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जब पौधों पर बरसेगा प्यार तो घर में आएगी बहार, इन बातों का रखें खास ध्यान

बारिश के मौसम के बाद शुरू होगी हरियाली को संवारने की कवायद। विशेषज्ञयों से सलाह लेकर बाग और किचेन गार्डन को बना सकते हैं आकर्षक।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Fri, 07 Aug 2020 01:23 PM (IST)Updated: Fri, 07 Aug 2020 01:23 PM (IST)
जब पौधों पर बरसेगा प्यार तो घर में आएगी बहार, इन बातों का रखें खास ध्यान
जब पौधों पर बरसेगा प्यार तो घर में आएगी बहार, इन बातों का रखें खास ध्यान

लखनऊ[जितेंद्र उपाध्याय]। बारिश के मौसम के बाद हरियाली को सहेजने का मौसम आएगा। जिन पेड़ पौधों को बारिश में लगाया गया था उन पौधों को संवारने और पुराने पेड़ों को जीवंत करने की कवायद शुरू होगी। किचेन गार्डन से लेकर बाग तक को संवारने की शुरुआत होगी। उद्यान विभाग के विशेषज्ञों से सलाह लेकर बाग और किचेन गार्डन को संवार सकते हैं। छाया के साथ उनमे फिर से फल लगेंगे। यही नहीं किचन गार्डन और बागवानी के लिए भी मुफीद होता है। बारिश के मौसम में आप पौधारोपण कर चुके होते हैं और उनकी बढ़ोतरी का समय आने वाला है। पहले बने किचेन गार्डन को आप कटिंग कर संवार सकते हैं। बारिश में थोड़ी मेहनत और पौधों के बढ़ने का इंतजार करके आप पूरे साल अपने घर में हरियाली की बहार लगा सकते हैं। अब बारिश जाने को तैयार है। ऐसे में आप पुराने पेड़ों की कटाई छटाई करके संवार सकते हैं। बागवान भी अपनी पुरानी बाग को फिर से हराभरा बना सकते हैं।

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इन पौधों को संवारने का मौसम

तेजी से फैलते फ्लैट सिस्टम ज्यादा चलन में है, इस वजह से बागवानी के लिए हमें उचित और पर्याप्त जगह नहीं मिल पाती है। ऐसे में हमारे पास बागवानी करने के ऑप्शन में सिर्फ बालकनी ही एक जगह बचती है। इंदिरानगर क डॉ.संगीता ने बताया कि पौधे शुद्ध वायु प्रदान करने के साथ-साथ आयु बढ़ाने में भी लाभदायक होते हैं। बोनसाई तकनीक है सबसे अच्छी हम अगर फ्लैटों में रहते हैं तो बागवानी के लिए जगह ही कहां मिल पाती है। ऐसे में लोग चाहते हैं कुछ ऐसे पौधे, जो कम जगह घेरने के साथ-साथ घर में ही हरियाली लाएं। बारिश के बाद का पेड़ पौधों के लिए बेहद अनुकूल होता है। कई बार यह पौधे इस तरह से बढ़ जाते हैं कि उनकी कटिंग करना जरूरी हो जाता है। क्या आप जानते हैं कि कई  पौधे ऐसे हैं जिनकी कटिंग को लगाकर नए पौधे तैयार किए जा सकते हैं। ऐसे ही कुछ पौधे हैं जैसे गुलाब, मोगरा या बेला, गुड़हल,बोगनवेलिया, मधु मालती, गेंदा, मीठी नीम व चांदनी सहित अन्य पौधों को भी कटिंग से बड़ी आसानी से तैयार  किया जा सकता है। फल देने वाले पौधों की भी छंटाई की जा सकती है।

 

इनका रखें ध्यान

कटिंग लगाने के लिए एक बात का ध्यान रखें कि जो मिट्टी का ऐसा मिश्रण बनाएं जिसमें पानी ना रुके। राजकीय उद्यान आलमबाग के अधीक्षिक डॉ.जेआर वर्मा ने बताया कि गुड़हल को तो दो-चार दिन पानी में भी रखा जा सकता है। जब उसमें जड़ निकल आए तब आप उसको लगा  सकते हैं। इसके अलावा एक बात का और ध्यान रखिए एलोवेरा एक नेचुरल रूट हार्मोन का काम करता है। यदि आप कटिंग लगाने से पहले एलोवेरा जेल को उसके टिप पर लगा दें तो रूटिंग बहुत आसानी से होती है और आप सफलतापूर्वक पौधा तैयार कर सकते हैं। फाइकस के पौधे भी कटिंग से आसानी से तैयार हो जाते हैं। इसकी कई वैरायटी होती हैं। बोनसाई के शौकीनों के लिए यह पौधा बहुत महत्वपूर्ण है। यह पौधा बहुत जल्दी लगता भी है और बढ़ता भी बहुत जल्दी है। बोगनवेलिया सभी लोग पसंद करते हैं । इसके रंग बिरंगे फूल देखने में बेहद आकर्षक लगते हैं और कम देखरेख में यह पौधे घर आंगन में रंग खिलते रहते हैं। इनकी भी कटिंग आसानी से लगाई जा सकती है। इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि बारिश आप के पौधों को या आप के बगीचे में लगे हुए पौधों की वैरायटी बढ़ाने में भी मददगार होगी।

