणपत्रों की जांच के दायरे में सभी सरकारी मेडिकल कॉलेज के शिक्षक आएंगे।

डिग्री से लेकर अनुभव प्रमाण पत्र तक होंगे तलब

शासन ने तैनात सभी डॉक्टरों का विभागवार ब्योरा तलब किया है। इसमें विभाग का नाम, शिक्षक का नाम, वर्तमान पदनाम, मार्कशीट, सार्टिफकेट, डिग्री, एमसीआइ-डीआइसी सार्टिफिकेट, अनुभव प्रमाणपत्र, नियुक्ति पत्र, कार्यभार ग्रहण करने का चार्ज सार्टिफिकेट समेत अन्य दस्तावेज तलब किए हैं। साथ ही किसी डॉक्टर के ड्यूटी व नौकरी को लेकर कोई टिप्पणी की गई हो, उसे भी बताएं।

गठिया के डॉक्टर समेत कई के प्रमाण पत्र फर्जी होने की आशंका

केजीएमयू में कई डॉक्टरों के विभिन्न प्रमाणपत्र सवालों के घेरे में है। इनमें से एक हाल में रिटायर हुए गठिया रोग विभाग के डॉक्टर का नाम भी उछला। इनके फर्जी पत्रों की शिकायत शासन से की गई है। विभागाध्यक्ष ने नोड्यूज जारी करने से मना कर दिया। इसके बाद से कार्रवाई ठंडी पड़ी है। चर्चा है कि डॉक्टर का नियुक्ति पत्र जिस डेट व क्रमांक का है। उस तिथि से एक म हीना पहले ही उस क्रमांक के पत्र जारी हो चुके हैं। ऐसे ही चार्ज सर्टीफिकेट के भी फर्जी व उनके लेक्चर के पदभार ग्रहण करने का प्रमाण पत्र भी यूनीवर्सिटी में उपलब्ध नहीं बताया जा रहा है। यह खुलासा आरटीआइ के जरिए हुआ। ऐसे में प्रमोशन व जारी किए गए कोरोड़ाें के वेतन पर भी सवाल उठाए गए हैं। चर्चा है कि इन्हीं डॉक्टर साहब की पत्नी केजीएमयू की कुलपति पद के दौड़े में हैं। वहीं शासन के आदेश के बाद संस्थान में हड़कंप मचा है। वहीं गठिया रोग विभाग के डॉक्टर के प्रमाण पत्र संबंणी मसले पर क्या कार्रवाई हुई। इस पर संस्थान के प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने जानकारी से इंकार कर दिया।


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