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नींबू से लिपटी मटर-दूध में घुली रबड़ी अटल की थी पसंद, खास दुकान से आती थी चाट

खास तौर पर बनता था महाराष्ट्र का व्यंजन श्रीखंड। राजा की ठंडाई भी पेश होती थी।

By JagranEdited By: Published: Fri, 17 Aug 2018 01:19 PM (IST)Updated: Fri, 17 Aug 2018 03:21 PM (IST)
नींबू से लिपटी मटर-दूध में घुली रबड़ी अटल की थी पसंद, खास दुकान से आती थी चाट
नींबू से लिपटी मटर-दूध में घुली रबड़ी अटल की थी पसंद, खास दुकान से आती थी चाट

लखनऊ[अजय श्रीवास्तव]। नींबू वाली मटर की चाट और ऊपर से बारीकी से कटी हरी मिर्च। आलू की टिक्की में खट्टी चटनी से तड़का और मंडली के साथ ठिठोली। वैसे अटल जी की पैदाइश लखनऊ की नहीं थी, लेकिन खान-पान का तौर तरीका नवाबी ही था। लखनऊ आते ही उनके खाने की तैयारियां होने लगती थीं। अटल जी के सामने जब चाट की विभिन्न वैरायटी परोसी जाती थीं तो साथ बैठा हर कोई वो स्वाद लेना चाहता था।

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चौक में टिल्लू गुरू दीक्षित के यहां से उनकी चाट आती थी लेकिन अगर कभी अटल जी लखनऊ में रहे और दुकान बंद रही तो लाटूश रोड पर पुराने आरटीओ के सामने पंडित रामनारायन तिवारी की चाट का विकल्प होता था। अटल की आवभगत तो लालजी टंडन करते थे लेकिन सहयोग में रहने वाले भाजपा नेता अनुराग मिश्र 'अन्नू' कहते हैं कि उन्हें मीठी विशुद्ध चाट पसंद नहीं थी इसलिए नींबू और खट्टी चटनी जरूर आती थी। चौक के राजा की ठंडाई भी अटल जी को बेहद पसंद थी। खासतौर पर बनता था श्रीखंड:

भाजपा नेता प्रदीप भार्गव बताते हैं कि अटल जी जब उनके घर आते थे तो माता जी खास तौर पर दूध दही से तैयार होने वाला महाराष्ट्र का व्यंजन श्रीखंड बनाती थीं। अटल जी को यह बहुत पसंद था। अटल का खाना प्रदीप भार्गव के घर ही अधिक होता है, क्योंकि उनके पिता पुरूषोत्तम भार्गव से अटल जी के पचास साल पुराने संबंध थे। अटल जी दही बड़ा बेहद पसंद करते थे। प्रदीप कहते हैं कि अटल जी को चॉकलेट वाली आइसक्रीम भी बहुत पसंद थी और खाने के बाद यह आइसक्रीम बहुत चाव से खाते थे। वह कार में बैठकर नरही में पाल दूध वाले के यहां जाते थे। दूध में रबड़ी घोलकर ही पीते थे। तब अटल के साथ गोपाल जी टंडन और वह रहते थे। दिल्ली तक जाता था मलाई पान :

मलाई पान अटल जी को बहुत पसंद था। चौक के बानवाली गली में रामआसरे की पुरानी मिठाई की दुकान से ही उनके लिए मलाई पान जाता था। अटल के लिए तैयार होने वाले मलाई पान में चीनी की मात्रा कम रखी जाती थी। अटल जी जब प्रधानमंत्री हो गए तो मलाई पान पैक होकर दिल्ली जाता था। रामआसरे मिष्ठान भंडार के सुमन बिहारी कहते हैं कि अटल बिहारी वाजपेयी को रसीली मिठाइयां बहुत पसंद थी, लेकिन चीनी कम होती थी। हमें भी सेवा करने का मौका मिला:

मीराबाई मार्ग पर राज्य अतिथि गृह का कमरा नंबर एक अटल जी के नाम बुक रहता था। सांसद के रूप में लखनऊ आने पर वह यहीं ठहरते थे और मंडली सजती थी। अटल जी को चाय से लेकर भोजन तक पहुंचाने वालों में अब दो कर्मचारी ही बचे हैं। कर्मचारी शिवराम वर्मा और नंदराम कहते हैं कि अटल जी बहुत सज्जन थे। वीवीआइपी होने के बाद भी वह ऊंची आवाज में नहीं बोलते थे। बड़े प्यार से सभी का हाल-चाल पूछते थे। कभी-कभी बाहर से भोजन आता था तो वह परोसने के लिए बुला लेते थे। अकेले खाना नहीं खाते थे।


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