UP में हर साल 20 हजार लोग सड़क हादसों में गंवाते हैं जान, एक्सीडेंट में मरने वालों की संख्या अमेरिका से कुछ कम
Accident Cases in Uttar Pradesh यूपी में होने वाली दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या अमेरिका जैसे देश से कुछ कम है। वहीं जर्मनी जापान व चीन जैसे देशों में सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली कुल मृत्यु बेहद कम है।
जागरण संवाददाता, लखनऊ: सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित कमेटी आफ रोड सेफ्टी के चेयरमैन सेवानिवृत्त न्यायाधीश अभय मोहन सप्रे 23 फरवरी को राजधानी आकर सड़क दुर्घटनाओं को कड़ाई से रोकने का निर्देश दे चुके हैं। देश में सबसे अधिक 20 हजार लोग यूपी में प्रतिवर्ष सड़क हादसों में जान गंवाते हैं, जबकि पूरे देश में सड़क हादसों में मरने वालों की संख्या डेढ़ लाख है। यूपी में होने वाली दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या अमेरिका जैसे देश से कुछ कम है। वहीं, जर्मनी, जापान व चीन जैसे देशों में सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली कुल मृत्यु बेहद कम है।
उत्तर प्रदेश में आये दिन होने वाले सड़क हादसे सबसे बड़ी चुनौती बने हैं। जीवन बचाने की पहल उन जिलों से होगी, जहां पिछले पांच वर्षों में सर्वाधिक दुर्घटनाएं हुई हैं। ऐसे 20 जिलों को चिन्हित किया गया है, वहां सड़क हादसों में कुल मौतों का 43 प्रतिशत है। अन्य 65 जिलों में सड़कों पर जान गंवाने वालों का प्रतिशत 57 है। अब 20 जिलों में यातायात दुरुस्त करने पर संबंधित विभाग जुटेंगे।
हादसों में कानपुर, प्रयागराज व आगरा सबसे आगे
पिछले दिनों जस्टिस सप्रे ने उत्तर प्रदेश सहित देश के 15 राज्यों की बैठक बुलाकर इस दिशा में काम करने पर जोर दिया है। प्रदेश में सड़क सुरक्षा विभाग ने सड़क हादसों में कमी लाने व लोगों का जीवन बचाने के लिए 20 जिलों को चिन्हित किया है, जहां हादसों में मौतों का आंकड़ा सर्वाधिक है।
इन जिलों में पांच साल में औसत मृत्युदर 9214 है, जबकि इतने ही समय में प्रदेश में दुर्घटनाओं में मृत्यु का औसत 21576 है। कानपुर नगर, प्रयागराज व आगरा सबसे आगे हैं। वहीं, फतेहपुर, बाराबंकी, उन्नाव, सीतापुर, जौनपुर जैसे छोटे जिलों में भी सड़क हादसे बड़ी संख्या में हो रहे हैं।