किसानों पर हमलों के बाद भी नहीं चेती पुलिस
लखनऊ। मुजफ्फरनगर में आखिर वही हुआ जिसका डर था। हुसैनपुर के जंगल में किसानों पर फिर हम
लखनऊ। मुजफ्फरनगर में आखिर वही हुआ जिसका डर था। हुसैनपुर के जंगल में किसानों पर फिर हमला हुआ और जवाब में तीन हमलावरों को मार गिराया गया, यदि पुलिस इससे पूर्व किसानों पर हुए हमलों को गंभीरता से लेती तो शायद यह घटना नहीं होती। तीन लोगों की हत्या के बाद उपजे तनाव ने पुलिस-प्रशासन के पसीने छुड़ा दिए हैं।
जिले में हुई हिंसा के बाद साइलेंट वार लगातार जारी था। जहां शहर में आये दिन हमले हो रहे थे, वहीं दूसरी ओर खेत में जाने वाले किसानों पर भी लगातार फायरिंग व मारपीट की घटनायें रुकने का नाम नहीं ले रही थी। अकेले भौराकलां थानाक्षेत्र की बात की जाये तो किसानों पर हमले की एक दर्जन से ज्यादा वारदात हो चुकी हैं। कुछ दिन पूर्व मोहम्मदपुर रायसिंह निवासी दो मजदूरों पर बदमाशों ने फायरिंग कर दी थी। गंभीर हालत में दोनों को मेरठ रेफर कर दिया गया था। ग्रामीणों ने शिविर में रहने वाले आधा दर्जन से ज्यादा लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करायी थी। काफी हो हल्ला होने के बाद पुलिस-प्रशासन नहीं चेता। बुधवार को हुई घटना ने एक बार फिर माहौल गर्मा दिया है। कुल मिलाकर यदि पुलिस पहले ही हमले की इन वारदातों पर अंकुश लगाती तो यह स्थिति नहीं होती। इतना ही नहीं अगर जनपद की बात की जाये तो किसानों की सैकड़ों बीघा फसल में आग लगायी जा चुकी है। फिलहाल बुढ़ाना व भौराकलां क्षेत्र में पूरी तरह तनाव व्याप्त है। पुलिस की ज्यादती से गांव के पुरुषों को बचाने की कोशिश में महिलाओं ने पूरे गांव की घेराबंदी कर ली है।
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