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डिफेंस कॉरीडोर से सस्ते रक्षा उपकरणों की उम्मीदें, आइआइटी कानपुर और बीएचयू सूत्रधार

डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरीडोर ने प्रदेश में सस्ती दर पर रक्षा उपकरणों के विनिर्माण की उम्मीदें जगायी हैं।

By Nawal MishraEdited By: Published: Fri, 28 Dec 2018 05:28 PM (IST)Updated: Sat, 29 Dec 2018 05:28 AM (IST)
डिफेंस कॉरीडोर से सस्ते रक्षा उपकरणों की उम्मीदें, आइआइटी कानपुर और बीएचयू सूत्रधार
डिफेंस कॉरीडोर से सस्ते रक्षा उपकरणों की उम्मीदें, आइआइटी कानपुर और बीएचयू सूत्रधार

लखनऊ,राजीव दीक्षित। डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरीडोर ने प्रदेश में सस्ती दर पर रक्षा उपकरणों के विनिर्माण की उम्मीदें जगायी हैं। कम लागत पर रक्षा उपकरणों के निर्माण के सूत्रधार बनेंगे सूबे के दो प्रतिष्ठित प्रौद्योगिकी शिक्षण संस्थान-आइआइटी कानपुर और आइआइटी बीएचयू। डिफेंस कॉरीडोर परियोजना के लिए दोनों शिक्षण संस्थानों में विकसित किये जाने वाले सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में कम लागत पर रक्षा उपकरण तैयार करने के लिए शोध किये जाएंगे। इसके लिए आइआइटी कानपुर को राज्य सरकार की ओर से अगले पांच वर्षों के दौरान 375 करोड़ रुपये और आइआइटी बीएचयू को 262 करोड़ रुपये की फंडिंग किये जाने का प्रस्ताव है। 

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कम्युनिकेशन्स के क्षेत्रों में भी शोध 

आइआइटी कानपुर एडवांस्ड नैनो मैटीरियल्स, साइबर सेक्योरिटी, अनमैन्ड एरियल व्हीकल (यूएवी), इलेक्ट्रॉनिक्स व कम्युनिकेशन्स के क्षेत्रों में शोध करेगा। वहीं मैटलर्जी, एवियेशन, और आयुध के क्षेत्रों में अनुसंधान के लिए विख्यात आइआइटी बीएचयू रक्षा उपकरणों के लिए स्मार्ट मैटीरियल्स, सेंसर मैटीरियल्स, सेफ्टी एंड हैजार्ड इन्वेस्टिगेशन्स और कंपोजिट मेटल के क्षेत्रों में शोध करेगा। यह दोनों संस्थान कम लागत में रक्षा उपकरणों को तैयार करने और उनमें काम आने वाली वस्तुओं को ईजाद करने के लिए शोध करेंगे। शोध से विकसित किये गए रक्षा उपकरणों के प्रोटोटाइप के परीक्षण के बाद उनके विनिर्माण की तकनीकें डिफेंस कॉरीडोर में स्थापित होने वाली इकाइयों को हस्तांंतरित की जाएंगी। कम लागत पर रक्षा उपकरणों के उत्पादन से औद्योगिक इकाइयों को जो मुनाफा होगा, उसका एक निश्चित हिस्सा सरकार को भी मिलेगा क्योंकि दोनों शिक्षण संस्थानों को शोध के लिए सरकार धनराशि मुहैया करा रही है। इससे सरकार को खर्च की गई रकम भी वापस मिल सकेगी। 

इन्हें भी नॉलेज पार्टनर बनाने का इरादा

डिफेंस कॉरीडोर के संदर्भ में कई औद्योगिक संगठनों और रक्षा उपकरण विनिर्माण से जुड़ी संस्थाओं को भी इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए नॉलेज पार्टनर बनाने का इरादा है। इनमें दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरीडोर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन, इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (भेल), फेडरेशन ऑफ इनोवेटिव मैन्युफैक्चरर्स, सोसाइटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स शामिल हैं। भेल ने अपनी इकाई स्थापित करने के लिए जमीन आवंटित करने का अनुरोध किया था। उसके अनुरोध पर यूपीडा ने आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे के किनारे 6.57 एकड़ जमीन चिन्हित भी की है। 

झांसी में डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग का कन्सेप्ट प्लान तैयार

डिफेंस कॉरीडोर के लिए सरकार ने छह जिलों में कुल 5125 हेक्टेयर जमीन चिन्हित की है। इनमें झांसी में सर्वाधिक 3025 हेक्टेयर, कानपुर में 1000 हेक्टेयर, चित्रकूट में 500 हेक्टेयर, आगरा में 300 हेक्टेयर, जालौन में 200 हेक्टेयर और अलीगढ़ में 100 हेक्टेयर जमीन चिन्हित की जा चुकी है। झांसी में डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग का कन्सेप्ट प्लान तैयार कर लिया गया है, हालांकि इसमें बदलाव हो सकता हैै। कन्सेप्ट प्लान के मुताबिक झांसी में 300 हेक्टेयर में टेस्टिंग रेंज फैसिलिटी, 1000 हेक्टेयर पर स्मॉल एंड मीडियम फायर आम्र्स फैक्ट्री, 400 हेक्टेयर पर आम्र्स एंड अम्युनिशन्स फैक्ट्री और 1300 हेक्टेयर में आर्टिलरी एसेंब्लिंग यूनिट की स्थापना की योजना है। 


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