'एक प्रशिक्षु-एक प्रवेश' योजना : ड्रॉपआउट बच्चों की लगेगी एक्स्ट्रा क्लास
बीच में पढ़ाई छोड़ने वाले बच्चों के लिए प्रशिक्षुओं की मदद से उनमें शिक्षण के प्रति ललक पैदा की जाएगी। इसके लिए हर माह एक्स्ट्रा क्लास लगेगी।
लखनऊ, संदीप पांडेय : अब ड्रॉपआउट बच्चों पर डायट अब सीधे नजर रखेगा। दाखिले के साथ-साथ अब उनका शैक्षिक आंकलन भी करेगा। पढ़ाई से मोहभंग होने पर प्रशिक्षुओं की मदद से उनमें शिक्षण के प्रति ललक पैदा करेगा। इसके लिए हर माह एक्स्ट्रा क्लास (अतिरिक्त कक्षा) लगेगी।जिला शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) ने 'एक प्रशिक्षु-एक प्रवेश' योजना को विस्तार देने का फैसला किया है। इसके लिए अब बीटीसी-डीएलएड प्रशिक्षुओं को ड्रॉपआउट (पढ़ाई छोडऩे वाले) बच्चों के दाखिले के साथ-साथ उनके फीड बैक की भी जिम्मेदारी सौंपी गई है। ऐसे में अब वह हर माह दाखिला कराए गए छात्र के स्कूल व घर जाएंगे। बच्चे के शैक्षणिक कार्य का आंकलन करेंगे। उनकी पढ़ाई में आ रही अड़चनों को स्कूल के शिक्षक व अभिभावक से मिलकर दूर करेंगे।
ड्रॉपआउट बच्चों से माह में तीन बार मिलेंगे प्रशिक्षु
एडमिशन के बाद से ये बच्चे पढ़ रहे हैं, या फिर स्कूल से गायब हो गए हैं। इसकी वजह क्या हैं, उन्हें क्या कठिनाई आ रही हैं। इन सभी समस्याओं के निदान के लिए अब प्रशिक्षु हर माह दो से तीन बार ऐसे बच्चों से मिलेंगे। वहीं इनमें कमजोर बच्चों को अलग से पढ़ाएंगे भी।
बोनस अंक का कमाल, छात्र संख्या दोगुनी
'एक प्रशिक्षु-एक प्रवेश' योजना के जरिए वर्ष 2017-18 शैक्षिक सत्र में प्रशिक्षुओं ने 2262 बच्चों का दाखिला कराया गया था। इसमें प्रशिक्षुओं को 10 अंक बोनस दिए गए। ऐसे में वर्ष 2018-19 सत्र में प्रशिक्षुओं ने और मेहनत की। इस बार 4628 ड्रॉपआउट बच्चों का दाखिला कराया। डायट के प्राचार्य डॉ. पवन कुमार सचान ने बताया कि लखनऊ डायट का यह अभिनव प्रयोग है। अब दाखिले के बाद प्रशिक्षु दो वर्ष तक बच्चे की निगरानी करेगा। इस दौरान कमजोर बच्चों को कम से कम माह में दो दिन पढ़ाना भी होगा। यह कार्य अक्टूबर से शुरू होगा।
प्रशिक्षुओं को नई जिम्मेदारी
- बीटीसी-डीएलएड प्रशिक्षु बच्चों के दाखिला के बाद पूरे दो वर्ष निगरानी रखेगा।
- बच्चे की स्कूल में उपस्थिति व ठहराव की जानकारी लेगा।
- निश्शुल्क किताबें, यूनीफॉर्म, स्कूल बैग, जूता-मोजा व स्वेटर मिला है कि नहीं, यह सुनिश्चित करेगा।
- उसके पढऩे, सुनने, बोलने, लिखने की क्षमता का विकास करेगा।
- आसपास के वातावरण, प्राकृतिक पर्यावरण का बोध, राष्ट्रीय व सांस्कृतिक पर्वों की जानकारी देगा।
- प्रार्थना व बाल सभा में प्रतिभाग को बढ़ावा देगा।
- शैक्षिक कार्य में कमजोर बच्चों को माह में कम से कम दो दिन पठन-पाठन कराना होगा।