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प्रियदर्शिनी योजना में चार घंटे बंद रही लिफ्ट

लखनऊ जेएनएन। लखनऊ विकास प्राधिकरण की अनदेखी के कारण आए दिन विभिन्न अपार्टमेंटों के अ

By JagranEdited By: Published: Sat, 14 Nov 2020 01:26 AM (IST)Updated: Sat, 14 Nov 2020 01:26 AM (IST)
प्रियदर्शिनी योजना में चार घंटे बंद रही लिफ्ट
प्रियदर्शिनी योजना में चार घंटे बंद रही लिफ्ट

लखनऊ, जेएनएन। लखनऊ विकास प्राधिकरण की अनदेखी के कारण आए दिन विभिन्न अपार्टमेंटों के आवंटियों को परेशान होना पड़ रहा है। शुक्रवार को प्रियदर्शिनी नगर योजना स्थित सोपान एन्क्लेव में कुछ ऐसा ही हुआ जब लिफ्ट खराब हो गई और आवंटी अपने फ्लैटों में ही फंसे रहे। वहीं, दूसरी लिफ्ट में ताला बंद होने के कारण लोगों को मजबूरन सीढि़यों का इस्तेमाल करना पड़ा। वरिष्ठ नागरिकों और बच्चों को सबसे ज्यादा परेशानी हुई। पूरे मामले की शिकायत जब एलडीए सचिव से की, तब अधिकारी हरकत में आए और चार घंटे बाद लिफ्ट चालू हो सकी।

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सोपान एनक्लेव निवासी रोहिणी जयसवाल ने बताया कि उनके यहां शुक्रवार को मेहमान आए थे। जब नीचे उतरने की बारी आई तो लिफ्ट बंद मिली। इसकी जानकारी संबंधित कर्मचारियों को दी गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। इस कारण मेहमान, जिनमें वरिष्ठ नागरिक भी थे, मजबूरन चार घंटे तक बैठे रहे। इस दौरान आवंटी द्वारा जब एलडीए सचिव को फोन कर जानकारी दी गई तो कुछ देर बाद लिफ्ट चालू हो सकी।

यहां रहने वाले लोगों ने बताया कि एक लिफ्ट एलडीए द्वारा बंद कर रखी गई है। पूरा लोड एक लिफ्ट पर ही है। इससे आए दिन लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है। इसको लेकर संबंधित अफसरों से शिकायत भी की जा चुकी है, लेकिन अभी तक इसका ताला नहीं खोला गया है। बेहतर रखरखाव और मरम्मत से कम फुंके ट्रांसफार्मरराजधानी की बिजली व्यवस्था बेहतर बनाए रखने में ट्रांसफार्मरों का बड़ा योगदान है। किसी मुहल्ले का ट्रांसफार्मर जलने व दगने के बाद बिजली व्यवस्था बहाल करने में अन्य शहरों में तीन से छह घंटे तक लग जाते हैं। वहीं, गांवों में बिजली व्यवस्था को बहाल करने में पंद्रह घंटे तक लग जाते हैं। अगर ट्रांसफार्मर की बेहतर तरीके से मरम्मत हो और उनकी लोड बैलेंसिग बेहतर तरीके से की जाए तो इन ट्रांसफार्मरों की जिदगी कई साल की हो जाती है। बेहतर रखरखाव का ही नतीजा है कि वर्ष 2019 की तुलना में वर्ष 2020 में गर्मी के शुरुआती माह यानी अप्रैल से जुलाई के पीक सीजन में ट्रांसफार्मर खराब होने का ग्राफ तीस फीसद कम हुआ है। इस कारण बिजली संकट भी शहर व गांवों में कम हुआ है। इसके पीछे ट्रांसफार्मर कार्यशालाओं की मेहनत के साथ ही स्थानीय अभियंताओं द्वारा ट्रांसफार्मर पर लोड नियंत्रित रखने के साथ ही तीनों फेस की लोड बैलेंसिग पीके सीजन से पहले कर देना है।


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