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प्रदेश का हर पांचवा व्यक्ति स्लीपिंग डिसआर्डर का शिकार

बिगड़ी लाइफस्टाइल ने बढ़ाई मुसीबत, अनिंद्रा के शिकार 20 फीसद नींद की गोली पर निर्भर, नींद की गोलियां नींद की गोलियां बढ़ा रहीं हार्ट अटैक सहित कई परेशानियां।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Sat, 12 Jan 2019 12:30 PM (IST)Updated: Sat, 12 Jan 2019 12:30 PM (IST)
प्रदेश का हर पांचवा व्यक्ति स्लीपिंग डिसआर्डर का शिकार
प्रदेश का हर पांचवा व्यक्ति स्लीपिंग डिसआर्डर का शिकार

लखनऊ,  [कुमार संजय] । प्रदेश का हर पांचवां व्यक्ति स्लीपिंग डिसआर्डर यानी अनिद्रा का शिकार है। इनमें 20.3 फीसद लोग सोने के लिए नींद की गोलियों का सहारा लेते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कुछ समय के लिए नींद की गोलियां सुकून देती हैं लेकिन इनकी आदत पडऩे से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। वैज्ञानिकों ने नींद की दवाओं में मौजूद तत्व जोपिडेम को दिल की बीमारियों की वजह बताया है। हालांकि रोजमर्रा के रुटीन में फेरबदल कर नींद की गोलियों से बचा जा सकता है।

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संजय गांधी पीजीआइ के न्यूरोलॉजिस्ट प्रो. संजीव झा कहते हैं कि भाग-दौड़ की जिंदगी, तनाव, सोशल मीडिया पर अधिक समय देने के साथ अनियमित खान-पान स्लीपिंग डिसआर्डर का बड़ा कारण है। जो लोग रोज एक गोली से ज्यादा नींद की गोलियां खाते हैं, उनके कोमा में जाने का खतरा होता है। रीढ़ की हड्डी और दमे की दिक्कत वाले मरीजों के लिए यह खतरा और ज्यादा होता है। इन गोलियों से ब्लड प्रेशर, सिरदर्द और स्नायु संबंधी रोग हो जाते हैं। लंबे समय तक नींद की गोलियां लेने से याददाश्त कमजोर हो जाती है। नींद की गोलियां नर्वस सिस्टम को कमजोर भी कर देती हैं। इसके इतर रक्त नलिकाओं में थक्के बन जाते हैं। जबकि हाई डोज लेने से भूख घट जाती है। रोजाना नींद की गोलियां लेने से हर समय आलस्य, सुस्ती और थकान रहती है। जो मोटापे का शिकार हैं उन्हें तो भूल से भी नींद की गोलियां नहीं लेनी चाहिए वरना खतरा बढ़ जाता है। 

कैसे लें अच्छी नींद

  • एल्कोहल से बचें।
  • सोने के दो घंटे पहले चाय, कॉफी न लें। कैफीन का असर तीन से चार घंटे रहता है।
  • डार्क चाकलेट न लें इसमें थ्रिएब्रोमाइन नाम का उत्तेजक पदार्थ होता है, जो हार्ट रेट बढ़ाता है। बेचैनी के साथ असहजता महसूस होती है।
  • सैचुरेटेड फैट वाले भोजन पाचन सिस्टम को धीमा करते हैं, जिससे नींद नहीं आती। ऐसे में इससे बचें।

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