सहकारी समिति के कर्मचारियों ने घेरा BJP कार्यालय, पुलिस ने किया लाठीचार्ज
कर्मचारी प्रदर्शन करते हुए विधानसभा का घेराव करने को जैसे ही बढ़े, पुलिसकर्मियों ने बैरीकेडिंग लगाकर उन्हें रोकने की कोशिश की।
लखनऊ (जेएनएन)। पिछले कई महीनों से बकाया वेतन भुगतान करने और राज्य कर्मचारियों का दर्जा देने समेत तीन सूत्री मांगों को लेकर गुरुवार को सहकारी समितियों के कर्मचारियों ने भारतीय जनता पार्टी मुख्यालय का घेराव किया। दारुलशफा से अचानक विधानसभा मार्ग पहुंचे कर्मचारियों के हूजुम को देखकर पुलिस वालों के भी हाथ पांव फूल गए। आननफानन बेरीकेडिंग करके कर्मचारियों को रोकने का प्रयास किया गया तो कर्मचारियों ने सरकार विरोधी नारे लगाना शुरू किया। कर्मचारियों को गांधी प्रतिमा के पास तक लाने के लिए पुलिस को लाठियां भी भांजनी पड़ी। कई कर्मचारी चोटिल हुए तो कई को पुलिस ने हिरासत में ले लिया, जिन्हें देर शाम रिहा कर दिया गया।
संयुक्त सहकारी समिति कर्मचारी समन्वय समिति के आह्वान पर जुटे हजारों कर्मचारियों ने एक बार फिर प्रतिबंधित क्षेत्र में प्रदर्शन करके जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के सामने चुनौती खड़ी कर दी। जीपीओ पार्क और गांधी प्रतिमा के सामने देर शाम तक कर्मचारी जुटे रहे। समिति के प्रांतीय अध्यक्ष नवनाथ पांडेय ने बताया कि प्रमुख सचिव सहकारिता रामी रेड्डी से मिलने गए चार सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल ने सभी पैक्स सचिव और कर्मचारियों को राज्य कर्मचारी का दर्जा देने, बकाया वेतन का भुगतान करने और सेवानिवृत्ति आयु 62 वर्ष करने की मांग की।
प्रमुख सचिव ने राज्य कर्मचारी का दर्जा देने में असमर्थता जताई, लेकिन अन्य दो मांगों पर सकारात्मक रूप से विचार करने का आश्वासन दिया गया। हालांकि कार्य बहिष्कार जारी रहेगा। धरने में रामचंद्र पांडेय, छत्रपाल सिंह, मोहनलाल के अलावा कानपुर, सुल्तानपुर, बिजनौर, मेरठ, मुरादाबाद, जौनपुर व सुल्तानपुर समेत कई जिलों के हजारों कर्मचारी शामिल हुए।
कई कर्मचारियों को आईं चोटें
कानपुर से आए सुरेश चंद्र वर्मा की पुलिस ने न केवल पिटाई की बल्कि उन्हें जबरन हिरासत में ले लिया। इसके अलावा कैलाश सिंह, अशोक कुमार, एपी तिवारी, सुशील शर्मा व रामयज्ञ पांडेय समेत कई कर्मचारियों को अंदरूनी चोटें आईं। आधा दर्जन से अधिक गिरफ्तार कर्मचारियों को देर शाम रिहा कर दिया गया।
फेल हुआ खुफिया तंत्र
150 से 200 कर्मचारियों के गांधी प्रतिमा पर प्रदर्शन के जिला प्रशासन के निर्देशों के बावजूद हजारों कर्मचारियों ने आकर खुफिया विभाग की सक्रियता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। कर्मचारियों की इतनी बड़ी संख्या के जुटने की भनक विभागीय अधिकारियों को क्यों नहीं हुई? यदि हुई तो जिला प्रशासन ने उन्हें प्रदर्शन की अनुमति क्यों दी। प्रदर्शन की वजह से आम लोग परेशान रहे।
चार घंटे जाम रहा हजरतगंज
प्रदर्शन के चलते हजरतगंज से विधानसभा की ओर से जाने वाले वाहनों को बेरीेकेडिंग कर रोक दिया गया तो राजभवन से डीएसओ चौराहे तक लंबा जाम लगा रहा। करीब चार घंटे जाम से हर ओर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। गांधी प्रतिमा के पास जाम में फंसी रही 108 सेवा की एंबुलेंस को बेरीकेडिंग हटाकर उल्टी दिशा से पार कराया गया। बापू भवन चौराहा, बर्लिंग्टन चौराहा के साथ ही सदर पुल पर घंटों जाम लगा रहा। स्कूल छूटा तो स्कूल बसें और रिक्शे भी जाम में फंस गए। 11:30 बजे से चल रहे जाम से करीब ढाई बजे राहत मिली। दोपहर बाद पुलिस ने हजरतगंज चौराहे से लगी बेरीकेडिंग हटाई तो आवागमन शुरू हो सका।
लाठीचार्ज कर कर्मीयों को खदेड़ा
पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों को रोकने की कोशिश की। जब प्रदर्शनकारियों ने नारेबाजी कर अग्र प्रदर्शन शुरु कर दिया। मामले को हाथ से निकलता देख पुलिस ने हल्का बल प्रयोग करते हुए लाठीचार्ज कर दिया।