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लखनऊ में कंपनी की उदासीनता का खामियाजा भुगत रहे 45 हजार लोग, सीवर के लिए खोद डाली पूरी छावनी

छावनी में सीवर लाइन बिछाने के लिए बड़े पैमाने पर अनियमितता बरती जा रही है। यहां आठ इंच के पाइप की जहां सीवर की लाइन डाली जा रही है। काम की गति बहुत धीमी होने का खामियाजा छावनी के असैन्य इलाकाें की करीब 45 हजार की आबादी भुगत रही है।

By Vikas MishraEdited By: Published: Sun, 26 Sep 2021 06:14 PM (IST)Updated: Mon, 27 Sep 2021 07:29 AM (IST)
लखनऊ में कंपनी की उदासीनता का खामियाजा भुगत रहे 45 हजार लोग, सीवर के लिए खोद डाली पूरी छावनी
60 करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट में सीवर लाइन बिछाने के लिए पिछले साल मार्च में खोदाई शुरू हुई थी।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। छावनी में सीवर लाइन बिछाने के लिए बड़े पैमाने पर अनियमितता बरती जा रही है। यहां आठ इंच के पाइप की जहां सीवर की लाइन डाली जा रही है। वहीं, काम की गति बहुत धीमी होने का खामियाजा छावनी के असैन्य इलाकाें की करीब 45 हजार की आबादी भुगत रही है। बनिया मोहाल और सौदागर मोहाल जैसे मुहल्लों की सड़क खोदाई के कारण दलदल में बदल गई हैं। लोगों के वाहन इसमें फंस रहे हैं। गिरने के कारण लोग चोटिल भी हो रहे हैं। छावनी के असैन्य इलाकों में अलग-अलग ब्लॉक के अनुसार सीवर लाइन बिछाने का काम चल रहा है। करीब 60 करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट में सीवर लाइन बिछाने के लिए पिछले साल मार्च में खोदाई शुरू हुई थी।

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कोरोना के कारण संपूर्ण लॉक डाउन के चलते खोदाई के बाद पाइप लाइन बिछाने का काम रोक दिया गया था। इसके बाद श्रमिक वापस लौटने लगे तब भी निर्माण कर रही कंपनी की ओर से काम में तेजी नहीं लायी गई। कैंट थाना, बनिया मोहाल, सौदागर मोहाल, नेहरू रोड, मंगल पांडेय रोड सहित अधिकांश हिस्सों में गड्ढे खोद दिए गए हैं। इतना ही नहीं सीवर लाइन के पाइप से पहले ही जलापूर्ति की लाइन को मखनिया मोहाल में डाल दिया गया है। जिससे सीवर लाइन की गंदगी के जलापूर्ति लाइन के लीकेज होने पर लोगों के घरों में उसकी गंदगी नल के पानी के साथ आने का अंदेशा बना हुआ है। एक घनी आबादी वाले इलाके के लिए केवल आठ इंच की पाइप लाइन का उपयोग सीवर लाइन के लिए हो रहा है। इससे आने वाले समय में सीवर लाइन के चोक भी हो सकती है। हालांकि छावनी परिषद प्रशासन ने इसके डीपीआर को आइआइटी रुड़की से स्वीकृत कराने का दावा किया है। 

कंपनी पर उठे थे सवालः सीवर लाइन बिछाने का जिम्मा जिस कंपनी को दिया गया है। उस पर सरकारी निर्माण एजेंसी को दरकिनार कर ठेका देने का आरोप भी लगा है। कंपनी की इस लापरवाही के कारण लोग परेशान हो रहे हैं।


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