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प्रदूषण आने नहीं दे रहा 'गुड न्यूज', हवा में घुलते हानिकारक तत्व बढ़ा रहे बांझपन

एआइसीओजी में आए विशेषज्ञों ने हवा में घुलते हानिकारक तत्वों को बताया बांझपन का कारण।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sat, 01 Feb 2020 08:19 PM (IST)Updated: Sun, 02 Feb 2020 07:23 AM (IST)
प्रदूषण आने नहीं दे रहा 'गुड न्यूज', हवा में घुलते हानिकारक तत्व बढ़ा रहे बांझपन
प्रदूषण आने नहीं दे रहा 'गुड न्यूज', हवा में घुलते हानिकारक तत्व बढ़ा रहे बांझपन

लखनऊ, जेएनएन। हाल ही में आई 'गुड न्यूज' फिल्म आपको याद होगी। जिस समस्या पर यह फिल्म बनाई गई थी, उस बांझपन के पीछे प्रदूषण भी एक अहम वजह है। ऑल इंडिया कांग्रेस ऑफ ऑब्सटेट्रिक्स एंड गाइनेकोलॉजी (एआइसीओजी) के चौथे दिन शनिवार 'प्रदूषण और बांझपन' पर हुए व्याख्यान में ऐसा ही सामने आया।

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वक्ताओं ने प्रदूषण को बांझपन का बड़ा कारण बताया। महिला, पुरुष की प्रजनन क्षमता के लिए ही नहीं बल्कि भ्रूण को भी यह गंभीर नुकसान पहुंचा रहा है। अंडाणु और शुक्राणु पर इसकी मार के कारण कई घरों में 'गुड न्यूज' नहीं आ पा रही है। वहीं, इसके चलते गर्भस्थ शिशु के जर्म सेल भी खराब हो रहे हैं। दिल्ली में हुए एक अध्ययन में 32 फीसद पुरुषों में शुक्राणु गड़बड़ मिले।

देश की राजधानी से आईं आइवीएफ एक्सपर्ट डॉ. सोनिया मलिक ने बताया कि दिल्ली में वर्ष 2010 से 2019 तक 400 पुरुषों को पंजीकृत करके उनकी जांच की गई। 32 फीसद में स्पर्म (शुक्राणु) काउंट व उसकी मोटिलिटी कम मिली। मतलब शुक्राणु की संख्या में कमी के साथ उसकी गति भी सुस्त मिली। ये शुक्राणु निषेचन प्रक्रिया के लायक नहीं मिले। ये पुरुष कोई नशा नहीं करते थे। आनुवांशिक कारण भी नहीं थे। प्रदूषण की जहरीली गैसों ने इनके स्पर्म खराब किए।

कीटनाशक का अंडाणु पर प्रहार

पंचकुला से आईं डॉ. भावना दीवान ने कहा कि घरेलू महिलाएं भले ही वायु प्रदूषण की चपेट में अधिक नहीं आती हैं मगर, कृषि में प्रयोग हो रही रासायनिक खाद और कीटनाशकों का दुष्प्रभाव इन पर पड़ रहा है। गलत खानपान से उनके अंडे बनने की प्रक्रिया प्रभावित हो रही है। विभिन्न दिक्कतों के चलते 30 से 40 फीसद महिलाओं में बांझपन का कारण अंडे का निर्माण न होना है।

भ्रूण के जर्म सेल हो रहे खराब

डॉ. भावना दीवान ने कहा कि कामकाजी महिलाओं में प्रदूषण का असर ज्यादा देखा गया है। ऐसे में गर्भावस्था में जहरीले तत्व रक्त के जरिए भ्रूण के फीटस पर प्रहार करते हैं। इसके चलते भ्रूण के जर्म सेल को नष्ट हो जाते हैं। लिहाजा, जन्म लेने वाले बच्चे के रिप्रोडक्टिव ऑर्गन प्रभावित हो रहे हैं।


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