पौधों की देखभाल का रखें ध्यान

  • पौधों को कीडे-मकौडों से बचाने के लिए बगीचे और गमलों में केरोसीन ऑयल का छिडकाव करें।
  • बारिश के मौसम में पनपने वाले केंचुए बगीचे पौधों के दोस्त होते हैं। ये मिट्टी के अंदर मूवमेंट करते हैं जिससे नाइट्रेशन की प्रक्रिया होती है और साथ ही हवा का प्रवाह भी होता है। बारिश के मौसम में ये स्वत: ही गीली मिट्टी में पैदा हो जाते हैं। अगर आपको अपने बगीचे के किसी हिस्से में केंचुए अधिक मात्रा में दिखें तो उन्हें गार्डनिंग ग्लव्स पहन कर सारे बगीचे में फैला दें ताकि सभी पौधों को बराबर पोषण मिले।
  • इस मौसम में पौधों की जड़ों का खास ख्य़ाल रखना चाहिए। हो सके तो इसके लिए जैविक खाद का इस्तेमाल करें। उबली हुई चाय की पत्ती, चावल का पानी, सब्जियों के छिलके आदि का खाद के रूप में इस्तेमाल पौधों को प्राकृतिक तरीके से पोषण देता है।
  • कैक्टस के पौधे को पानी की बहुत कम जरूरत होती है इसलिए मानसून के सीजन में इसे घर के अंदर ही रखें।
  • जंगली पौधों और बेलों को हटाते रहें ताकि वे पौधों को नुकसान न पहुंचा सकें।
  • नए पौधे लगाने के बाद उन्हें लकडी या किसी स्टैंड का सहारा दें ताकि वे टूटने से बच सकें।
  • नॉन फ्लावरिंग प्लांट्स और ट्रीज के लिए भी मॉनसून बहुत अच्छा सीजन है जैसे फर्न, पाम आदि।
  • पौधों के अनुरूप ही गमले का चुनाव करें। छोटा पौधा तो छोटा गमला बड़ा पौधा तो बड़ा गमला लें।
  • प्लास्टिक और कंकरीट के मुकाबले मिट्टी के बने गमले पौधों के लिए ज्यादा मुफीद होते हैं।


पौधों के साथ ले सकते हैं जानकारी

  • राजकीय उद्यान आनंद नगर आलमबाग
  • राजकीय उद्यान अलीगंज
  • एनबीआरआइ,राणा प्रताप मार्ग
  • मोती महल लॉन के सामने
  • लोकबंधु संयुक्त चिकित्सालय के सामने
  • शहर के अन्य इलाकों में भी सड़क के किनारे व निजी वाटिकाओं से भी पौधे खरीदे जा सकते हैं।

पुराने पेड़ों का होगा सुधार

पुराने पेड़ों के सूखने की मुख्य वजह तना रोग होता है जो नहीं देता। उद्यान विशेषज्ञ ऐसी डालों को काटकर अलग कर देते हैं। कटे हुए हिस्से को कलम के लिए तैयार होने वाले मिश्रण का लेप कर बांध देते हैं। उद्यान विशेषज्ञ बालिशरण चौधरी ने बताया कि इस विधि से उस डाल पर फिर से नई शाखाएं निकलती हैं। इसके अलावा अधिक पानी या जल स्तर नीचे जाने से भी पेड़ सूख जाते हैं जिसके लिए पेड़ों के पास घेरा बनाकर पानी भरने या जल स्तर कम करने का काम किया जाता है। बागवानों को प्रशिक्षण भी दिया जाता है।

बागवानों को मिलता है अनुदान

यदि आप अपनी बाग को हराभरा करना चाहते हैं ताे उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग की ओर से कुल लागत का 50 फीसद या अधिकतम 20 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर के हिसाब से अनुदान मिलेगा। आम, अमरुद और आंवलें की 500 हेक्टेयर बाग को पुनर्जीवित करने लक्ष्य इस वर्ष रखा गया है। राजधानी के अलावा फलपट्टी क्षेत्र सहारनपुर, मेरठ, बागपत, बुलंदशहर, अमरोहा, प्रतापगढ़, वाराणसी, उन्नाव, सीतापुर, हरदोई, फैजाबाद, बाराबंकी कौशांबी व बदायूं के बागवान इसका लाभ ले सकते हैं। अन्य जिले के इच्छुक बागवान भी जिला उद्यान अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं। उद्यान एचं खाद्य प्रसंस्करण निदेशक डॉ.एसबी शर्मा ने बतायाकि कोरोना संक्रमण काल मेें बागों को बचाने की योजना का लाभ बागवान लेकर अपनी आर्थिक स्थिति को सुधार सकते हैं। योजना राजधानी समेत पूरे प्रदेश के के लिए है। इसके अलावा किचेन गार्डन के सुधार के लिए नजदीकी उद्यान विशेषज्ञ से संपर्क कर सकते हैं।

बरतें थोड़ी सावधानियां

आलमबाग के राजकीय उद्यान अधीक्षक डॉ.जेआर वर्मा ने बताया कि बारिश के बाद पौधों को बचाने के लिए सावधानी जरूरी है। खाद, मिट्टी, बालू की मात्र को संतुलित रखने की आवश्यकता होती है। पौधे को कीटाणुओं से बचाने के लिए उसमें कीटनाशक दवाओं जैसे- मैलाथीन और गैमक्सीन इत्यादि का पौधों की जड़ों में नियमित रूप से छिड़काव करें।बारिश के बाद इन पौधों के बेकार पत्तों की कटाई करते रहे वाते रहें। बालू रेत, मिट्टी और जैविक खाद, तीनों के मिश्रण से बनाकर खाद का प्रयोग करें। बारिश के बाद यह खाद पौधों के लिए बहुत अच्छी मानी जाती है और यह खाद पौधे की जड़ों को मजबूत करने में लाभदायक होती है जिसकी वजह से आपके पौधे हरे-भरे और सुंदर नजर आएंगे! इससे पौधों की उम्र भी लंबी होती है। पौधारोपण से संबंधित जानकारी उद्यान में मिल जाएगी। कोई भी कार्यालय के समय आकर जानकारी ले सकता है।


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