UP News: कैसे होगी महिलाओं की सुरक्षा, आदेश के ढाई साल बाद भी सार्वजनिक वाहनों में नहीं लगे जीपीएस सिस्टम
प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक दिन में करीब पांच लाख लोग ई-रिक्शा आटो-टेम्पो सीएनजी सिटी बस टैक्सी व कैब आदि के माध्यम से सफर करते हैं। ध्यान देने की बात यह है कि इनमें से करीब सवा लाख महिलाएं ही विभिन्न सार्वजनिक वाहनों से सफर करते हैं।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। निर्भया कांड के बाद सरकार द्वारा जारी हुई गाइडलाइन के ढाई वर्ष बीतने के बाद भी महिलाओं के सुरक्षित सफर पर ठोस पहल शुरू नहीं हो सकी है। सार्वजनिक वाहनों में पैनिक बटन और बिना जीपीएस (ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम) के हजारों आटो-टेम्पो और कैब वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं।
पहली अक्टूबर 2018 को केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने गाइडलाइन जारी कर सभी सार्वजनिक वाहनों में पैनिक बटन और जीपीएस लगाया जाने को कहा गया था। इस संबंध में जनवरी 2020 में यूपी सरकार की ओर से शासनादेश जारी किया गया था। इनमें यह सभी उपकरण लगाया जाना अनिवार्य किया गया था। लेकिन अभी तक परिवहन अधिकारियों ने इस दिशा में कोई काम आगे नहीं बढ़ाया है।
राजधानी में एक दिन में करीब पांच लाख लोग ई-रिक्शा, आटो-टेम्पो, सीएनजी सिटी बस, टैक्सी व कैब आदि के माध्यम से सफर करते हैं। ध्यान देने की बात यह है कि इनमें से करीब सवा लाख महिलाएं ही विभिन्न सार्वजनिक वाहनों से सफर करते हैं। मंशा थी कि इन तकनीक उपकरणों की मदद से वाहन की लोकेशन जानकर महिला यात्रियों को तत्काल मदद पहुंचाई जा सके।
सार्वजनिक वाहनों में लगाए जाने हैं ये उपकरण
- जीपीएस-व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम
- पैनिक बटन, सीसीटीवी
- वाहनों में पुलिस इमरजेंसी नंबर, किराया सूची
- मोबाइल नंबर, नाम, पता आदि लिखा हुआ आईडी कार्ड चालक अपने गले में लटकाएगा
शहर में संचालित सार्वजनिक परिवहन वाहनों की संख्या
- थ्री व्हीलर आटो- 4545
- सीएनजी टेम्पो-2300
- सीएनजी सिटी बसें-160
- ई रिक्शा-35,000 से अधिक
- टैक्सी-कैब-7500
यह बात सही है कि अभी तक सभी सार्वजनिक वाहनों में यह सुरक्षा उपकरण नहीं लग पाए हैं। चूंकि कोई अंतिम तिथि तय नहीं की गई है। इससे सार्वजनिक वाहनस्वामी इसमें दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। साथ ही स्पष्ट गाइडलाइन न होने से इन पर कार्रवाई भी नहीं की जा सकती है। -संदीप कुमार पंकज, आरटीओ प्रवर्तन