नौकरी का झांसा देकर लाखों की ठगी, महिला कर्मचारियों से फोन करा फंसाता था शिकार
साइबर क्राइम सेल की टीम ने मुख्य आरोपित को किया गिरफ्तार। एचडीएफसी बैंक में महिलाओं को नौकरी दिलाने का दिया था झांसा। ऑनलाइन जॉब पोर्टल पर डालता था फर्जी विज्ञापन।
लखनऊ(जेएनएन)। साइबर क्राइम सेल ने शुक्रवार को फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ करते हुए युवक को गिरफ्तार किया है। यहां नौकरी का झांसा देकर लाखों की ठगी को अंजाम दिया जाता था। एसएसपी कलानिधि नैथानी के मुताबिक, आरोपित युवक ने चार महिलाओं को एचडीएफसी बैंक में नौकरी दिलाने का ऑफर दिया था। आरोपित ऑनलाइन जॉब पोर्टल पर फर्जी विज्ञापन डालकर बेरोजगारों को भ्रमित करता था।
ऐसे देते थे वारदात अंजाम
एसएसपी ने बताया कि पकड़ा गया आरोपित मूलरूप से उन्नाव के टेढ़ी बाजार, बांगरमऊ निवासी पारस मिश्र यहां भुवनेश्वरी पुरम आदिल नगर में रहता था। आरोपित ने पूछताछ में कहा कि वह तीन साल से क्विकर, ओएलएक्स और शाइन डॉट कॉम ऑनलाइन जॉब पोर्टल पर फर्जी विज्ञापन डालता था। यह देख आवेदक ऑनलाइन आवेदन कर देते थे। इसके बाद कॉल सेंटर में काम करने वाले कर्मचारी आवेदकों को फोन करते थे। साइबर सेल के नोडल प्रभारी व सीओ हजरतगंज अभय कुमार मिश्र के मुताबिक इस प्रक्रिया के तहत राजधानी की चार महिलाएं आरोपित के संपर्क में आई थीं। आरोपित ने चारों महिलाओं को एचडीएफसी बैंक में नौकरी दिलाने की बात कही थी और उनसे मोटी रकम ले ली थी। आवेदकों से रजिस्ट्रेशन, एकाउंट खुलवाने, सिक्योरिटी और डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के नाम पर अलग-अलग पेटीएम खाते में रुपये मंगवा लेता था।
एक सिम का इस्तेमाल 15 दिन
पारस के मुताबिक, वह एक सिम का इस्तेमाल 15 दिन तक करता था। ठगी के बाद उस सिम को बंद कर नए सिम से दूसरे लोगों को झांसे में लेते थे। पुलिस का दावा है कि आरोपित ने तीन साल में करीब 50 लाख से अधिक रुपये की ठगी कबूल की है। सीओ हजरतगंज ने बताया कि पीडि़त महिलाओं की तहरीर पर एफआइआर दर्ज की जा रही है। आरोपित के पास से एक टैबलेट फोन, पांच बार फोन, 50 सिम व अन्य दस्तावेज बरामद किए गए हैं।
महिला कर्मचारियों से कराता था फोन
पारस ने बताया कि उसके गिरोह में कानपुर की तीन लड़कियां भी शामिल थीं। तीनों लड़कियां क्विकर साइट पर नौकरी का आवेदन करने वाले बेरोजगारों का सीवी निकाल कर उससे मोबाइल नंबर निकालती थी। इसके बाद उनसे बात करके बैंक में 18-25 हजार रुपये प्रति माह नौकरी का ऑफर देती थीं।
खुद को डायरेक्टर बताकर पेटीएम में मंगाता था रुपये
मेल पर ही लड़कियों से उनका सीवी मंगाकर एक हजार रुपये का डिमांड ड्राफ्ट लेती, इसके बाद वेरीफिकेशन के नाम पर करीब 10 हजार रुपये ऐंठते। इसके बाद पारस खुद को कंपनी का एचडीएफसी का प्लेसमेंट डायरेक्टर बताकर इंटरव्यू की तिथि देता और फिर पेटीएम में प्रति व्यक्ति 50-80 रुपये तक मंगाता था।
उसने जालसाजी का तरीका अपने दोस्त अंकित श्रीवास्तव से सीखा था। ढाई साल पहले लखनऊ पुलिस ने ही उसे जालसाजी के मामले में पकड़कर जेल भेजा था।
क्विकर पर सीवी डालने के एक हफ्ते बाद करता था फोन
आलमबाग निवासी पीडि़ता गुंजन मिश्रा, चेतना के अलावा ठगी का शिकार हिना श्रीवास्तव, वीरेंद्र और अवधेश ने बताया कि उन्होंने जब नौकरी के लिए जुलाई माह में क्विकर पर सीवी डाला था। सीवी डालने की तिथि से एक हफ्ते बाद उनके पास लड़कियों के फोन आने लगे और कहा कि वह एचडीएफसी बैंक के प्लेसमेंट विभाग से बोल रही हैं। इसके बाद उन्होंने शैक्षिक योग्यता प्रमाणपत्र मांगे और वेरीफिकेशन के नाम पर रुपये लेते थे। गुंजन ने बताया कि उससे 60 हजार, चेतना से 80 हजार, हिना श्रीवास्तव से 50 हजार, वीरेंद्र से 60 हजार और अवधेश से 40 हजार रुपये ऐंठे गए।