मोबाइल-टीवी की लत से सूख रहा बच्चों की आंखों का पानी, नन्हें-मुन्नो को न लगाना पड़े चश्मा; इन बातों का रखें ध्यान
अधिक देर तक स्क्रीन पर चिपके रहने से नन्हें-मुन्नो को लगाना पड़ रहा चश्मा- स्क्रीन के ब्राइटनेश से धुंधली हो रही आंखों की रोशनी। आंखों में खुजली जलन सूखापन व टेंढ़ापन इत्यादि की समस्या के साथ दर्जनों अस्पताल पहुंच रहे हैं।
लखनऊ, जेएनएन। घर-घर और हर हाथ में मोबाइल होने से भले ही देश में सूचना क्रांति हुई हो, लेकिन बच्चों को चुप कराने व उनकी जिद को पूरा करने के लिए उन्हें मोबाइल की लत लगाने से आंखों का पानी सूख रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार देर तक मोबाइल और टीवी स्क्रीन से चिपके रहने वाले बच्चों की आंखों के लिए चश्मे का नंबर भी बढ़ रहा है। ज्यादातर बच्चे बहुत कम या बहुत अधिक ब्राइटनेस के साथ देर तक मोबाइल या टीवी देखते रहते हैं। इससे उनके आंखों की रोशनी प्रभावित हो रही है। आंखों में खुजली, जलन, सूखापन व टेंढ़ापन इत्यादि की समस्या के साथ दर्जनों अस्पताल पहुंच रहे हैं। ऑनलाइन क्लास लेने वाले बच्चों की आंखों में भी इस तरह की दिक्कतें आ रही हैं।
बलरामपुर अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर संजीव गुप्ता कहते हैं कि महीने भर में दर्जनों बच्चे ऐसी शिकायतों के साथ अस्पताल पहुंच रहे हैं। इनमें से कई बच्चों को खेलने-कूदने की उम्र में चश्मा लगाना पड़ रहा है। डॉ गुप्ता के अनुसार अभिभावक अपने बच्चों को चुप कराने के लिए मोबाइल पकड़ा देते हैं। कई बार वह खुद मोबाइल के आदी हो जाते हैं। ऐसे में वह यूट्यूब या अन्य एप्लीकेशन पर वीडियो देखते हैं या फिर कोई गेम खेलने लगते हैं। बच्चे अपने आप स्क्रीन का ब्राइटनेस भी बहुत ज्यादा बढ़ा लेते हैं या तो बहुत ज्यादा घटा लेते हैं। इसके अलावा ज्यादातर बच्चे लेट कर मोबाइल- टीवी देखते हैं। यह स्थिति बेहद खतरनाक हो सकती है।
बरतें ये सावधानियां
- अधिक देर तक बच्चों को लेटकर मोबाइल या टीवी नहीं देखने दें।
- बच्चे के सोने के कमरे में टीवी ना लगी हो।
- बच्चों को चुप कराने के लिए मोबाइल देने की आदत नहीं डालें।
- बहुत नजदीक से मोबाइल-टीवी नहीं देखने दें।
- एक बार में 30 मिनट से ज्यादा स्क्रीन पर ना बैठे रहने दें।
- डिजिटल गेम, कार्टून इत्यादि की बजाय बच्चों को आउटडोर गेम के लिए प्रेरित करें।